शकुन रानी मामले पर घिरे राहुल गांधी, EC ने बताया फर्जी, नोटिस भेजकर मांगा जवाब
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बेंगलुरु केंद्रीय लोकसभा क्षेत्र की महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक 70‑साल की महिला शाकुन रानी द्वारा दो बार मतदान किए जाने का दावा करते हुए 'वोट चोरी' (vote theft) का आरोप लगाया.चुनाव आयोग ने इसे आधारहीन बताया और औपचारिक रूप से नोटिस भेजकर इस दावे के समर्थन में पाए गए दस्तावेज़ या प्रमाण प्रदान करने का निर्देश दिया है.

Shakun Rani Double Vote : कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बेंगलुरु केंद्रीय लोकसभा क्षेत्र की महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक 70‑साल की महिला शाकुन रानी द्वारा दो बार मतदान किए जाने का दावा करते हुए 'वोट चोरी' (vote theft) का आरोप लगाया. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दस्तावेजों के साथ यह आरोप पेश किया कि यह चुनाव आयोग (EC) के रिकॉर्ड पर आधारित है.
आयोग ने दस्तावेजों की सत्यता पर सवाल उठाया
जानिए क्या है पूरा मामला
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा सीट पर करीब 1 लाख से ज्यादा फर्जी वोटर जोड़ दिए गए हैं. राहुल गांधी का कहना है कि यह सीधी वोट चोरी है और इससे लोकतंत्र को नुकसान हो रहा है.
कैसे हुए फर्जी वोटर शामिल?
राहुल गांधी ने कहा कि फर्जी वोटर जोड़ने के 5 मुख्य तरीके अपनाए गए. 11,965 डुप्लीकेट वोटर: यानी एक ही व्यक्ति का नाम दो बार जोड़ा गया. 40,009 वोटर फर्जी पते पर: ऐसे पते जिनका कोई वजूद नहीं है या गलत हैं. 10,452 वोटर एक ही पते पर रजिस्टर: इतनी बड़ी संख्या में एक पते पर वोटर रजिस्ट्रेशन असामान्य है. 4,132 वोटर बिना फोटो या गलत फोटो के साथ: जिससे पहचान में गड़बड़ी हो सकती है. 33,692 नए वोटर गलत तरीके से फॉर्म-6 से जोड़े गए: फॉर्म-6 नए वोटर जोड़ने के लिए होता है, पर इसका दुरुपयोग हुआ.
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
इस मामले में चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए राहुल गांधी को नोटिस भेजा है. महाराष्ट्र, कर्नाटक और हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारियों ने उनसे घोषणापत्र (Declaration/Oath) मांगा है, जिसमें उन्हें अपने दावे को औपचारिक रूप से प्रमाणित करना होगा. आयोग ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर राहुल गांधी समय पर जवाब नहीं देते या माफी नहीं मांगते, तो उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत कार्रवाई हो सकती है.
पारदर्शिता को लेकर छिड़ी बहस
राहुल गांधी के इस आरोप ने चुनाव प्रक्रिया और पारदर्शिता को लेकर बहस छेड़ दी है. विपक्ष इसे लोकतंत्र की रक्षा का मामला बता रहा है, जबकि चुनाव आयोग की सख्ती यह दिखाती है कि वह संस्थागत निष्पक्षता पर सवाल को हल्के में नहीं लेना चाहता.


