मुंबई बीएमसी चुनाव से पहले महायुति का फॉर्मूला तय, भाजपा को 137 और शिवसेना को 90 सीटें
बीएमसी चुनावों से पहले महायुति गठबंधन ने सीट बंटवारे पर आखिरकार मुहर लगा दी है. लंबे समय से चल रही बातचीत के बाद भाजपा और शिवसेना के बीच समझौता तय हुआ, जिससे मुंबई की सियासी तस्वीर अब साफ होती नजर आ रही है.

बीएमसी चुनाव: मुंबई नगर निगम (BMC) चुनावों से पहले महायुति गठबंधन में लंबे समय से चल रही सीट बंटवारे की अटकलों पर आखिरकार विराम लग गया है. गठबंधन ने 15 जनवरी को होने वाले बृहन्मुंबई नगर निगम चुनावों के लिए अपना फॉर्मूला तय कर लिया है, जिससे चुनावी तैयारियों को रफ्तार मिलने की उम्मीद है.
कई दौर की बातचीत और अंतिम समय तक चली बैठकों के बाद यह सहमति बनी है. इस समझौते के तहत भाजपा और शिवसेना मिलकर बीएमसी चुनाव लड़ेंगी, जबकि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी इस चुनाव में अलग राह पर होगी.
भाजपा और शिवसेना के बीच तय हुआ सीट बंटवारा
महायुति गठबंधन ने सोमवार को बीएमसी चुनावों के लिए सीट बंटवारे का अंतिम ऐलान किया. समझौते के मुताबिक, भाजपा 137 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि शिवसेना 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. इस फॉर्मूले के तहत दोनों दल एक-दूसरे के गठबंधन सहयोगियों को भी अपने-अपने कोटे से सीटें देकर समर्थन करेंगे.
नामांकन से पहले हुआ अंतिम ऐलान
नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि मंगलवार को समाप्त होने से ठीक एक दिन पहले यह समझौता सामने आया. मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित सतम ने सोमवार को सीट बंटवारे की जानकारी साझा की.
एबी फॉर्म के वितरण के बाद, दोनों पार्टियों के उम्मीदवार मंगलवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगे.
चुनावी रणनीति को मिलेगी मजबूती
इस अंतिम समझौते से चुनाव प्रचार की रणनीति को सुव्यवस्थित करने और नगर निगम चुनावों में समन्वित लड़ाई लड़ने में मदद मिलने की उम्मीद है. गठबंधन नेताओं ने इस मौके पर एकता और तालमेल पर जोर दिया है, ताकि मुंबई जैसे अहम नगर निगम में मजबूत प्रदर्शन किया जा सके.
एनसीपी अलग से लड़ेगी बीएमसी चुनाव
महायुति की एक अन्य घटक पार्टी, उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी, बृहन्मुंबई नगर निगम चुनाव अलग से लड़ रही है. एनसीपी ने अब तक बीएमसी चुनावों के लिए 64 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं.
15 जनवरी को मतदान
महाराष्ट्र में मुंबई समेत 29 नगर निगमों के चुनाव 15 जनवरी को कराए जाएंगे, जबकि मतों की गिनती अगले दिन होगी. बीएमसी चुनाव को राज्य की राजनीति के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है.
कुछ दिन पहले तक फंसा था पेंच
गौरतलब है कि महज चार दिन पहले तक महायुति गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आ रहे थे. खबरों के अनुसार, शिवसेना 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही थी, जबकि भाजपा की ओर से 75 सीटों की पेशकश की गई थी.
कई दौर की बातचीत के बावजूद शिवसेना ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था, जिससे मुंबई समेत अन्य नगर निगमों के लिए भी समझौता अटक गया था.
एनसीपी को बाहर रखने का फैसला
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि 15 जनवरी को होने वाले अहम बीएमसी चुनावों से पहले महायुति नेतृत्व ने अजित पवार की एनसीपी को गठबंधन से बाहर रखकर केवल भाजपा और शिवसेना के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
हालिया चुनावों में महायुति का दबदबा
यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है, जब कुछ दिन पहले ही भाजपा, शिवसेना और एनसीपी से मिलकर बने महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र में 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनावों में शानदार जीत दर्ज की थी. गठबंधन ने 207 नगर अध्यक्षीय पदों पर कब्जा जमाया था.
इसके मुकाबले विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को केवल 44 सीटें मिली थीं और वह काफी पीछे रह गई थी.
चुनावी नतीजों ने बढ़ाया महायुति का आत्मविश्वास
राज्य चुनाव आयोग के अंतिम नतीजों के अनुसार, भाजपा ने 117 नगर निगम अध्यक्षीय पदों पर जीत हासिल की थी. इसके बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 53 और एनसीपी ने 37 पद जीते थे.
वहीं कांग्रेस को 28 सीटें, एनसीपी (शरद पवार गुट) को सात और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को केवल नौ सीटें ही मिल पाईं.
इन नतीजों ने विधानसभा चुनावों के बाद राज्य में महायुति के प्रभुत्व को और मजबूत किया है, जबकि एमवीए एक बार फिर जनता का भरोसा जीतने में नाकाम रही है.


