सेना को नहीं चाहिए था वक्त, हमले के अगले ही दिन PAK पर कार्रवाई के लिए तैयार थे तीनों सेनाओं के प्रमुख... राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुलासा किया कि पहलगाम हमले के अगले दिन तीनों सेना प्रमुख पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार थे. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब किसी सेना प्रमुख ने युद्ध से पहले किसी हथियार की मांग नहीं की. राजनाथ सिंह ने सिविल-डिफेंस कर्मियों के योगदान की सराहना की और युद्ध की तैयारियों में उनके अहम रोल को भी महत्वपूर्ण बताया.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक अगले दिन, देश की थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों सेनाओं के प्रमुख, पाकिस्तान के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार थे. उन्होंने बताया कि जब उनसे पूछा गया कि क्या ऑपरेशन के लिए तैयार हैं, तो तीनों सेना प्रमुखों ने बिना किसी झिझक के सहमति दी.
बिना हथियार की मांग के सेनाएं तैयार
इतिहास से तुलना, पहले क्या होता था
रक्षा मंत्री ने 1971 के युद्ध का उदाहरण देते हुए बताया कि तब जनरल सैम मानेकशॉ ने युद्ध के लिए छह महीने का समय मांगा था. वहीं कारगिल युद्ध के दौरान जनरल वी.पी. मलिक ने कहा था कि सेना मौजूदा हथियारों से ही लड़ेगी, जिससे यह साफ था कि आधुनिक हथियारों की कमी महसूस की जा रही थी. लेकिन इस बार ऐसा कोई मुद्दा सामने नहीं आया.
सिविल डिपार्टमेंट की भी बड़ी भूमिका
राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय के सिविल कर्मचारियों की भूमिका की भी जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि जब भी देश युद्ध की स्थिति में होता है, तो सिर्फ सैनिक ही नहीं, पूरा देश और सरकारी सिस्टम उस युद्ध का हिस्सा होता है. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सिविल कर्मचारियों ने जिस तरह से सेना को बैकएंड से सपोर्ट दिया, वह काबिले तारीफ है.
सिविल-मिलिट्री समन्वय की जरूरत
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज की दुनिया बेहद अनिश्चितता से भरी हुई है, और यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कब कौन-सा क्षेत्र तनाव में आ सकता है. उन्होंने कहा कि तीन-चार महीने पहले किसी ने नहीं सोचा था कि भारत को "ऑपरेशन सिंदूर" जैसा कोई मिशन करना पड़ेगा, लेकिन हालात तेजी से बदल गए.
गृह हो या रक्षा मंत्रालय, हर जिम्मेदारी निभाई
कार्यक्रम के अंत में राजनाथ सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा कि उन्होंने सरकार में लगभग हर जिम्मेदारी निभाई है, चाहे वह गृह मंत्रालय हो या रक्षा मंत्रालय, बस एक पद ऐसा है जो उन्होंने अभी तक नहीं संभाला वह है प्रधानमंत्री कार्यालय.


