राज्यसभा में CISF की एंट्री पर मचा बवाल, खड़गे ने उपसभापति को लिखा पत्र
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्यसभा के वेल में CISF जवानों को भेजा गया, जिसे पार्टी ने चौंकाने वाला और अस्वीकार्य बताया. मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर उपसभापति को पत्र लिखा और ऐसी घटनाओं से बचने की मांग की. वहीं, सरकार ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए आरोप खारिज किए. संसद की सुरक्षा दिसंबर 2023 में एक सुरक्षा चूक के बाद CISF को सौंपी गई थी.

कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को एक बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्यसभा के वेल (सत्र कक्ष का केंद्र हिस्सा) में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों को भेजा गया, जो लोकतंत्र के लिए बेहद चौंकाने वाली और अस्वीकार्य घटना है.
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा के उपसभापति को पत्र लिखकर इस घटना की कड़ी निंदा की. उन्होंने पत्र में लिखा “हम इस बात से चौंक गए हैं कि जब सांसद जनहित के मुद्दों पर विरोध कर रहे थे, तब CISF के जवानों को वेल में भेजा गया. क्या संसद अब इस स्तर पर पहुँच चुकी है? यह अत्यंत आपत्तिजनक है और हम इसकी स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं.”उन्होंने आगे लिखा कि भविष्य में जब विपक्ष जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाए, तो CISF के जवानों को संसद के वेल में प्रवेश न करने दिया जाए.
After the sudden and unprecedented resignation of the Chairman of the Rajya Sabha, we are now seeing the takeover of the chamber of the Council of States by the personnel of the CISF.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 1, 2025
The Leader of the Opposition in the Rajya Sabha has just written to the Deputy Chairman, Rajya… pic.twitter.com/XjSodAlFiP
'सदन पर CISF का टेकओवर'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस पूरे घटनाक्रम को और भी गंभीर बताया. उन्होंने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद इसे 'CISF द्वारा सदन का टेकओवर' बताया. “सभापति के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद अब हम देख रहे हैं कि राज्यसभा के चैंबर में CISF के जवानों का प्रवेश हो रहा है. यह बेहद चौंकाने वाला है,” उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा और खड़गे का पत्र भी साझा किया.
सुरक्षा के नियमों का पालन किया गया
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि विपक्ष को बोलने से नहीं रोका गया और राज्यसभा में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था पहले से मौजूद है. “राज्यसभा में कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल हैं. किसी सांसद को बोलने से नहीं रोका गया. CISF ने हमें जानकारी दी है कि यदि कोई सदस्य तय सीमा पार करता है, तो कार्रवाई की जाएगी.”
CISF को क्यों मिली सुरक्षा की जिम्मेदारी ?
सरकार ने दिसंबर 2023 में संसद की समग्र सुरक्षा की जिम्मेदारी CISF को सौंपी थी, जब संसद में एक बड़ा सुरक्षा उल्लंघन हुआ था. उस घटना में दो व्यक्ति लोकसभा की दर्शक दीर्घा से कूदकर नीचे आ गए थे, उन्होंने पीले रंग के धुएं के कैनिस्टर छोड़े और नारेबाज़ी की. बाद में सांसदों ने उन्हें काबू में किया.
विरोध करने का अधिकार भी छीना जा रहा है?
कांग्रेस और विपक्षी दलों का कहना है कि जब सांसद जनता से जुड़े मुद्दों पर आवाज़ उठा रहे हैं, तो सुरक्षा बलों का इस्तेमाल करके उन्हें डराना-धमकाना लोकतंत्र के खिलाफ है.


