'मैं उसका अंत देखना चाहता हूं',पूर्व लश्कर सदस्य ने हाफिज सईद के खतरनाक एजेंडे का किया खुलासा
पूर्व लश्कर-ए-तैयबा सदस्य नूर दहरी ने संगठन और इसके प्रमुख हाफ़िज़ सईद पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर युद्ध में झोंकना शामिल है. दहरी ने सईद को हजारों पाकिस्तानी नागरिकों की मौत का ज़िम्मेदार बताया और उसके आतंकवाद फैलाने के तरीकों का खुलासा किया. उन्होंने लश्कर को "मौत का पंथ" कहा और बताया कि कैसे उनका भविष्य बर्बाद हुआ. सईद पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं, लेकिन पाकिस्तान में उसे अब भी संरक्षण मिलता है.

दुनिया के कुख्यात आतंकी संगठनों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को लेकर एक पूर्व सदस्य के बयान ने हलचल मचा दी है. नूर दहरी नाम के इस पूर्व कार्यकर्ता ने संगठन के सरगना हाफ़िज़ सईद के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं. दहरी का दावा है कि सईद ने हजारों पाकिस्तानी नागरिकों को "राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राख के युद्ध" में झोंक दिया और युवाओं के जीवन को बरबाद किया.
कट्टरपंथ से मोहभंग
नूर दहरी का कहना है कि लश्कर एक "मौत का पंथ" है, जिसमें शामिल होकर उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल की. उन्होंने खुलासा किया कि जब उन्होंने इस संगठन को छोड़ने का निर्णय लिया, तो लश्कर के कमांडरों ने उन्हें "कायर" कहकर अपमानित किया. दहरी ने बताया कि वे एक सफल मेडिकल करियर बनाना चाहते थे, लेकिन हाफ़िज़ सईद के कट्टर विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने आतंक की राह पकड़ ली, जिससे उनका भविष्य बर्बाद हो गया.
हाफ़िज़ सईद की सुरक्षा में बिताया समय
नूर दहरी को एक बार लश्कर प्रमुख सईद की सुरक्षा का कार्य सौंपा गया था, जब वह मुरीदके स्थित अपने मुख्यालय में रहा करता था. उन्होंने बताया कि सईद एक नीली टोयोटा विगो गाड़ी में यात्रा करता था, जिसे विशेष रूप से उसके आराम के लिए पीछे से संशोधित किया गया था. दहरी ने इस दौरान देखा कि किस तरह सईद के भड़काऊ भाषण पाकिस्तानी युवाओं को आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए उकसाते थे.
युवाओं की बर्बादी की कहानी
दहरी ने बताया कि हर गुरुवार को लगभग 500 युवा अफगानिस्तान के कुनार प्रांत स्थित "म’अस्कर तैयबा" नामक ट्रेनिंग कैंप में भेजे जाते थे. इनमें से कई वापस नहीं लौटते. उन्होंने कहा कि लश्कर में बिताए गए समय और अफगानिस्तान व पीओके में हुए अनुभवों के बाद ही उन्हें इस संगठन की असली तस्वीर समझ में आई. अब वे चाहते हैं कि हाफ़िज़ सईद को उसके किए की सजा मिले.
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद में सईद की भूमिका
हाफ़िज़ सईद को 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है, जिसमें 166 निर्दोष लोगों की जान गई थी. उसका बेटा तल्हा सईद, लश्कर में दूसरा सबसे बड़ा नेता है. भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सईद को मोस्ट वांटेड सूची में रखा है. अप्रैल 2012 में अमेरिका ने हाफिज सईद पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा है, जिसे भारत का समर्थन मिला, लेकिन पाकिस्तान ने विरोध किया.
वैश्विक प्रतिबंध और सख्त निगरानी
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सईद को वैश्विक आतंकी घोषित किया है और उसे अमेरिका के खजाना विभाग की "विशेष रूप से नामित नागरिकों" की सूची में शामिल किया गया है. इसके बावजूद पाकिस्तान में उसे कई बार राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है. नूर दहरी के इन खुलासों ने लश्कर-ए-तैयबा और उसके नेताओं की क्रूरता को एक बार फिर दुनिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया है.


