'भारत कभी भी परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा', जर्मनी से जयशंकर का पाकिस्तान को कड़ा संदेश
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बर्लिन में भारत का सख्त रुख जाहिर करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद को सहन नहीं करेगा और परमाणु धमकी के आगे नहीं झुकेगा. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकी शिविरों पर हुई सैन्य कार्रवाई का ज़िक्र किया. जर्मनी ने भारत के रुख का समर्थन किया और द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई. भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन की सैन्य टकराव के बाद युद्ध विराम हुआ.

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बर्लिन में एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद को किसी भी सूरत में सहन नहीं करेगा और न ही किसी प्रकार की परमाणु धमकी के आगे झुकेगा. यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण सैन्य टकराव हुआ है.
बर्लिन में अपने जर्मन समकक्ष जोहान वेडफुल के साथ बातचीत करते हुए जयशंकर ने कहा, "मैं पहलगाम में हुए आतंकी हमले की प्रतिक्रिया के तुरंत बाद यहां आया हूं. भारत आतंकवाद को किसी स्तर पर बर्दाश्त नहीं करेगा और हम कभी भी परमाणु ब्लैकमेल का शिकार नहीं बनेंगे. पाकिस्तान से हम द्विपक्षीय तरीके से ही निपटेंगे, इस पर किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए."
जर्मनी ने भारत का समर्थन किया
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने भारत के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा कि बर्लिन आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई का पूर्ण समर्थन करता है. उन्होंने कहा, “आतंकवाद को दुनिया में कहीं भी कोई स्थान नहीं मिलना चाहिए और हम उन सभी देशों का समर्थन करते हैं जो आतंक के खिलाफ लड़ रहे हैं. हम भारत के साथ इस सहयोग को और गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वे भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की सराहना करते हैं और आशा करते हैं कि जल्द ही दीर्घकालिक समाधान निकल आएगा.
भारत-जर्मनी संबंधों को नई ऊंचाई देने का प्रयास
बर्लिन दौरे के दौरान जयशंकर ने जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ से भी मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने भारत-जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी को और सशक्त करने की प्रतिबद्धता जताई. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “बर्लिन में चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ से मिलना सम्मान की बात है. आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में जर्मनी की एकजुटता की सराहना करता हूं.”
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की निर्णायक सैन्य कार्रवाई
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई, के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत सैन्य प्रतिक्रिया दी. यह हमला 26/11 के मुंबई हमले के बाद नागरिकों पर सबसे बड़ा आतंकी हमला माना गया.
7 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी शिविरों पर लक्षित हवाई हमले किए. इन हमलों में लगभग 100 आतंकियों के मारे जाने की सूचना है. हमले भोर से पहले किए गए थे ताकि दुश्मन की सतर्कता को भांपा न जा सके.
सीमा पर चार दिनों तक चला संघर्ष
इन हवाई हमलों के बाद पश्चिमी सीमा पर दोनों देशों के बीच भारी गोलीबारी, मिसाइल हमले, ड्रोन स्ट्राइक और तोपखाने का इस्तेमाल हुआ. 9 और 10 मई की दरमियानी रात भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 13 सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया. इन जवाबी कार्रवाइयों से पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा. चार दिनों तक चले इस सैन्य संघर्ष के बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच समझौता हुआ और शत्रुता को समाप्त किया गया.


