सूख रहे हैं धरती के फेफड़े, अमेज़न के जंगलों से घटती बारिश पूरी इंसानियत के लिए खतरे की घंटी
अमेज़न के जंगलों में धीरे-धीरे बारिश कम हो रही है और सूखे का खतरा बढ़ रहा है। रिसर्च बताती है कि पेड़ों की कटाई और ग्लोबल वॉर्मिंग इसका बड़ा कारण हैं। यह बदलाव पूरी दुनिया के मौसम पर असर डाल रहा है, जिससे आने वाले समय में खतरें भयानक हो जाएंगे।

International News: अमेज़न का जंगल जिसे "धरती की सांस" कहा जाता है, आज अपनी ही सांसों के लिए जूझ रहा है। रिसर्च में खुलासा हुआ कि घटती बारिश का तीन-चौथाई हिस्सा सिर्फ पेड़ काटने की वजह से है। यानी इंसान ने अपने हाथों से वो हाल कर दिया जो सदीयों से होता आया संतुलन था। कटाई की ये तेज़ रफ़्तार आसमान से बरसने वाली रहमत को रोक रही है। रिसर्च कहती है कि ग्लोबल वॉर्मिंग भी अहम किरदार निभा रही है, लेकिन उसका असर पेड़ों की कटाई से कम है। कार्बन और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसें धीरे-धीरे असर डालती हैं, मगर जंगलों की तबाही का असर फ़ौरन और स्थानीय स्तर पर दिखने लगता है। ये बदलाव वहां की क़ौमों और बस्तियों की ज़िंदगी पर सीधा वार है।
बारिश के पैटर्न में बदलाव
1985 से 2020 के बीच ड्राई सीज़न में हर साल बारिश औसतन 21 मिलीमीटर कम हुई। इसमें से लगभग 16 मिलीमीटर सिर्फ पेड़ों की कटाई के कारण घटी। यही नहीं, सूखे मौसम में तापमान भी 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया। यह इशारा है कि मौसम का निज़ाम बदल रहा है।
मानसून भी हुआ प्रभावित
वैज्ञानिक बताते हैं कि कटाई से दक्षिण अमेरिकी मानसून का पैटर्न बदल गया है। ब्राजील के कई हिस्सों में सूखे की मार और बढ़ रही है। 2023 और 2024 में अमेज़न ने ऐसा सूखा देखा जिसने नदियों की रफ़्तार रोक दी और बिजली उत्पादन तक ठप कर दिया। यह हालात बताते हैं कि जंगल का हर हिस्सा हमारे लिए कितना अहम है।
आग और तबाही की तसवीर
2024 में एक तरफ पेड़ों की कटाई कम हुई, लेकिन आग ने लाखों हेक्टेयर जंगल को राख कर दिया। यह आग रिकॉर्ड गर्मी और सबसे भयंकर सूखे ने और भड़काई। जिस जंगल को लोग "जनन्नत" समझते थे, वहां अब धुआं और सन्नाटा पसरा है। यह सिर्फ जंगल का नुकसान नहीं बल्कि पूरी इंसानियत का नुक़सान है।
2035 तक सूखा और क़यामत का ख़तरा
अगर यही हाल रहा तो 2035 तक बारिश और घटेगी और गर्मी और बढ़ेगी। इसका असर 11,000 से ज्यादा पेड़ प्रजातियों और लाखों लोगों की ज़िंदगी पर पड़ेगा। अमेज़न का ये दर्द पूरी दुनिया के लिए सबक है कि अगर इंसान अब भी नहीं रुका तो क़यामत जैसे हालात दूर नहीं।


