चीन का K-वीजा और अमेरिका का H1B-वीजा: क्या दोनों एक जैसे? जानिए पूरी डिटेल
China K-Visa: चीन ने 1 अक्टूबर 2025 से लागू होने वाला नया K-वीजा लॉन्च किया है, जिसे अमेरिका के H-1B वीजा का विकल्प माना जा रहा है. यह वीजा STEM ग्रेजुएट्स और युवा प्रोफेशनल्स को आकर्षित करेगा.

China K-Visa: अमेरिका में H-1B वीजा की प्रक्रिया और फीस को लेकर बढ़ती सख्ती ने दुनिया भर के प्रोफेशनल्स, खासकर भारतीय टेक वर्कर्स और आईटी कंपनियों को चिंता में डाल दिया है. इसी बीच, चीन ने वैश्विक प्रतिभाओं को लुभाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. बीजिंग ने रविवार को K-वीजा कैटेगरी शुरू करने की घोषणा की है, जिसे विशेषज्ञ सीधे तौर पर H-1B का विकल्प मान रहे हैं.
ये नया K-वीजा 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा और इसे खास तौर पर उन विदेशी युवाओं को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है, जो विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं. माना जा रहा है कि चीन का ये कदम ना सिर्फ उसकी कूटनीतिक रणनीति को मजबूत करेगा बल्कि दक्षिण एशियाई देशों, खासकर भारत से जाने वाले पेशेवरों के लिए नए अवसर भी खोलेगा.
कौन कर सकेगा आवेदन?
चीन के न्याय मंत्रालय के मुताबिक, ये वीजा उन विदेशी युवा वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों को दिया जाएगा, जिन्होंने चीन या किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी/रिसर्च संस्थान से STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) में बैचलर या उससे उच्च डिग्री प्राप्त की हो. ये वीजा शिक्षण और शोध से जुड़े युवा प्रोफेशनल्स के लिए भी खुला रहेगा. आवेदकों को योग्यता और जरूरी दस्तावेज जमा कराने होंगे, जिनका विवरण चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावास द्वारा जारी किया जाएगा.
K-वीजा की खासियतें
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मौजूदा 12 वीजा कैटेगरी की तुलना में K-वीजा को ज्यादा लचीला और सुविधाजनक बताया जा रहा है.
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इसमें मल्टीपल एंट्री की सुविधा होगी.
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लंबी वैधता और लंबे समय तक रहने का विकल्प मिलेगा.
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आवेदन करने के लिए किसी चीनी नियोक्ता या संस्था से इनविटेशन लेटर की जरूरत नहीं होगी.
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वीजा धारक शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान-तकनीक, बिजनेस और स्टार्टअप्स से जुड़े कामों में हिस्सा ले सकेंगे.
क्यों लाया गया K-वीजा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि ये कदम चीन की बड़ी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है. पिछले कुछ सालों में बीजिंग ने विदेशी नागरिकों के लिए वीजा नियमों में ढील दी है.
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55 देशों के नागरिक अब 240 घंटे तक वीजा-फ्री ट्रांजिट की सुविधा ले सकते हैं.
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75 देशों के साथ चीन वीजा छूट समझौते कर चुका है.
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2025 की पहली छमाही में चीन में 3.8 करोड़ विदेशी नागरिक आए, जिनमें से 1.36 करोड़ वीजा-फ्री एंट्री थीं.
दक्षिण एशिया पर असर
हाल ही में अमेरिका ने H-1B एप्लीकेशन पर 1 लाख डॉलर सालाना फीस लगाने का ऐलान किया है. इस फैसले ने भारतीय आईटी सेक्टर और टेक वर्कर्स में गहरी चिंता पैदा कर दी है. ऐसे में चीन का K-वीजा दक्षिण एशियाई प्रोफेशनल्स, खासकर भारत से जाने वाले युवाओं के लिए एक आकर्षक विकल्प साबित हो सकता है.
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अभी ये देखना बाकी है कि K-वीजा अमेरिका और यूरोप की तरह ही करियर ग्रोथ और प्रतिष्ठा दिला पाएगा या नहीं. लेकिन इतना तय है कि बीजिंग अब सीधे तौर पर ग्लोबल STEM टैलेंट को अपने देश बुलाने की कोशिश कर रहा है.


