चीन नहीं करेगा ताइवान पर कार्रवाई...शी जिनपिंग ने ट्रंप को दिया आश्वासन, जानिए इसके पीछे की कहानी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि रिपब्लिकन शासनकाल में ताइवान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं होगी. ट्रंप ने चेतावनी दी कि ऐसी कोशिश के गंभीर परिणाम होंगे, जबकि अमेरिका रणनीतिक अस्पष्टता की नीति पर कायम रहेगा.

नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को चीन और ताइवान को लेकर एक अहम बयान दिया. ट्रंप ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि रिपब्लिकन पार्टी के कार्यकाल के दौरान ताइवान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की जाएगी. उनका यह बयान अमेरिका-चीन संबंधों के भविष्य पर बड़ा असर डाल सकता है.
दक्षिण कोरिया में हुई थी ट्रंप-जिनपिंग की मुलाकात
ट्रंप ने बताया कि उनकी जिनपिंग से मुलाकात दक्षिण कोरिया में गुरुवार को हुई थी. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच बातचीत मुख्य रूप से अमेरिका-चीन व्यापार तनाव पर केंद्रित रही. ट्रंप ने कहा कि इस मुलाकात में ताइवान का मुद्दा विस्तार से नहीं उठा, लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके कार्यकाल में चीन ताइवान के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगा.
ट्रंप ने दी चेतावनी
ट्रंप ने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा कि हमने अपने स्तर पर स्पष्ट कर दिया है कि अगर मेरे कार्यकाल के दौरान चीन ने ताइवान पर कोई कार्रवाई की, तो उसके गंभीर परिणाम होंगे. जिनपिंग यह बात भली-भांति समझते हैं.
ट्रंप का इशारा इस ओर था कि चीन जानता है, अमेरिका की प्रतिक्रिया कड़ी हो सकती है. अमेरिकी अधिकारी लंबे समय से इस बात को लेकर चिंतित रहे हैं कि चीन किसी दिन ताइवान पर सैन्य बल का इस्तेमाल कर सकता है. ताइवान फिलहाल एक स्वशासित द्वीप है, जिसे बीजिंग अपना हिस्सा बताता है और “एक चीन” नीति के तहत उसका पुनर्मिलन चाहता है.
क्या है ताइवान संबंध अधिनियम?
1979 में लागू हुआ ताइवान संबंध अधिनियम (Taiwan Relations Act) अमेरिका और ताइवान के बीच संबंधों की नींव है. इस अधिनियम के तहत अमेरिका को सीधे सैन्य हस्तक्षेप करने की बाध्यता नहीं है, लेकिन वह यह सुनिश्चित करता है कि ताइवान के पास अपनी रक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन रहें. इस कानून का उद्देश्य बीजिंग द्वारा किसी एकतरफा सैन्य या राजनीतिक कदम को रोकना है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है.
ताइवान की रक्षा को लेकर रणनीतिक अस्पष्टता
जब ट्रंप से पूछा गया कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो क्या वह अमेरिकी सेना को सीधे हस्तक्षेप का आदेश देंगे, तो उन्होंने इस पर सीधा जवाब देने से इंकार किया. अमेरिका लंबे समय से रणनीतिक अस्पष्टता (Strategic Ambiguity) की नीति पर काम करता रहा है यानी यह स्पष्ट नहीं करता कि ऐसे किसी हमले की स्थिति में वह सीधे युद्ध में शामिल होगा या नहीं.
यह नीति दोनों पक्षों को संतुलन में रखती है. चीन को चेतावनी देती है, लेकिन साथ ही ताइवान को भी अति-आत्मविश्वास से बचाती है.
जिनपिंग के रुख पर भरोसा
ट्रंप ने कहा कि अगर कभी ऐसा हुआ (चीन ने हमला किया), तो सबको पता चल जाएगा कि उसका परिणाम क्या होगा. जिनपिंग समझते हैं कि इसकी कीमत बहुत भारी होगी. वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि व्हाइट हाउस ने भी अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया कि जिनपिंग ने यह आश्वासन कब और किस स्तर पर दिया था.


