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पाकिस्तान की ऑनलाइन सेंसरशिप में चीन, अमेरिका, यूरोप और UAE की कंपनियों का सहयोग... एमनेस्टी रिपोर्ट में खुलासा

अम्नेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान की निगरानी प्रणाली चीन, यूरोप, अमेरिका और UAE की तकनीकी कंपनियों से संचालित है. WMS 2.0 और LIMS जैसी प्रणालियाँ इंटरनेट कंट्रोल और कॉल ट्रैकिंग में इस्तेमाल हो रही हैं. पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है. रिपोर्ट ने तकनीक निर्यात पर कड़े नियम और कंपनियों की जवाबदेही की मांग की है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Pakistan Surveillance System : अम्नेस्टी इंटरनेशनल की एक ताजा रिपोर्ट ने पाकिस्तान में तेजी से बढ़ती निगरानी और ऑनलाइन सेंसरशिप प्रणाली की गंभीर स्थिति उजागर की है. इस प्रणाली को दुनिया भर की तकनीकी कंपनियों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें चीन, यूरोप, उत्तर अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की फर्में शामिल हैं. रिपोर्ट जिसका शीर्षक है "Shadows of Control", यह दिखाती है कि पाकिस्तान कैसे अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करके डिजिटल संचार को unprecedented स्तर पर मॉनिटर, सेंसर और नियंत्रित कर रहा है.

WMS 2.0: पाकिस्तान की राष्ट्रीय फायरवॉल

रिपोर्ट के अनुसार, Web Monitoring System (WMS 2.0) पाकिस्तान की एक व्यापक राष्ट्रीय फायरवॉल के रूप में काम करता है, जो इंटरनेट एक्सेस और सरकारी रूप से "अवैध" घोषित ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक कर सकता है. यह प्रणाली 2018 में कनाडाई कंपनी Sandvine की तकनीक से स्थापित की गई थी, जिसे बाद में चीनी कंपनी Geedge Networks और अमेरिकी Niagara Networks तथा फ्रांसीसी Thales की हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर मदद से अपग्रेड किया गया. यह प्रणाली इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की गतिविधियों पर गहरी नजर रखती है.

LIMS: लाखों उपयोगकर्ताओं की वास्तविक समय में निगरानी
दूसरी महत्वपूर्ण प्रणाली है Lawful Intercept Management System (LIMS), जो दूरसंचार नेटवर्क में एम्बेड की गई है. यह अधिकारियों को कॉल इंटरसेप्ट करने, संदेश पढ़ने और इंटरनेट गतिविधियों को ट्रैक करने की अनुमति देती है. इसके पीछे की मुख्य तकनीक जर्मन कंपनी Utimaco और यूएई की Datafusion ने प्रदान की है. LIMS प्रणाली एक समय में चार मिलियन से अधिक लोगों की निगरानी कर सकती है, जिससे पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ISI को दूरसंचार प्रदाताओं के डेटा का सीधा एक्सेस मिलता है.

निगरानी का दमन के लिए उपयोग
रिपोर्ट में बताया गया है कि पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज के सदस्यों को इस निगरानी प्रणाली के जरिए निशाना बनाया जा रहा है. एक पत्रकार ने बताया कि भ्रष्टाचार उजागर करने के बाद से लगातार उसकी मॉनिटरिंग की जा रही है और यहां तक कि उसके परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की गई है. उन्होंने कहा कि वे महीनों तक अपने परिवार से बात करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें चिंता है कि उनके परिवार को भी निशाना बनाया जा सकता है.

"डिस्टोपियन वास्तविकता", अम्नेस्टी की चेतावनी
अम्नेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामर्ड ने कहा कि पाकिस्तान एक खतरनाक दौर में पहुंच चुका है, जहां निगरानी आलोचना को दबाने का जरिया बन गई है. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के WMS और LIMS सिस्टम ऐसे "वॉचटावर" की तरह काम कर रहे हैं जो आम नागरिकों की जिंदगी पर लगातार नजर रखते हैं. यह स्थिति बेहद खतरनाक और डिस्टोपियन है, जो मानवाधिकारों के लिए बड़ी चुनौती पेश करती है.

विदेशी कंपनियों की भूमिका और आलोचना
रिपोर्ट ने उन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की भी आलोचना की है जो पाकिस्तान सरकार के साथ निगरानी तकनीक के अनुबंधों से लाभ कमा रही हैं, लेकिन मानवाधिकारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हैं. अम्नेस्टी ने बताया कि 20 कंपनियों से संपर्क करने पर केवल दो ने पूर्ण जवाब दिया, जबकि पाकिस्तान सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. रिपोर्ट ने निगरानी तकनीकों के निर्यात पर कड़े नियम और इन कंपनियों की जवाबदेही की मांग की है. साथ ही चीन की "ग्रेट फायरवॉल" के साथ पाकिस्तान की तकनीकी समानताओं को भी उजागर किया गया है, खासकर Geedge Networks के माध्यम से.

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10 September 2025, 04:57 PM IST

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