पुतिन को ट्रंप का 'सुपर गिफ्ट', यूरोप की सुरक्षा पर मंडराया बड़ा संकट, घबराए यूरोपीय देश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक ऐसा कदम उठाने की तैयारी में हैं, जिससे यूरोप में हलचल मच गई है. उनकी योजना से न सिर्फ रूस को ताकत मिलने की उम्मीद है बल्कि यूरोप की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है. यूरोपीय देशों को डर है कि ट्रंप की इस रणनीति का सीधा फायदा पुतिन को मिलेगा. ट्रंप की इस योजना यूरोपीय नेताओं ने चिंता में बढ़ा दी है.

इंटरनेशनल न्यूज. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक ऐशा कदम उठाने की तैयारी में है, जो उनके पुराने मित्र रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए तो किसी तोहफे से कम नहीं होगा, लेकिन यूरोप के लिए यह निर्णय चिंता का बड़ा कारण बन सकता है. मीटिया रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका अपने हजारों सैनिकों को पूर्वी यूरोप से वापस बुलाने की योजना बना रहा है. इस प्रस्ताव ने महाद्वीप के कई देशों में बेचैनी बढ़ा दी है. बुल्गारिया मिलिट्री डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के रक्षा विभाग ने करीब 10,000 सैनिकों को पूर्वी यूरोप से वापस बुलाने की योजना तैयार की है. यदि यह योजना अमल में आती है तो नाटो की सैन्य ताकत पर इसका सीधा असर पड़ सकता है. माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन के इस कदम से यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर हो सकती है, जिसका सीधा फायदा रूस उठा सकता है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ाई थी सैनिकों की संख्या
पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यूरोप में करीब 20,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया था. इसका मकसद नाटो देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और रूस को रोकना था. इस कदम से अमेरिका की यूरोप में सैन्य उपस्थिति 100,000 सैनिकों तक पहुंच गई थी. इनमें पैदल सेना, बख्तरबंद इकाइयां और वायुसेना से जुड़ी यूनिट्स शामिल थीं.
सैनिकों की वापसी से बढ़ेगी रणनीतिक चुनौती
अब खबर है कि अमेरिकी रक्षा विभाग 2022 में बढ़ाई गई फोर्स का आधा हिस्सा हटाने की तैयारी में है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पूर्वी यूरोप से सैनिकों की वापसी नाटो की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को प्रभावित कर सकती है. क्राइसिस की स्थिति में रूस को इससे अतिरिक्त हिम्मत मिल सकती है. अमेरिकी रक्षा विश्लेषक सेठ जोन्स ने चेतावनी दी है कि सैनिकों की कटौती से यूरोप की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी.
यूरोप में अमेरिका की उपस्थिति का इतिहास
अगर इतिहास पर नजर डालें तो शीत युद्ध के समय यूरोप में अमेरिका की सैन्य ताकत अपने चरम पर थी. 1950 दे दशक में अमेरिकी सैनिकों की संख्या 400, 000 तक पहुंच गई थी, लेकिन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बादज अमेरिकी सैनिकों की तादात में भारी कमी आई. वर्ष 2015 तक यह घटकर 62,000 रह गई थी. अब ट्रंप प्रशासन के नए फैसले से यूरोप की सुरक्षा नीति एक बार फिर से बड़े बदलाव की ओर जा रही है.


