पहले निर्वासन, फिर अपील... US के बाद अब UK ने भारत को दिया बड़ा झटका, 15 देशों की लिस्ट में हुआ शामिल
ब्रिटेन सरकार ने भारत को उन 23 देशों की सूची में शामिल किया है, जिनके नागरिकों पर अब "पहले निर्वासन, फिर अपील" की नीति लागू होगी. नए नियम के तहत अपराधी को पहले देश वापस भेजा जाएगा और फिर वह अपील कर सकेगा. इस फैसले का उद्देश्य जेलों में भीड़ कम करना और सुरक्षा बढ़ाना है.

UK Deportation Policy India : ब्रिटेन सरकार ने हाल ही में एक बड़ा और भारत के लिए अप्रत्याशित फैसला लिया है. अब भारत को उन 23 देशों की सूची में शामिल कर दिया गया है, जिनके नागरिकों पर "पहले निर्वासन, फिर अपील" की नई नीति लागू होगी. इस नीति के तहत यदि कोई भारतीय नागरिक ब्रिटेन में किसी अपराध में दोषी पाया जाता है, तो उसे पहले देश निकाला दिया जाएगा, और उसके बाद ही वह अपनी सज़ा के खिलाफ अपील कर सकेगा.
मकसद, जेलों में भीड़ घटाने और सुरक्षा
आतंकवादियों और गंभीर अपराधियों को अपवाद
हालांकि, ब्रिटेन सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि जो अपराधी आजीवन कारावास, हत्या या आतंकवाद जैसे गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए हैं, उन्हें निर्वासित करने से पहले ब्रिटेन में अपनी सज़ा पूरी करनी होगी. इनके मामलों में यह नियम तुरंत लागू नहीं होगा.
भारत में निर्णय, जेल या रिहाई का
एक बार निर्वासन होने के बाद, उस व्यक्ति के साथ क्या व्यवहार होगा, यह पूरी तरह भारत सरकार पर निर्भर करेगा. यदि ब्रिटेन से निर्वासित कोई भारतीय अपराधी भारत लौटता है, तो यह भारत तय करेगा कि उसे जेल भेजा जाए या रिहा किया जाए. ब्रिटेन में दोबारा प्रवेश की अनुमति उन्हें नहीं दी जाएगी.
पहले कैसे था सिस्टम?
अब तक, भारत जैसे देशों के नागरिक ब्रिटेन में अपराध के दोषी होने के बावजूद मानवाधिकार कानूनों का हवाला देकर वहां अपील करते रहते थे और लंबे समय तक ब्रिटेन में रुक जाते थे. इससे न केवल कानूनी प्रक्रिया में देरी होती थी, बल्कि जेलों पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता था. अब इस नई नीति से यह प्रवृत्ति समाप्त हो सकती है.
23 देशों की सूची में भारत सहित कई नाम
ब्रिटेन ने पहले केवल 8 देशों – जैसे फिनलैंड, नाइजीरिया, एस्टोनिया, अल्बानिया आदि – पर यह नीति लागू की थी. अब इसमें भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बुल्गारिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, केन्या, लेबनान आदि को भी जोड़ दिया गया है. इस तरह कुल 23 देशों पर यह कानून प्रभावी होगा. गौरतलब है कि यह योजना सबसे पहले 2014 में कंज़र्वेटिव पार्टी के शासनकाल में शुरू की गई थी, जिसे अब 2023 में फिर से लागू किया गया है.


