ड्रोन से ट्रेन तक..., रूस में हर धमाके के पीछे छुपा है ये डिजिटल हथियार
यूक्रेन ने 31 मई से 1 जून के बीच रूस के 4 एयरबेस और एक परमाणु नौसैनिक बेस पर भीषण हमला किया. ड्रोन, वायुसेना, तोपें और एजेंटों के जरिए 13 रूसी प्रांतों में तबाही मचाई गई. पुल गिराए गए, डिफेंस सिस्टम तबाह हुए और कई शहरों में धमाके हुए.

यूक्रेन ने 31 मई की रात रूस के खिलाफ इतिहास का सबसे बड़ा जवाबी हमला शुरू किया. 1 जून तक आते-आते यूक्रेन ने रूस के चार एयरबेस, एक न्यूक्लियर नेवल बेस और दो पुलों को निशाना बना लिया. इन हमलों में ड्रोन, वायुसेना, आर्टिलरी और जमीनी एजेंट्स का समन्वित प्रयोग किया गया. यह ऑपरेशन कई मायनों में इजराइल के 1967 के 'ऑपरेशन फोकस' की याद दिलाता है – जहां खुफिया ताकत और पहले वार की रणनीति से दुश्मन को चौंका दिया गया.
रूस ने मई के आखिरी हफ्ते में यूक्रेन पर अब तक के सबसे भीषण हमले किए थे, लेकिन यूक्रेन ने 13 रूसी प्रांतों में जवाबी हमला करके संतुलन बदल दिया. फ्रंटलाइन से लेकर रूसी शहरों तक यूक्रेनी ड्रोन ब्रिगेड ने तबाही मचाई. Su-27 विमान से GBU-62 बम गिराए गए, Mi-24 हेलिकॉप्टर से हाइड्रा रॉकेट छोड़े गए और कुर्स्क में IED से पुल उड़ाया गया. रूस के टॉर-M2 डिफेंस सिस्टम समेत कई सैन्य ठिकाने और हथियार तबाह हुए.
सीक्रेट कमांड सिस्टम से रूस की नींव हिल गई
सबसे बड़ा हमला ब्रियांस्क और कुर्स्क के दो पुलों पर हुआ. ट्रेनों के नीचे से गुजरते वक्त पुलों को उड़ाया गया जिससे ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतर गए. सात यात्रियों की मौत और पचास से अधिक घायल हो गए. रूस ने आरोप लगाया कि यूक्रेन की खुफिया एजेंसी GUR ने ये सैबटाश कराए हैं, हालांकि यूक्रेन ने इसका खंडन किया है.
ये है Code NATO WiFi की असली ताकत
इसके साथ ही मॉस्को, बेलगोरोद, स्मोलेंस्क जैसे शहरों में भी ड्रोन और एजेंट्स ने बख्तरबंद वाहन और इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट किया. मॉस्को के एक वेयरहाउस में आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूक्रेन को नाटो के CSI सिस्टम से रियल टाइम इंटेलिजेंस और फील्ड कम्युनिकेशन सपोर्ट मिला है. इस 'नाटो वाई-फाई' ने यूक्रेन को पहले से ज्यादा संगठित और प्रभावी बना दिया है.
यूरोप ने कर दिया 'प्लान B' एक्टिव
अमेरिका की हिचक के बीच यूरोप ने 'प्लान B' एक्टिव कर दिया है. फ्रांस और ब्रिटेन की अगुवाई में 'कोलिशन ऑफ विलिंग' अब बिना अमेरिका के ही यूक्रेन को युद्ध लड़ने लायक मदद दे रहा है. इन हमलों से रूस को अबतक का सबसे बड़ा रणनीतिक झटका लगा है और युद्ध की दिशा में निर्णायक मोड़ आ गया है.


