score Card

ओबामा की दोस्ती से ट्रंप के टैरिफ तक... कैसा रहा भारत-अमेरिका व्यापार में सहयोग से टकराव तक का सफर

1 अगस्त 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर कुल 50% टैरिफ लागू कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में खटास आ गई. अमेरिका का आरोप है कि भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद जारी रखने से रूस को युद्ध में मदद मिल रही है. भारत ने इस फैसले को अनुचित बताया, हालांकि उसने वार्ता की संभावनाएं खुली रखी हैं. ट्रंप का यह कदम ओबामा और बाइडन के सहयोगी रवैये से बिल्कुल अलग है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में फिर से तनाव देखा जा रहा है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

India US Trade Tensions : 1 अगस्त 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सभी आयातों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की. इसके कुछ ही समय बाद, एक और 25% का अतिरिक्त शुल्क जोड़ दिया गया. इस अचानक लिए गए फैसले से दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव काफी बढ़ गया है. अमेरिका का कहना है कि भारत द्वारा रूस से लगातार तेल खरीदना, रूस को युद्ध के लिए ताकत दे रहा है. इस कारण अमेरिका ने भारत पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए ये टैरिफ लगाए हैं.

भारत ने फैसले को बताया नजायज और अनुचित

दरअसल, भारत के विदेश मंत्रालय ने इस फैसले की तीखी आलोचना की और इसे "अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यवहारिक" बताया. भारत ने साफ किया कि इस तरह का कदम लंबे समय से चले आ रहे आपसी सहयोग और भरोसे को ठेस पहुंचाता है. हालांकि, भारत ने यह भी कहा कि वह अमेरिका के साथ व्यापारिक बातचीत जारी रखना चाहता है, ताकि विवाद का समाधान निकाला जा सके.

टैरिफ से अमेरिका फिर से महान बन रहा है
आपको बता दें कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इन टैरिफ का बचाव करते हुए दावा किया कि टैरिफ लगाने से अमेरिका को फायदा हो रहा है. उन्होंने कहा, “एक साल पहले अमेरिका एक मरा हुआ देश था, लेकिन अब यह दुनिया का सबसे गर्म और आकर्षक देश बन गया है.” 

ओबामा के दौरान भारत और US के रिश्ते सबसे मजबूत
हालांकि, बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते हुए (2009-2017), भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में ऐतिहासिक उछाल आया था. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति ओबामा के बीच 2013 में हुए समझौते में दोनों देशों ने अगले दशक को व्यापार और सुरक्षा सहयोग के लिहाज से "परिवर्तनकारी" बनाने का संकल्प लिया था. 2000 में जहां दोनों देशों के बीच व्यापार $19 अरब था, वह 2014 तक $100 अरब से ज्यादा हो गया.

US और भारत ने कई मोर्चों पर साथ काम किया 
इस दौर में अमेरिका और भारत ने आपसी निवेश, व्यापार नीति, वित्तीय संस्थानों का सहयोग और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहन जैसे कई मोर्चों पर साथ काम किया. इसके साथ ही भारतीय कंपनियों और छात्रों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दिया. केवल 2014-15 में ही 1.32 लाख भारतीय छात्रों ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था में लगभग $3.6 अरब जोड़े.

बाइडन सरकार में साझेदारी और समाधान 
जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद (2021-2024), भारत-अमेरिका संबंधों ने एक नई दिशा ली. दोनों देशों ने तकनीकी क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाया. वर्ष 2022 में शुरू हुआ "iCET" समझौता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर्स और रक्षा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम था.

भारत और US ने कई पुराने झगड़े का समाधान किया 
इसके अलावा बाइडन प्रशासन ने व्यापारिक विवादों को हल करने पर भी खास ध्यान दिया. 2023 में, अमेरिका और भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चल रहे कई पुराने झगड़ों का समाधान कर लिया. इसके परिणामस्वरूप भारत ने अमेरिका पर लगाए गए कुछ अतिरिक्त टैरिफ हटा लिए और अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादों को बाजार में बेहतर पहुंच दी.

हालांकि, कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई. जैसे कि भारत ने अमेरिकी सामानों के लिए बाजार पहुंच को लेकर सुधार नहीं किया, जिससे जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज़ (GSP) बहाल नहीं हो सका, जिसे ट्रंप ने 2019 में ही रद्द कर दिया था.

भारत का अमेरिका में बढ़ता प्रभाव
बाइडन सरकार के दौरान भारत की आर्थिक भागीदारी अमेरिका में और गहरी होती गई. 2024 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार $212.3 अरब तक पहुंच गया. भारत से अमेरिका को निर्यात में 8.3% की बढ़ोत्तरी हुई, और अमेरिका को भारत का निर्यात $41.5 अरब हो गया. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने 2025 में दिल्ली में कहा कि भारतीय निजी निवेश अब चीन से अधिक है और इससे अमेरिका में 4 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा हुई हैं. इसके अलावा लगभग 2 लाख भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं, जिनसे हर साल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को $7.7 अरब का फायदा हो रहा है.

ट्रंप की वापसी, पुराने रिश्तों पर कड़वाहट
2025 में जब डोनाल्ड ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बने, तो उनके पहले कदमों में ही भारत पर भारी टैरिफ लगाना शामिल था. उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया कि अब उनका रुख सख्त होगा, चाहे वह पुराने साझेदार ही क्यों न हों.

भारतीय उद्योग मंडल (CII) की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कंपनियों ने अब तक अमेरिका में $40 अरब से ज्यादा निवेश किया है और 40 से अधिक अमेरिकी राज्यों में 4.25 लाख से ज्यादा नौकरियां दी हैं. टेक्सास, न्यूयॉर्क, न्यू जर्सी, फ्लोरिडा और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों को इससे सबसे ज़्यादा फायदा हुआ है. इसके अलावा, भारतीय एफडीआई से टेक्सास, जॉर्जिया और न्यू जर्सी जैसे राज्यों में अरबों डॉलर का निवेश हुआ है.

साझेदारी और टकराव के बीच संतुलन की जरूरत
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ता दशकों में विकसित हुआ है, लेकिन ट्रंप की वापसी के बाद यह रिश्ते एक बार फिर चुनौतियों से घिर गए हैं. एक ओर जहां भारत ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था में बड़ा निवेश और योगदान किया है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका की नई नीतियां इस साझेदारी को खतरे में डाल सकती हैं.

हालांकि अतीत में दोनों देशों ने कई बार विवादों को बातचीत से हल किया है, इस बार भी जरूरी है कि भारत और अमेरिका आपसी सम्मान, समझ और सहयोग की भावना से काम लें ताकि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में दोनों की भूमिका और मज़बूत हो सके.

calender
11 August 2025, 04:46 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag