15 अगस्त से अमेरिका में लागू होगी नई आव्रजन नीति, लाखों भारतीयों की नागरिकता पर मंडराया खतरा
15 अगस्त 2025 से लागू नई अमेरिकी आव्रजन नीति के तहत H-1B वीज़ा धारकों के 21 वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चों का ग्रीन कार्ड पाने का मौका खत्म हो सकता है, जिससे विशेषकर भारतीय परिवार प्रभावित होंगे. इससे लगभग 2 लाख बच्चे अप्रवासन प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं.

अमेरिका में 15 अगस्त 2025 से लागू होने वाले आव्रजन नियमों में बदलाव होने जा रहा है. इससे अमेरिका में रहने वाले एच-1बी वीजा धारकों के हजारों बच्चे, विशेषकर भारतीय मूल के ग्रीन कार्ड प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं. यह नया नियम उन बच्चों के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो 21 वर्ष की आयु तक पहुंच रहे हैं.
21 की उम्र में खत्म हो सकता है ग्रीन कार्ड
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) ने घोषणा की है कि अब वह बाल स्थिति संरक्षण अधिनियम (CSPA) के तहत बच्चों की आयु की गणना के लिए राज्य विभाग के वीजा बुलेटिन की अंतिम कार्रवाई तिथि को मानक मानेगा. इसका अर्थ यह है कि 21 वर्ष की उम्र पूरी करते ही, अगर ग्रीन कार्ड प्रक्रिया लंबित है, तो वे आव्रजन अधिकार खो सकते हैं.
नया नियम 15 अगस्त से लागू
यह नीति परिवर्तन 15 अगस्त, 2025 से दाखिल होने वाले नए आवेदनों पर लागू होगा. इससे पहले के आवेदनों पर 14 फरवरी, 2023 को जारी पुरानी नीति ही लागू रहेगी. उस समय, USCIS ने ऐसी व्यवस्था दी थी जिसमें माता-पिता के ग्रीन कार्ड आवेदन के समय ही बच्चों की आयु को फ्रीज कर दिया जाता था.
भारतीयों पर सबसे अधिक असर
भारत एच-1बी वीजा धारकों का सबसे बड़ा स्रोत देश है. वित्त वर्ष 2023 में स्वीकृत एच-1बी वीजा में 73% भारतीयों के नाम रहे. यही कारण है कि यह बदलाव भारतीय प्रवासी समुदाय को सबसे अधिक प्रभावित करेगा. ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया पहले से ही अत्यधिक लंबी होने के कारण, कई बच्चों की उम्र सीमा पार हो रही है.
200000 से अधिक बच्चों पर असर
रिपोर्ट के अनुसार, इस नीति परिवर्तन से लगभग 2 लाख बच्चे और युवा प्रभावित हो सकते हैं, जिनमें से कई अमेरिका में ही पले-बढ़े हैं. जैसे ही वे 21 वर्ष के होते हैं, उन्हें कानूनी स्थिति खोने और अमेरिका छोड़ने की नौबत आ सकती है.
अमेरिकी बच्चे पीछे छूटेंगे
पूर्व DHS अधिकारी डग रैंड ने कहा कि इन बच्चों को तकनीकी रूप से अमेरिकन माना जा सकता है, लेकिन उन्हें अब ग्रीन कार्ड के लिए लाइन में पीछे हटना पड़ेगा. भारत जैसे देशों के लिए ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा एक दशक से भी अधिक लंबी है, जबकि अन्य देशों जैसे जर्मनी के लिए यह सिर्फ एक साल है.
असाधारण परिस्थितियों पर राहत की गुंजाइश
USCIS ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई आवेदक असाधारण परिस्थितियां दिखाता है और वीजा उपलब्ध होने के एक साल के भीतर आवेदन नहीं कर पाता, तो उसे पुरानी नीति के तहत राहत मिल सकती है.
ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में भेदभाव की आलोचना
इस नीति के आलोचकों का कहना है कि यह डोनाल्ड ट्रंप की सख्त आव्रजन नीति के अनुरूप है और इससे अमेरिका की न्यायपूर्ण आव्रजन प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं. भारत के एक मिलियन से अधिक नागरिक इस समय EB-1, EB-2 और EB-3 ग्रीन कार्ड श्रेणियों में लंबी प्रतीक्षा में फंसे हुए हैं.


