भारत के 500 रुपए की चीन में कितनी हो जाती है वैल्यू? जानें करेंसी का अंतर
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन पहुंचे और शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) कॉन्क्लेव में हिस्सा लिया. राष्ट्रपति शी जिनपिंग और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. चलिए जानते हैं, भारत के 500 रुपए चीन में जाकर कितने हो जाते हैं.

Indian Currency Value in Chinese Yuan: चीन के दौरे पर पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) की महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तथा विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. वर्ष 2019 के बाद यह पहला मौका है जब किसी भारतीय विदेश मंत्री ने चीन की धरती पर कदम रखा है. यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने की दिशा में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है, विशेषकर ऐसे समय में जब कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली भी दोनों देशों के बीच भरोसे की नई शुरुआत के रूप में देखी जा रही है.
भारत और चीन की करंसी की तुलना को लेकर. सवाल उठ रहा है कि भारत का ₹500 लेकर यदि आप चीन जाते हैं, तो वहां उसकी कितनी कीमत होगी? इस सवाल के जरिए यह समझने का प्रयास भी हो रहा है कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्थिति में क्या फर्क है.
भारत का ₹500 चीन में कितना युआन बनता है?
भारतीय रुपये की तुलना में चीनी युआन काफी मजबूत मुद्रा मानी जाती है. वर्तमान विनिमय दर के अनुसार, भारत के 500 रुपये चीन में जाकर लगभग 41.77 युआन (CNY) के बराबर होते हैं. यह साफ दर्शाता है कि चीनी करंसी की क्रय शक्ति और स्थिरता भारत के मुकाबले कहीं अधिक है.
कैसी है चीन की करेंसी?
चीन की आधिकारिक मुद्रा रॅन्मिन्बी (Renminbi) है, जिसे आमतौर पर युआन (Yuan) कहा जाता है. इसका शॉर्ट फॉर्म CNY है और प्रतीक चिन्ह ¥ के रूप में दर्शाया जाता है. इस मुद्रा को पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना नियंत्रित करता है, और इसे दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी व्यापारिक मुद्रा माना जाता है.
कौन से फैक्टर तय करते हैं किसी करंसी की ताकत?
- एक्सचेंज रेट- किसी करंसी का विनिमय दर जितना कम होता है, उसकी ताकत उतनी ही कम मानी जाती है.
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फॉरेक्स रिजर्व- चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत से कई गुना ज़्यादा है, जिससे युआन अधिक स्थिर और शक्तिशाली बनता है.
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महंगाई दर- कम महंगाई वाले देशों की करंसी अधिक मजबूत होती है क्योंकि समय के साथ उसकी क्रय शक्ति नहीं घटती.
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ग्लोबल डिमांड- जिस करंसी में ज्यादा लेन-देन होता है, उसकी वैश्विक मांग भी अधिक होती है. इस मामले में अमेरिकी डॉलर सबसे ऊपर है.
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आर्थिक स्थिरता- स्थिर अर्थव्यवस्था, विश्वसनीय बैंकिंग प्रणाली और निवेश के अनुकूल माहौल किसी भी करंसी को मज़बूती प्रदान करता है.
भारत और चीन के संबंधों का नया दौर?
जयशंकर की यात्रा और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली इस ओर संकेत करती है कि दोनों देश संबंधों को पटरी पर लाने के इच्छुक हैं. व्यापार, निवेश और रणनीतिक मुद्दों पर संवाद की प्रक्रिया को फिर से सक्रिय करने की दिशा में यह एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है.


