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India-America Export: अमेरिका को एक्सपोर्ट बढ़ाने की तैयारी में भारत, जल्द हो सकती है मिनी ट्रेड डील

भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक मिनी ट्रेड डील होने की संभावना जताई जा रही है. भारत सरकार इस समय अमेरिका जैसे विशाल और महत्त्वपूर्ण बाजार में अपने निर्यात को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रही है. दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही मज़बूत हैं, लेकिन अब सरकार उन्हें एक नई दिशा में ले जाने की कोशिश कर रही है ताकि भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाज़ार में और अधिक जगह मिल सके.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक मिनी ट्रेड डील की उम्मीद जताई जा रही है. भारत सरकार अब अमेरिका जैसे बड़े और महत्त्वपूर्ण बाजार में अपने निर्यात को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. आइए जानते है इस खबर को विस्तार से... 

US भारतीय उत्पादों का एक बड़ा उपभोक्ता

आपको बता दें कि अमेरिका भारतीय उत्पादों का एक बड़ा उपभोक्ता है और वहां भारतीय निर्यातकों के लिए अपार संभावनाएं मौजूद हैं. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन्स (FIEO) ने एक विस्तृत सूची तैयार की है जिसमें उन उत्पादों को शामिल किया गया है जिनका अमेरिका को निर्यात बढ़ाया जा सकता है.

408 वस्तुओं की सूची, टैक्स घटाने की मांग

दरअसल, FIEO ने कुल 408 ऐसे उत्पादों की पहचान की है जिनका व्यापार भारत-अमेरिका संबंधों के लिए बहुत अहम माना जा रहा है. इन उत्पादों में से 300 से अधिक वस्तुएं ऐसी हैं जिन्हें अमेरिका में बड़े पैमाने पर बेचा जा सकता है. इनमें स्मार्टफोन, दवाइयां, फ्रोजन झींगा, हीरे, कालीन, शहद, टॉयलेट लिनेन और चावल जैसी वस्तुएं शामिल हैं. संगठन चाहता है कि सरकार इन वस्तुओं पर लगने वाले उच्च टैरिफ या आयात शुल्क को कम करने के लिए अमेरिका से बातचीत करे ताकि भारतीय निर्यातक प्रतिस्पर्धा में बने रहें.

झींगा, शहद और दवाइयों का US में खास महत्व

भारत के निर्यात में दवाइयों की बड़ी हिस्सेदारी है और अमेरिका इस क्षेत्र का प्रमुख खरीदार है. वहीं, झींगे के मामले में भारत का अमेरिकी बाजार में लगभग 40% हिस्सा है, जो इसे एक प्रमुख समुद्री उत्पाद बनाता है. शहद का भारत के कुल निर्यात में भले ही छोटा योगदान हो, लेकिन अमेरिका को निर्यात किए गए शहद में भारत की हिस्सेदारी लगभग 25% है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि इन क्षेत्रों में भारत को पर्याप्त लाभ मिले और आयात शुल्क की दरें भारत के अनुकूल हों.

चमड़ा, जूते और इंजीनियरिंग सामान भी शामिल

FIEO की सूची में न केवल खाद्य और औषधि उत्पाद हैं, बल्कि कपड़ा, चमड़ा, फुटवियर, रसायन, बिजली से जुड़े सामान और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं. ये ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत पारंपरिक रूप से मजबूत रहा है और इनका उत्पादन श्रम-प्रधान होता है. यही वजह है कि भारत सरकार लंबे समय से इन वस्तुओं पर आयात शुल्क में छूट की मांग कर रही है. उदाहरण के तौर पर, अमेरिका भारत से आने वाले झींगा और कालीन जैसे उत्पादों पर 26% तक का टैरिफ लगाता है, जो भारत के निर्यातकों के लिए नुकसानदेह है क्योंकि अन्य देशों के उत्पादकों को यह टैक्स कम देना पड़ता है.

टैरिफ को लेकर ट्रंप प्रशासन का दबाव

भारत और अमेरिका के बीच जो ट्रेड डील प्रस्तावित है, उसके पीछे एक महत्वपूर्ण वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अगस्त से कुछ वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी है. भारत की तरफ से वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में एक टीम अमेरिका के अधिकारियों से बातचीत कर रही है ताकि इस डील को अंतिम रूप दिया जा सके और भारत के निर्यातकों को नुकसान से बचाया जा सके.

ब्रिक्स देशों पर अधिक TAX

हालांकि इस संभावित समझौते को लेकर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है. भारत अभी कुछ कृषि और डेयरी उत्पादों पर छूट देने के पक्ष में नहीं है, जिससे बातचीत में रुकावट आ रही है. इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन की नीतियों से अतिरिक्त दबाव भी महसूस किया जा रहा है. ट्रंप ने यह भी चेतावनी दी है कि जो देश ब्रिक्स जैसे समूहों के करीब हैं या रूस से तेल खरीदते हैं, उनके खिलाफ अधिक टैक्स या प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. भारत सरकार के कुछ अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका की ओर से जो मांगें सामने रखी जा रही हैं, वे स्पष्ट नहीं हैं और इनमें पारदर्शिता की कमी है.

दोनों देशों के बीच समझौते की उम्मीद

भारत और अमेरिका के बीच संभावित ट्रेड डील को लेकर आशा तो है, लेकिन साथ ही कई सवाल और शर्तें भी हैं जिनपर सहमति बनाना जरूरी होगा. भारत को अपने निर्यातकों के हितों को सुरक्षित रखते हुए अमेरिका से लाभप्रद समझौता करना होगा. वहीं अमेरिका चाहता है कि भारत कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में और रियायत दे. यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश अपनी-अपनी प्राथमिकताओं को कैसे संतुलित करते हैं और क्या यह मिनी ट्रेड डील वास्तव में बड़े बदलाव की दिशा में पहला कदम बन पाएगी.

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14 July 2025, 01:17 PM IST

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