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US से डील करने में भारत फेल... ट्रंप के 20 प्रतिशत टैरिफ के बावजूद यूनुस सरकार खुश, भारत पर कसा तंज

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 70 से अधिक देशों पर नए टैरिफ लगाए हैं, जिसमें भारत पर 25% और बांग्लादेश पर 20% शुल्क लगाया गया है. बांग्लादेश ने इसे अपनी कूटनीतिक सफलता बताया, जबकि भारत ने संतुलित प्रतिक्रिया दी. विशेषज्ञों के अनुसार, इससे भारत के कई निर्यात क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं. अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में तनाव की संभावना है, लेकिन भारत ने राष्ट्रीय हितों की रक्षा की प्रतिबद्धता जताई है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त की समय सीमा से ठीक पहले एक बड़ा आर्थिक फैसला लेते हुए 70 से अधिक देशों पर 10% से लेकर 41% तक के टैरिफ (आयात शुल्क) लागू करने की घोषणा की है. इस फैसले के बाद दुनियाभर के कई देशों के व्यापार और कूटनीतिक रिश्तों पर असर पड़ने की संभावना है.

भारत करेगा 25% टैरिफ का सामना

इस नई नीति में भारत पर 25% टैरिफ लागू किया गया है, जबकि बांग्लादेश पर 20%. यही कारण है कि बांग्लादेश की सरकार इसे अपनी कूटनीतिक जीत बता रही है और भारत की ओर तंज कस रही है. भारत को यह उच्च दर इसलिए दी गई क्योंकि वह अमेरिका के साथ व्यापक व्यापार समझौते (Comprehensive Trade Agreement) पर सहमति नहीं बना सका.

व्यापार असंतुलन और राष्ट्रीय सुरक्षा पर फोकस
आपको बता दें कि राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत यह टैरिफ नीति लागू की गई है. इसमें सिर्फ टैक्स दरें नहीं बदली गई हैं, बल्कि यह अमेरिकी नीति का हिस्सा है जो व्यापार में असंतुलन, गैर-टैरिफ बाधाएं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है. दक्षिण अफ्रीका पर 30%, कनाडा पर 35% और स्विट्जरलैंड पर सबसे अधिक 39%.

बांग्लादेश की यूनुस सरकार की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉ. खलिलुर रहमान ने इसे देश की रणनीतिक सफलता बताया. उन्होंने कहा "हमने अमेरिकी कृषि उत्पादों की खरीद के जरिए संतुलन बनाए रखा और टैरिफ को 35% से घटाकर 20% पर रोक दिया. इससे हमारे कपड़ा उद्योग और उस पर निर्भर लाखों लोगों को राहत मिलेगी." उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के साथ उनके सकारात्मक रुख से खाद्य सुरक्षा और अमेरिकी कृषि राज्यों से संबंध भी बेहतर हुए हैं.

समझौता नहीं कर पाए, इसलिए झेलना पड़ा 25% टैक्स
यूनुस सरकार ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भारत अमेरिका के साथ समझौता करने में नाकाम रहा, जबकि बांग्लादेश ने समय रहते रणनीतिक बातचीत की और अपने उद्योग की सुरक्षा की. इस बयान को कूटनीतिक रूप से आक्रामक माना जा रहा है, क्योंकि इसमें भारत की 'असफलता' पर खुला तंज कसा गया है.

भारत ने संतुलित और शांत रवैया अपनाया
भारत सरकार ने इस फैसले पर फिलहाल शांत और संतुलित प्रतिक्रिया दी है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा "हम इस फैसले का प्रभाव गहराई से समझने का प्रयास कर रहे हैं. भारत निष्पक्ष व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध है और अपने MSME, किसानों और उद्यमियों के हितों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है." भारत ने हाल ही में ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता भी किया है, जिसे अपनी रणनीतिक क्षमता का उदाहरण बताया गया.

भारत के निर्यात पर पड़ेगा सीधा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि 25% टैरिफ से भारत के कई मुख्य निर्यात क्षेत्रों को नुकसान होगा, जैसे फार्मा उद्योग, कपड़ा और परिधान, हीरे और आभूषण, चाय और मसाले. 2024 में भारत-अमेरिका के बीच कुल व्यापार 129.2 अरब डॉलर का था, जिसमें से भारत का निर्यात हिस्सा 87.4 अरब डॉलर था. अब टैरिफ बढ़ने से भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाज़ार में कम प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं.

पाकिस्तान और बांग्लादेश को मिली राहत
ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के साथ तेल भंडारण समझौते के चलते उसका टैरिफ 29% से घटाकर 19% कर दिया है. इसी तरह बांग्लादेश को 35% से घटाकर 20% पर लाया गया है. इन दोनों देशों को दी गई रियायतों ने भारत और अमेरिका के बीच तनाव की संभावनाएं बढ़ा दी हैं. हालांकि इस आदेश में भारत द्वारा रूसी सैन्य उपकरण और ऊर्जा खरीद पर कोई स्पष्ट जुर्माना नहीं लगाया गया है, लेकिन टैरिफ दरों से संकेत मिलता है कि अमेरिका इस विषय को लेकर गंभीर है.

भारत के लिए यह टैरिफ चेतावनी
भारत पर लगे 25% टैरिफ को सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है. भारत को अब अपने निर्यात नीति, वैश्विक साझेदारी और रणनीतिक संवाद को नए सिरे से मजबूत करने की आवश्यकता है.

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01 August 2025, 07:24 PM IST

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