तेहरान पर इजरायली हमले में ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ की मौत, ईरानी सेना को बड़ा झटका
Israel Attacks Iran: ईरान ने पुष्टि की है कि उसके सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी इजरायल के प्रीएंप्टिव एयरस्ट्राइक में मौत हो गई. शुक्रवार को तेहरान पर किए गए इस हमले में ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया. ईरानी सरकारी मीडिया ने बाघेरी की मौत की पुष्टि की है, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है.

Israel Attacks Iran: इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ने पुष्टि की है कि उसके सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघेरी (Mohammad Bagheri) इजरायल द्वारा तेहरान पर किए गए प्रीएंप्टिव स्ट्राइक में मारे गए हैं. ईरान के आधिकारिक प्रसारक प्रेस टीवी ने बाघेरी की मौत की पुष्टि की है, जिससे मध्य-पूर्व में पहले से भड़क रही स्थिति और गंभीर हो गई है.
एक इजरायली सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को ईरान पर किए गए हमले में संभवतः मोहम्मद बाघेरी को मार गिराया गया है. यह हमला उस समय हुआ जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्षेत्र में संभावित बड़े पैमाने पर संघर्ष की चेतावनी दी थी.
न्यूक्लियर ताकत को बनाया निशाना
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल का यह अभियान ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम के दिल पर हमला करने के लिए चलाया गया था. इजरायली वायुसेना ने नतांज स्थित परमाणु सुविधा और कई प्रमुख वैज्ञानिकों को निशाना बनाया.
इस हमले में न सिर्फ सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, बल्कि ईरान की राजधानी तेहरान के रिहायशी इलाकों पर भी बमबारी हुई. ईरानी मीडिया ने बताया कि कई नागरिकों की मौत हुई है, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. इसके साथ ही ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख होसेन सलामी के मारे जाने की भी खबर है.
कौन थे मोहम्मद बाघेरी?
मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी थे. वह तेहरान में जन्मे थे और उनका असली नाम मोहम्मद-हुसैन अफशोर्दी था. उनकी जन्मतिथि को लेकर अलग-अलग स्रोतों में विरोध है – कुछ रिपोर्ट्स में 1960, तो कुछ में 1958 बताया गया है.
बाघेरी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) से जुड़े हुए थे और 2016 से ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ के पद पर कार्यरत थे, जो देश की सर्वोच्च सैन्य पोस्ट मानी जाती है.
युद्ध विशेषज्ञ और खुफिया रणनीतिकार
मोहम्मद बाघेरी ने 1980 में IRGC जॉइन किया और ईरान-इराक युद्ध में सक्रिय भागीदारी निभाई. उन्होंने इंजीनियरिंग में डिग्री और फिर तरबियत-ए-मोदारस यूनिवर्सिटी से राजनीतिक भूगोल में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की.
28 जून 2016 को उन्हें डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ से प्रमोट कर जनरल स्टाफ का चेयरमैन बनाया गया, उन्होंने हसन फिरोज़ाबादी का स्थान लिया, जो 27 वर्षों से उस पद पर थे.
अमेरिका की नजर में खतरनाक नेटवर्क का हिस्सा
बाघेरी और अन्य कमांडर्स जैसे मोहम्मद अली जाफरी, अली फदवी और गोलाम अली राशिद को अमेरिकी थिंक टैंक AEI (American Enterprise Institute) ने IRGC कमांड नेटवर्क का हिस्सा बताया है. यह समूह ईरान की सैन्य योजनाओं, खुफिया अभियानों, गुप्त और अनियमित युद्ध संचालन तथा आंतरिक सुरक्षा को नियंत्रित करता है.
बाघेरी की गतिविधियां 1979 की इस्लामिक क्रांति से जुड़ी रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वे उन छात्रों में शामिल थे जिन्होंने अमेरिकी दूतावास पर हमला किया था. उनका दावा है कि वे युद्ध की सभी बड़ी सैन्य कार्यवाहियों का हिस्सा रहे, सिवाय कुछेक के.
उनके बड़े भाई हसन बाघेरी (असली नाम गोलाम-हुसैन अफशोर्दी), ईरान-इराक युद्ध के दौरान एक प्रमुख IRGC कमांडर थे, जो उसी युद्ध में मारे गए थे.
AEI की रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद बाघेरी ने युद्ध की उच्च स्तरीय रणनीतिक बैठकों में भाग लिया, जहां उनकी मुलाकात ईरानी सैन्य नेतृत्व के उभरते चेहरों से हुई थी, जिनमें कासिम सुलेमानी भी शामिल थे. सुलेमानी को 3 जनवरी 2020 को अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक में मार दिया गया था.


