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दुनिया की दो-तिहाई आबादी को उपलब्ध नहीं है मेडिकल ऑक्सीजन, भारत को लेकर रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं सहित एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा है कि यह कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन की कमी और इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मौतों की पुनरावृत्ति को रोकने में मदद करके किसी देश की महामारी संबंधी तैयारियों के लिए भी महत्वपूर्ण है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

दुनिया भर में पांच अरब लोग या लगभग दो-तिहाई आबादी की मेडिकल ऑक्सीजन तक पहुंच नहीं है और निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में सबसे अधिक असमानताएं हैं. लांसेट कमीशन की एक नई रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है.

मेडिकल ऑक्सीजन सुरक्षा पर ‘लांसेट ग्लोबल हेल्थ कमीशन’ की रिपोर्ट में पहली बार विश्व स्तर पर अनुमान जताया गया है कि मेडिकल ऑक्सीजन का वितरण कितना असमान है, जरूरतमंद मरीजों के कवरेज में कितना अंतर है, तथा इस अंतर को पाटने के लिए कितने धन की आवश्यकता है. मेडिकल ऑक्सीजन सर्जरी, दमा, हार्ट अटैक के मरीजों के उपचार तथा मातृ एवं शिशु देखभाल के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में आवश्यक है.

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं सहित एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा है कि यह कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन की कमी और इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मौतों को रोकने में मदद करके किसी देश की महामारी संबंधी तैयारियों के लिए भी महत्वपूर्ण है.

इन देशों के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया भर में मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता वाले 82 प्रतिशत मरीज निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में रहते हैं, तथा लगभग 70 प्रतिशत दक्षिण एवं पूर्वी एशिया, प्रशांत और उप-सहारा अफ्रीका में केंद्रित हैं.

इन मरीजों में वे लोग शामिल हैं, जिनकी चिकित्सा और सर्जरी संबंधी गंभीर स्थिति है, तथा जिन्हें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के कारण लंबे समय तक मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. हालांकि, चिकित्सा या सर्जरी संबंधी स्थितियों के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता वाले तीन में से एक से भी कम व्यक्ति को मेडिकल ऑक्सीजन मिल पाती है, जिससे लगभग 70 प्रतिशत रोगी कवरेज से वंचित रह जाते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि उप-सहारा अफ्रीका (91 प्रतिशत) और दक्षिण एशिया (78 प्रतिशत) सहित कुछ क्षेत्रों में यह अंतर और भी अधिक है.

भारत को लेकर रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

रिपोर्ट के साथ एक ‘केस स्टडी’ में, शोधकर्ताओं ने भारत में मेडिकल ऑक्सीजन के बारे भी बात की है. विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान जैसा देखा गया. ‘वन हेल्थ ट्रस्ट, इंडिया’ की टीम ने लिखा है, ‘‘महामारी का विनाशकारी प्रभाव न केवल संक्रमण की दर और बीमारी की गंभीरता के कारण हुआ, बल्कि मेडिकल ऑक्सीजन जैसे जीवन रक्षक संसाधनों की भारी कमी के कारण भी हुआ.’’ उन्होंने कहा कि कोविड-19 से पहले अस्पताल अपनी मेडिकल ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर थर्ड पार्टी निर्भर थे, महामारी के दौरान मांग में वृद्धि के कारण कालाबाजारी और जमाखोरी को बढ़ावा मिला.

रिपोर्ट में दिया गया सुझाव

शोधकर्ताओं ने कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन के लिए सोशल मीडिया पर भी अनुरोध किए जा रहे थे और कुछ मामलों में, अदालत ने ऑक्सीजन के लिए आपूर्ति एजेंसियों और सरकार के खिलाफ आदेश जारी करके हस्तक्षेप किया. कमीशन की रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि किस प्रकार सरकारें, उद्योग, वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियां, शैक्षणिक संस्थान और नागरिक संस्थाएं मिलकर चिकित्सकीय ऑक्सीजन तक पहुंच प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत कर सकती हैं.
 

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18 February 2025, 04:59 PM IST

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