सीरिया के लिए मैदान में उतरे मोहम्मद बिन सलमान, इजराइल को दी चेतावनी
सीरिया के दक्षिणी प्रांत स्वीदा में इन दिनों भीषण सांप्रदायिक हिंसा ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है. यह हिंसा मुख्य रूप से ड्रूज और बेदौइन समुदायों के बीच शुरू हुई, जो अब बेकाबू होती जा रही है. झड़पों की तीव्रता इतनी अधिक है कि अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं. यह इलाका न केवल जातीय रूप से संवेदनशील है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसकी सीमा सीधे इजराइल से लगती है.

सीरिया के दक्षिणी क्षेत्र स्वीदा में इन दिनों गहरी सांप्रदायिक हिंसा देखी जा रही है. यह हिंसा ड्रूज़ और बेदौइन समुदायों के बीच हुई, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है. हिंसा इतनी भीषण रही कि अब तक करीब सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. यह इलाका रणनीतिक रूप से बेहद अहम है क्योंकि यह इजराइल की सीमा से सटा हुआ है. हालात इतने बिगड़ गए कि सीरियाई सेना को दखल देना पड़ा. लेकिन सेना के पहुंचते ही इजराइल ने उस पर हमले शुरू कर दिए, जिससे संघर्ष और अधिक जटिल हो गया.
सऊदी अरब ने इजराइल के हमलों की निंदा की
सीरियाई सेना का क्षेत्र में हस्तक्षेप करना इजराइल को रास नहीं आया. वह लंबे समय से चाहता है कि सीरिया की सेना उसकी सीमाओं से दूर रहे. इसी कारण, जैसे ही सीरियाई बल वहां सक्रिय हुए, इजराइली सेना ने उन पर हमले शुरू कर दिए. इस पूरे घटनाक्रम पर सऊदी अरब ने कड़ी आपत्ति जताई है. मंगलवार को सऊदी विदेश मंत्रालय ने इजराइल के हमलों की कड़ी निंदा की और सीरियाई सरकार द्वारा क्षेत्र में शांति बहाल करने के प्रयासों का समर्थन किया. सऊदी ने स्पष्ट कहा कि वह सीरिया की एकता, संप्रभुता और नागरिक शांति बनाए रखने के हर प्रयास के साथ खड़ा है.
सालों बाद सीरिया में एक नया नेतृत्व सामने आया
बशर अल-असद के लंबे शासनकाल और गृहयुद्ध के वर्षों के बाद, सीरिया में अब एक नया नेतृत्व उभरकर सामने आया है. वर्तमान राष्ट्रपति अहमद अल-शरा को लेकर माना जाता है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान उन्हें अपने छोटे भाई की तरह मानते हैं. अल-शरा की सत्ता में मौजूदगी सऊदी अरब के लिए एक भरोसेमंद अवसर है, जहां वह न केवल सीरिया की आंतरिक स्थिरता में योगदान दे रहा है, बल्कि पूरे क्षेत्र में अपनी कूटनीतिक पकड़ भी मजबूत कर रहा है.
अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत की कोशिशें
गृहयुद्ध की मार झेलने के बाद भी सीरिया को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर अमेरिका की ओर से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध. ये प्रतिबंध सीरिया के पुनर्निर्माण और विकास की राह में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं. इसे देखते हुए सऊदी क्राउन प्रिंस ने डोनाल्ड ट्रंप के मध्य पूर्व दौरे के समय विशेष पहल की. उन्होंने न केवल प्रतिबंधों को हटवाने की कोशिश की, बल्कि कतर के सहयोग से सीरिया का विदेशी कर्ज भी चुकाया गया. इतना ही नहीं, क्राउन प्रिंस ने अहमद अल-शरा को ट्रंप से व्यक्तिगत रूप से मिलवाकर वैश्विक मंच पर उन्हें एक पहचान भी दिलाई.
ईरान के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति
सीरिया में सऊदी अरब की भूमिका सिर्फ मानवीय सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक स्पष्ट भू-राजनीतिक रणनीति भी दिखाई देती है. बशर अल-असद के शासनकाल में सीरिया ईरान के प्रभाव में था, जिससे सऊदी अरब हमेशा असहज रहा. लेकिन अब जब सीरिया में एक सुन्नी नेतृत्व है और अल-शरा सऊदी अरब के सहयोग से शासन चला रहे हैं, तो इससे ईरान की भूमिका काफी हद तक सीमित हो गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब इस रणनीति के ज़रिए मध्य पूर्व में ईरान के प्रभाव को कम करने में सफल हो रहा है और अपनी पकड़ मजबूत बना रहा है.
सीरिया एक बार फिर वैश्विक राजनीति के केंद्र में
स्वीदा की हालिया हिंसा और उसमें शामिल अंतरराष्ट्रीय ताकतों की भूमिका यह साफ संकेत देती है कि सीरिया एक बार फिर वैश्विक राजनीति के केंद्र में है. जहां एक ओर देश आंतरिक स्थिरता पाने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर बाहरी शक्तियों की दखलअंदाज़ी इस प्रक्रिया को और जटिल बना रही है. वैसे देखा जाए तो सऊदी अरब के द्वारा शांति के लिए किए जा रहे प्रयास सकारात्मक माने जा रहे हैं. लेकिन जब तक अमेरिका, ईरान और इजराइल जैसे देशों की नीतियाँ समन्वय नहीं आतीं, तब तक सीरिया में स्थायी शांति एक चुनौती बनी रहेगी.


