टूटते पाकिस्तान को जोड़ने की आखिरी चाल: पहलगाम में खून बहाकर क्या वाकइ कुछ हासिल होगा?
आंतरिक बिखराव से जूझ रहे पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर के नाम पर खून साजिश रची. पहलगाम में निर्दोषों का कत्लेआम कर उसने देश में फर्जी ऐकता पैदा करने और इंटरनेशनल मंचों पर सहानुभूति बटोरने का आखिरी दांव खेला है.

नई दिल्ली. Jammu and Kashmir के पहलगाम में पाकिस्तान प्रेरित आतंकियों ने एक दिल दहला देने वाला हमला किया है. इस हमले में Terrorists ने पहले पर्यटकों से उनका धर्म पूछा और फिर उन्हें बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. देशभर से आए 26 innocent people इस हमले में मारे गए हैं. इस नृशंस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है. Prime Minister Narendra Modi ने चेतावनी देते हुए कहा है कि भारत का जवाब कल्पना से भी परे होगा. वहीं, पाकिस्तान ने हमेशा की तरह अपनी भूमिका से इंकार किया है. हालांकि, United nations security council में पाकिस्तान की लॉबिंग और 'द रेजिस्टेंस फोर्स' के नाम हटवाने की कोशिश से उसकी साजिश साफ झलकती है.
पाकिस्तान की सोची-समझी साजिश
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान ने यह हमला पूरी रणनीति के तहत कराया है. दरअसल, पाकिस्तान के अंदरूनी हालात बेहद खराब हैं. खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और सिंध में अलग-अलग आंदोलनों ने सरकार की नींव हिला दी है. बलूचिस्तान में ट्रेनें तक बंधक बनाई जा रही हैं और सिंध में जलस्रोतों को लेकर भारी विरोध है. इन प्रांतों में स्थानीय असंतोष लगातार बढ़ रहा है. पाकिस्तान को डर है कि देश के टुकड़े हो सकते हैं. ऐसे में कश्मीर और इस्लाम के नाम पर एक कृत्रिम राष्ट्रवाद को हवा देने की कोशिश हो रही है. पहलगाम हमला इसी एजेंडे का हिस्सा है ताकि देश के भीतर असंतोष को दबाया जा सके और ध्यान भटकाया जा सके.
इस्लाम के आवरण में छिपाई सच्चाई
पाकिस्तान हमेशा से इस्लाम को एकता का आधार बनाता आया है. जब-जब बलूच, सिंधी, पख्तून जैसी अस्मिताएं मजबूत हुई हैं, तब-तब इस्लामिक भावनाओं को उभारकर आंतरिक संघर्षों को ढकने की कोशिश की गई है. पहलगाम हमले से ठीक पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने द्विराष्ट्र सिद्धांत का हवाला दिया था. यह भी इसी रणनीति का हिस्सा था. पाकिस्तान सोचता है कि हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण से वह आंतरिक असंतोष को काबू में कर सकता है. लेकिन वास्तविकता यह है कि पंजाब को छोड़कर बाकी प्रांतों में विरोध चरम पर है और यह सच्चाई छुपाई नहीं जा सकती.
हमास-अटैक से हो रही तुलना
Israel ने पहलगाम हमले की तुलना हमास के 7 अक्टूबर, 2023 के हमले से की है. यह तुलना सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि strategic approach से भी उचित है. जिस तरह हमास ने गाजा मुद्दे के दबने के डर से हमला किया था, उसी तरह Pakistan को भी डर है कि कश्मीर मुद्दा वैश्विक मंच से गायब हो सकता है. भारत और अमेरिका के मजबूत होते रिश्ते और चीन से रिश्तों में आई स्थिरता ने पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ा दी है. इसी हताशा में पाकिस्तान ने Bloody game खेला है, जिसकी कीमत अब उसे चुकानी पड़ सकती है.


