पुतिन से बात करते सामने से गुजर गए PM मोदी, कोने में टकटकी लगाए खड़े रहे शहबाज, Video
तियानजिन में चल रहे SCO समिट में प्रधानमंत्री मोदी, रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक साथ अनौपचारिक बातचीत की. वहीं पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ अकेले नजर आए.

SCO Summit 2025: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे अंतराल के बाद चीन पहुंचे हैं जहां वे त्येनजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की मीटिंग में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन समेत कई देशों के नेताओं से मुलाकात की. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उस पल के लेकर हो रही है जब पीएम मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए बगल से निकल गए.
डिनर से लेकर सभा औपचारिक तक मोदी और शहबाज शरीफ एक ही हॉल में मौजूद थे मगर प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे दूरी बनाए रखी. इस कदम से पाकिस्तान को साफ संकेत मिल गया कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर किसी तरह की नरमी दिखाने वाला नहीं है.
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi, Russian President Vladimir Putin and Chinese President Xi Jinping had a candid interaction as the world leaders arrived at the venue of the Shanghai Cooperation Council (SCO) Summit in Tianjin, China. pic.twitter.com/d3wzxh833d
— ANI (@ANI) September 1, 2025
डिनर में आमने-सामने लेकिन दूरी बरकरार
खबरों के मुताबिक एससीओ समिट के डिनर के दौरान पीएम मोदी और शहबाज शरीफ दोनों मौजूद थे. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई नेताओं से काफी बातचीत की लेकिन शहबाज की तरफ उन्होंने नजर तक नहीं डाली. सामने आई तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि मोदी अन्य नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और शहबाज शरीफ पास के पास से निकल गए लेकिन देखा तक नही.
आतंकवाद पर कड़ा रुख बरकरार
पीएम मोदी का यह रुख पाकिस्तान के लिए स्पष्ट संदेश माना जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने बिना कुछ कहे यह बता दिया कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. भारत की ओर से यह संकेत है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर अपना रवैया नहीं बदल सकता है. तो दोनों देशों के बीच संवाद की कोई गुंजाइश नहीं है.
अंतरराष्ट्रीय मंच से पाकिस्तान को संदेश
एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंच पर पाकिस्तान को नजरअंदाज करना सिर्फ कूटनीतिक व्यवहार नहीं बल्कि रणनीतिक संकेत भी है. यह साफ करता है कि भारत अपनी विदेश नीति में आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा.


