ट्रंप के खेल से रूस को होगा फायदा, यूक्रेन के हाथ रहेंगे खाली, युद्धविराम पर अभी छाए रहेंगे काले बादल
रूस के एक बड़े हिस्से पर यूक्रेन का नियंत्रण हो चुका है। रूस साफ कर चुका है कि उसे हर हाल में कुर्स्क चाहिए। लेकिन सवाल ये है कि यूक्रेन इसे कैसे वापस करे? बदले में रूस, यूक्रेन को क्या देगा? लिहाजा भले ही रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन पर शांति प्रस्ताव पास भी हो जाए, लेकिन युद्ध तभी खत्म हो पाएगा, जब यूक्रेन और यूरोपीय देशों की मुहर पर इस पर लगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आने से पहले वादा किया था कि वह रूस और यूक्रेन युद्ध खत्म करवा देंगे। काबिले गौर है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था। ये युद्ध अब इस महीने चौथे साल में प्रवेश कर रहा है। इस बीच सऊदी अरब के रियाद में यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए रूसी और अमेरिकी अधिकारियों के बीच काफी अहम मुलाकात हुई है। इस दौरान दोनों देशों के अधिकारियों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। बैठक के बाद यह स्थिति बन रही है कि शांति समझौते से यूक्रेन के हाथों में कुछ नहीं लगने वाला , केवल रूस को ही फायदा होने की संभावना है और यूक्रेन पूरी तरह से अपाहिज हो जाएगा।
यूरोपीय और यूक्रेनी अधिकारियों के सहमत होने की संभावना नहीं
बहुत कम संभावना है कि रूस और अमेरिका अधिकारियों के बीच हुई बैठक से निकले नतीजे को मानने के लिए यूरोपीय और यूक्रेनी अधिकारी सहमत हो जाएं। यूक्रेन और अमेरिका के यूरोपीय सहयोगियों ने सवाल उठाते हुए पूछा है, कि क्या आक्रमण किए गए देश को बैठक में बिना बुलाए, बिना स्थायी सुरक्षा की गारंटी देने वाला कोई समझौता किया जा सकता है? डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने साफ कर दिया है कि यूक्रेन की रक्षा की गारंटी लेना यूरोपीय देशों का काम है, लेकिन सवाल ये है कि क्या यूरोपीय देश ऐसा कर पाएंगे? वहीं अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो, जिन्होंने अमेरिकी पक्ष की तरफ से बैठक का नेतृत्व किया, उन्होंने अपने रूसी समकक्ष के साथ बैठक को यूक्रेन शांति वार्ता की दिशा में पहला कदम बताया है। हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया है, कि बैठक से कीव को दरकिनार किया गया है। रुबियो ने अपने शुरुआती भाषण में कहा है कि "आज एक लंबी और कठिन यात्रा का पहला कदम है - लेकिन एक महत्वपूर्ण कदम है।" अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा है कि "समझौते का लक्ष्य ये है कि ये सभी पक्षों को स्वीकार्य हो।"
नाटो यूक्रेन की सदस्यता के आवेदन को खारिज करे-जखारोवा
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने बैठक को लेकर मॉस्को में कहा, कि उसकी शर्तों में सबसे प्रमुख ये है कि नाटो यूक्रेन की सदस्यता के आवेदन को खारिज करे। इसके अलावा नाटो ने साल 2008 में बुखारेस्ट शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेन से जो वादे किए थे, उसे भी खारिज करे। रूस ने जोर देकर कहा है कि यूक्रेन को लेकर नाटो के वादे यूरोप के माहौल को जहरीला बनाते हैं। जबकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने बार बार इस बात पर जोर दिया है कि यूक्रेन की संप्रभुता की सुरक्षा के लिए एकमात्र उपाय उसका नाटो में शामिल होना है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा है, कि अगर यूक्रेन को शांति वार्ता से अलग रखा गया, तो वह रूस और अमेरिका के बीच "किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं कर पाएगा"।
यूक्रेन के चार बड़े शहरों पर रूस काबिज
यूक्रेन के चार बड़े शहरों डोनेट्स्क, लुहांस्क, ज़ापोरिज़िया और खेरसॉन पर रूस का कब्जा है और पुतिन ने साफ कर दिया है, कि अपना अधिकार नहीं छोड़ेंगे। पुतिन इन शहरों के संपर्क रेखा को छोड़ने के लिए तैयार हो सकते हैं, जिसपर रूस अभी तक नियंत्रण नहीं कर पाया है। लेकिन इसके बदले में रूस को एक तटस्थ यूक्रेन का प्रस्ताव रखा है। जिसका मतलब है कि किसी भी हालत में यूक्रेन, नाटो का सदस्य नहीं बनेगा। अमेरिका के रक्षा मंत्री पीटर हेगसेथ ने पहले ही साफ कर दिया है कि नाटो ने यूक्रेन की सदस्यता को खारिज कर दिया है। इसके अलावा रूस अपने ऊपर लगाए प्रतिबंधों को हटाने के लिए कहेगा। ट्रंप प्रशासन पहले ही प्रतिबंध हटाने पर बातचीत के लिए खुला होने की बात कह चुका है। इसके अलावा अमेरिका पहले ही कह चुका है कि वो रूस की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए कदम उठाने की मांग करेगा।


