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हर नागरिक के हाथ में बंदूक, हर पहाड़ बना बंकर-स्विट्ज़रलैंड का नाम सुनते ही क्यों कांपते हैं दुश्मन ?

दुनिया में कुछ देश अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपनी छुपी हुई ताकत के लिए भी जाने जाते हैं। स्विट्ज़रलैंड ऐसा ही देश है—शांत, सुंदर, लेकिन भीतर से बेहद खतरनाक। इसके बंकरों, नागरिक सेना और रणनीतिक तैयारियों ने इसे दुनिया का सबसे संगठित 'न्यूट्रल फोर्ट' बना दिया है।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

इंटरनेशनल न्यूज. स्विट्ज़रलैंड जितना शांत दिखता है, उतना ही खतरनाक है. यह देश अपने हर पहाड़ को किले में बदल चुका है, जिनमें से 2000 से ज्यादा पहाड़ बंकरों में तब्दील हैं. यहां हर नागरिक को मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे हर आम आदमी युद्ध के समय सैनिक बन जाता है. फाइटर जेट छुपाने लायक सुरंगें, ब्रिज और रेलवे लाइनें विस्फोटकों से लैस हैं. हिटलर जैसा तानाशाह भी दूसरे विश्व युद्ध में इस देश पर हमला करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. स्विट्ज़रलैंड की न्यूट्रल छवि के पीछे छुपी इसकी तैयारी एक खामोश चेतावनी है. इससे टकराना सिर्फ जंग नहीं, खुद की तबाही को न्योता देना है.

1. पहाड़ नहीं, युद्धबंदी किले हैं ये

स्विट्ज़रलैंड के 2,000 से ज्यादा पहाड़ों को बंकरों में तब्दील कर दिया गया है. ये बंकर न सिर्फ बमबारी झेल सकते हैं, बल्कि इनमें से कई इतने बड़े हैं कि फाइटर जेट तक छिपाए जा सकते हैं. ये कोई फिल्मी कल्पना नहीं बल्कि वर्षों की सैन्य प्लानिंग का नतीजा है.इन बंकरों की बनावट इस तरह से की गई है कि किसी भी बाहरी हमले की स्थिति में ये पूर्ण सुरक्षा दे सकें. अंदर बिजली, पानी, फूड स्टोर, हथियारों का जखीरा और मेडिकल यूनिट तक मौजूद होती है. कई बंकर तो इतनी गहराई में हैं कि सैटेलाइट से भी उनका पता लगाना आसान नहीं. स्विस सेना ने इन पहाड़ियों को इस तरह फोर्टिफाई किया है कि ये हर मौसम और हर हमले को झेल सकें. यही वजह है कि स्विट्ज़रलैंड को 'किले में छिपा देश' भी कहा जाता है.

2. यहां हर नागरिक सैनिक है

स्विट्ज़रलैंड की एक बड़ी खासियत यह है कि यहां हर आम नागरिक को मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाती है. सेना में शामिल न होने वाले नागरिक भी रिजर्व मिलिट्री सिस्टम के तहत हथियार चलाना और युद्ध की रणनीति सीखते हैं. इसलिए यहां की पूरी आबादी युद्ध के समय एक संगठित सेना बन सकती है. यहां हर पुरुष को 18 साल की उम्र के बाद अनिवार्य रूप से सैन्य प्रशिक्षण देना पड़ता है, जो महीनों चलता है. प्रशिक्षण के बाद उन्हें सरकारी हथियार, यूनिफॉर्म और रक्षा किट घर ले जाने की अनुमति होती है. देश की नीति है कि नागरिकों को हमेशा किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रखा जाए. यही कारण है कि जरूरत पड़ने पर लाखों आम लोग कुछ ही घंटों में संगठित होकर लड़ाई के मोर्चे पर उतर सकते हैं. इस सिविल डिफेंस सिस्टम ने स्विट्ज़रलैंड को दुनिया के सबसे संगठित देशों में शामिल कर दिया है.

3. हिटलर भी जहां हमला करने से डर गया था

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब हिटलर ने आधी दुनिया रौंद दी थी, तब भी उसने स्विट्ज़रलैंड पर हमला नहीं किया. कारण साफ था — ये देश अपनी सैन्य तैयारियों और पहाड़ी सुरक्षा के कारण एक अभेद्य किले की तरह था. हिटलर जानता था कि यहां टकराना उसकी सेना के लिए आत्मघाती होगा. स्विस आर्मी पहले से ही तैयार थी—हर पुल, सड़क और सुरंग को उड़ा देने के लिए बारूद से लैस किया गया था. पूरे देश को इस रणनीति से तैयार किया गया था कि यदि हमला हो, तो दुश्मन को अंदर आने ही न दिया जाए. इतिहासकारों के अनुसार हिटलर की जर्मन हाई कमांड ने सलाह दी थी कि "स्विट्ज़रलैंड को छेड़ना मतलब सैनिकों को मौत के मुंह में भेजना." यहां तक कि नाजियों की रणनीतिक मैपिंग में भी स्विट्ज़रलैंड को 'नो-एक्शन ज़ोन' माना गया. इस देश की आंतरिक सुरक्षा और सामूहिक सैन्य भावना ने इतिहास के सबसे बड़े तानाशाह को भी रोक दिया.

4. दुनिया की सबसे खुफिया एजेंसियों का ठिकाना

स्विट्ज़रलैंड, खासतौर पर जिनेवा, दुनिया की सबसे खतरनाक और प्रभावशाली खुफिया एजेंसियों का ऑपरेशन बेस है. यहां से कई गुप्त मिशन प्लान होते हैं और दुनियाभर की निगरानी की जाती है. इसकी तटस्थ विदेश नीति और गुप्त डिप्लोमैसी इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यहां की राजनीतिक स्थिरता और डेटा गोपनीयता के कारण दुनिया की बड़ी एजेंसियां यहां से अपने नेटवर्क चलाती हैं. जिनेवा, इंटरनेशनल सम्मेलनों और राजनयिक बातचीतों का हब है, जो एक खुफिया आवरण भी प्रदान करता है. स्विस संप्रभुता और कानूनों के चलते यहां से निकली सूचनाएं विश्व राजनीति को प्रभावित कर सकती हैं. NSA, Mossad, RAW और MI6 जैसी एजेंसियों की नजरें इस देश से कभी हटती नहीं. यहां जो दिखता है, उससे कहीं ज़्यादा चलता है—चुपचाप और बेहद प्रभावशाली ढंग से.

5. हमला मतलब आत्महत्या

स्विट्ज़रलैंड की रक्षा नीति का मूल मंत्र है – “हम पर हमला करना, मतलब अपनी तबाही खुद बुलाना.” यहां के हर ब्रिज, टनल और रेलवे लाइन तक में बम फिक्स हैं, जिन्हें युद्ध के समय रिमोट से उड़ा दिया जाएगा ताकि दुश्मन को देश में प्रवेश ही न मिले. पूरे देश का इन्फ्रास्ट्रक्चर इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि किसी भी आक्रमण के समय इसे मिनटों में तबाह किया जा सके, ताकि कोई रास्ता दुश्मन के लिए न बचे. सभी पहाड़ी दर्रों, सुरंगों और पुलों के नीचे डेटोनेशन पॉइंट बनाए गए हैं. यह आत्मघाती सुरक्षा व्यवस्था है, लेकिन दुश्मन के लिए सबसे बड़ी चुनौती. स्विट्ज़रलैंड इस बात को अच्छे से जानता है कि स्थायी शांति तभी संभव है जब आपकी तैयारी युद्ध जैसी हो. इसी सोच के तहत यहां हमला करना मतलब खुद को आग में झोंक देना है.

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21 June 2025, 07:17 PM IST

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