बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तापलट की आहट, अंतरिम सरकार के इस्तीफे की चेतावनी से बढ़ा संकट
बांग्लादेश एक बार फिर गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस, जो अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, ने इस्तीफे का संकेत दिया है. बीते 9 महीनों में यह दूसरा बड़ा संकट है. जुलाई 2024 में छात्रों ने सरकारी नौकरियों के कोटा सिस्टम के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था, जो धीरे-धीरे हिंसक हो गया.

कभी आर्थिक विकास के मॉडल के रूप में देखा जाने वाला बांग्लादेश आज राजनीतिक अस्थिरता के गर्त में डूबता नजर आ रहा है। नोबेल पुरस्कार विजेता और मौजूदा अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने इस्तीफे का संकेत देकर देश की राजनीतिक दिशा पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। देश में राजनीतिक दलों के बीच गहराता मतभेद, सुधारों की रफ्तार पर ब्रेक और जनता का उमड़ता गुस्सा – इन सबने मिलकर बांग्लादेश को एक बार फिर गंभीर संकट के मुहाने पर ला खड़ा किया है।
पिछले 9 महीनों में यह दूसरा मौका है जब बांग्लादेश तख्तापलट जैसे हालात का सामना कर रहा है। बीते वर्ष अगस्त में जिस तरह छात्र आंदोलन से शुरू हुई उथल-पुथल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता तक को उखाड़ फेंका, उसी राह पर अब यूनुस की अंतरिम सरकार खड़ी दिखाई दे रही है। आइए जानते हैं कैसे एक साल के भीतर बांग्लादेश इस हालत में पहुंचा।
छात्रों की आवाज़ बनी आंदोलन की चिंगारी
सब कुछ शुरू हुआ जुलाई 2024 में, जब विश्वविद्यालयों के छात्रों ने सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन छेड़ दिया। छात्रों का आरोप था कि स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30% आरक्षण देना अनुचित है और इससे अन्य योग्य छात्रों के अवसर छिन रहे हैं। शुरुआत में यह आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन सरकार की सख्ती और लाठीचार्ज ने इसे हिंसा में तब्दील कर दिया।
आंदोलन से हिंसा तक: प्रमुख घटनाएं
1 जुलाई 2024: छात्रों ने सड़कों और रेलवे पटरियों को जाम किया, पुलिस ने बैरिकेड्स लगाए, तनाव और बढ़ा।
16 जुलाई 2024: आंदोलनकारियों और सरकार समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई।
18 जुलाई 2024: प्रदर्शनकारियों ने सरकारी भवनों और बांग्लादेश टेलीविजन मुख्यालय में आग लगा दी। "तानाशाह को हटाओ" के नारे गूंजने लगे। इस हिंसा में अब तक 32 जानें जा चुकी थीं।
21 जुलाई 2024: सुप्रीम कोर्ट ने कोटा सिस्टम को असंवैधानिक घोषित किया, लेकिन आंदोलनकारी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुए।
5 अगस्त 2024: प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना के महल पर हमला किया, जिसके बाद वह भारत भाग गईं। जनता ने सड़कों पर जश्न मनाया।
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार भी संकट में
शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद मोहम्मद यूनुस ने एक अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभाला था। उनका उद्देश्य था देश में निष्पक्ष चुनाव कराना और राजनीतिक व्यवस्था में सुधार लाना। लेकिन नौ महीने बीतने के बावजूद न तो कोई बड़ा सुधार हुआ और न ही चुनाव की कोई स्पष्ट तारीख सामने आई। अब यूनुस ने राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है कि यदि सुधारों को समर्थन नहीं मिला, तो वे इस्तीफा दे देंगे। रॉयटर्स के अनुसार यूनुस ने कहा, "अगर वे वह काम नहीं कर सकते जो उन्हें सौंपा गया था, तो वे पद छोड़ देंगे।"
छात्र आंदोलनों से निकला नया नेता
नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के नेता नाहिद इस्लाम, जो पिछले वर्ष के छात्र आंदोलनों से उभरे, उन्होंने साफ कहा कि मोहम्मद यूनुस को बिना राजनीतिक समर्थन के काम करना मुश्किल हो रहा है।
उन्होंने कहा, "हमने उनसे साफ कहा कि जनता ने सिर्फ सरकार बदलने के लिए आंदोलन नहीं किया था, बल्कि सिस्टम बदलने के लिए किया था। बिना सुधार के चुनावों का कोई मतलब नहीं है।"
यूनुस पर बढ़ता जनता और विपक्ष का दबाव
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के समर्थकों ने हाल ही में ढाका में यूनुस के खिलाफ पहला बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि जल्द से जल्द चुनाव की तारीख घोषित की जाए और अस्थायी सरकार वादों को पूरा करे।
आगे क्या? बांग्लादेश एक बार फिर मोड़ पर
बांग्लादेश एक बार फिर तख्तापलट की दहलीज पर खड़ा है। यूनुस अगर सुधारों को लागू करने में विफल रहे, तो राजनीतिक अस्थिरता और गहराएगी। जनता अब वादों से थक चुकी है, और राजनीतिक दलों की आंतरिक खींचतान देश को एक और संकट की ओर धकेल रही है।


