एक-दूसरे था अभिवादन, हाथ मिले...फिर हुई चर्चा, छह साल बाद एक-दूसरे से मिले ट्रंप-जिनपिंग, जानें क्या हुई बात
बुसान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की छह साल बाद मुलाकात में व्यापार, सुरक्षा और सहयोग पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने मतभेदों के बावजूद साझेदारी का संदेश दिया. बैठक से ट्रेड डील और रिश्तों में सुधार की उम्मीद बढ़ी, जबकि ट्रंप ने परमाणु तैयारी का आदेश दिया.

नई दिल्लीः दक्षिण कोरिया के शहर बुसान में गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच लंबे अंतराल के बाद अहम मुलाकात हुई. दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और एक-दूसरे का अभिवादन किया. इस बैठक को वैश्विक राजनीति और व्यापारिक समीकरणों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है.
साझेदारी और दोस्ती का संदेश
बैठक की शुरुआत में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि अमेरिका और चीन हर मुद्दे पर एकमत नहीं होते, लेकिन हमें साझेदार और दोस्त बने रहना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मतभेदों के बावजूद दोनों देशों के बीच संवाद जारी रहना आवश्यक है. जवाब में ट्रंप ने जिनपिंग को एक महान देश के महान राष्ट्रपति बताते हुए कहा कि हमारे रिश्ते लंबे समय तक मजबूत बने रहेंगे. ट्रंप के इस बयान ने यह संकेत दिया कि अमेरिका, चीन के साथ टकराव से ज्यादा सहयोग की दिशा में बढ़ना चाहता है. इस सकारात्मक माहौल ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों को भी राहत दी है.
व्यापारिक तनाव कम होने की उम्मीद
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील पर सहमति बनने के आसार दिखाई दे रहे हैं. लंबे समय से दोनों देशों के बीच रेयर अर्थ मटेरियल्स यानी दुर्लभ खनिज तत्वों को लेकर विवाद चल रहा था. चीन ने इन खनिजों के निर्यात पर अंकुश लगाने के संकेत दिए थे, जिससे अमेरिकी टेक उद्योग पर असर पड़ सकता था.
अब इस बैठक के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देश किसी समझौते की दिशा में बढ़ सकते हैं. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि उनके अधिकारी चीन के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि इन खनिजों के निर्यात पर लगने वाले प्रतिबंधों को रोका जा सके.
जिनपिंग ने दी संतुलन की सीख
शी जिनपिंग ने कहा कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें उन्हें संवाद और सहयोग के जरिए सुलझाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारी परिस्थितियां अलग हैं, लेकिन हमें स्थिरता और संतुलन बनाए रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए. चीन का विकास और आपका ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का लक्ष्य एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं. इस बयान से साफ झलकता है कि चीन अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोग की भावना से रिश्ते सुधारना चाहता है.
ट्रंप का सख्त रुख
हालांकि बैठक से पहले ट्रंप ने एक कड़ा संदेश भी दिया. उन्होंने अपने प्रस्थान से पहले घोषणा की कि उन्होंने रक्षा विभाग को परमाणु हथियारों के परीक्षण की तैयारी का आदेश दिया है. यह फैसला रूस और चीन के हालिया सैन्य परीक्षणों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है. रूस ने हाल ही में यूक्रेन संकट के बीच परमाणु मिसाइल और पनडुब्बी ड्रोन का परीक्षण किया था, जिससे अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई थीं.
छह साल बाद आमने-सामने
यह मुलाकात छह साल बाद हो रही है. पिछली बार दोनों नेता ट्रंप के पहले कार्यकाल में आमने-सामने मिले थे. अब जब दोनों देशों के बीच रिश्ते कई बार तल्खी से गुज़रे हैं, तो यह बैठक आपसी भरोसे को दोबारा बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. चीन की ओर से संकेत मिला है कि वह अमेरिका से सोयाबीन की खरीद फिर से शुरू कर सकता है, जिससे अमेरिकी किसानों को राहत मिलेगी. यह दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई दिशा दे सकता है.


