तिब्बत से जुड़े मुद्दे द्विपक्षीय संबंधों में 'कांटा' बन रहे हैं, विदेश मंत्री एस जयशंकर की यात्रा से पहले बोला चीन
भारत-चीन संबंधों में तनाव तिब्बत और दलाई लामा के पुनर्जन्म को लेकर बढ़ा है. भारत ने चीन की दखलंदाजी को नकारा जबकि चीन ने इसे आंतरिक मामला बताया. जयशंकर की चीन यात्रा से पहले यह मुद्दा प्रमुख बन गया है.

चीन ने रविवार को कहा कि तिब्बत से संबंधित मुद्दे जैसे दलाई लामा का पुनर्जन्म, भारत-चीन संबंधों में एक 'कांटा' बन गए हैं और यह नई दिल्ली के लिए 'बोझ' बन गए हैं. यह बयान विदेश मंत्री एस जयशंकर की आगामी चीन यात्रा से पहले आया है, जो 2020 के सीमा संघर्ष के बाद उनकी पहली यात्रा होगी.
दलाई लामा के पुनर्जन्म पर चीन की आपत्ति
दलाई लामा ने हाल ही में घोषणा की थी कि उनका पुनर्जन्म केवल उनके द्वारा स्थापित गाडेन फोड्रांग ट्रस्ट द्वारा मान्यता प्राप्त होगा, और चीन की सरकार को इसमें कोई भूमिका नहीं होगी. इस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. चीन का कहना है कि दलाई लामा का उत्तराधिकार "स्वाभाविक रूप से चीन का आंतरिक मामला है, जिसमें किसी बाहरी ताकत का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा." चीन ने यह भी कहा कि दलाई लामा का उत्तराधिकार "स्वाभाविक रूप से चीन का आंतरिक मामला है, जिसमें किसी बाहरी ताकत का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."
भारत का समर्थन
भारत ने दलाई लामा के पुनर्जन्म के अधिकार में चीन की दखलंदाजी को नकारा है. केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि दलाई लामा के पुनर्जन्म का निर्णय केवल उनके द्वारा स्थापित ट्रस्ट को करना चाहिए, और इसमें किसी अन्य की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए. भारत ने इस मुद्दे पर चीन के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि दलाई लामा का उत्तराधिकार तिब्बती बौद्ध परंपरा का हिस्सा है और इसमें चीन की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.
भारत-चीन संबंधों पर प्रभाव
चीन ने दलाई लामा के पुनर्जन्म को लेकर भारत की स्थिति को "कांटा" और "बोझ" बताया है, जो द्विपक्षीय संबंधों में तनाव का कारण बन सकता है. यह बयान एस जयशंकर की आगामी चीन यात्रा से पहले आया है, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों के बीच महत्वपूर्ण है.
इस मुद्दे पर भारत और चीन के बीच मतभेद स्पष्ट हैं, और यह दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव डाल सकता है. भारत ने दलाई लामा के पुनर्जन्म के अधिकार में चीन की दखलंदाजी को नकारा है, जबकि चीन ने इसे अपने आंतरिक मामले के रूप में पेश किया है.


