हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर फिर चलेगा ट्रंप का डंडा, 100 मिलियन डॉलर की डील हो सकती है रद्द
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ सभी संघीय अनुबंधों को रद्द करने की योजना बनाई है, जिसकी अनुमानित राशि 100 मिलियन डॉलर है. यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय छात्रों की जानकारी साझा न करने और ट्रंप प्रशासन के विरोध के कारण लिया गया है. ट्रंप ने हार्वर्ड पर नस्लीय भेदभाव और उदारवादी एजेंडे का आरोप लगाया. जवाब में, हार्वर्ड ने कानूनी कार्रवाई शुरू की है, यह कहते हुए कि अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला लोकतंत्र के लिए खतरा है.

अमेरिकी राजनीति और शिक्षा जगत में एक बड़ा मोड़ तब आया जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ सभी शेष संघीय अनुबंधों को रद्द करने की योजना बनाई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह कदम ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के बीच चल रहे तनाव के चलते उठाया जा रहा है. इन अनुबंधों की कुल अनुमानित राशि 100 मिलियन डॉलर बताई गई है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान, शैक्षणिक कार्यक्रमों और अन्य सेवाओं से संबंधित हैं.
संघीय एजेंसियों को मिला निर्देश
मंगलवार को संघीय एजेंसियों को भेजे गए एक सरकारी पत्र में यह संकेत दिया गया कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय के साथ सभी व्यापारिक और शैक्षणिक अनुबंध खत्म किए जाएंगे. पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया कि संबंधित एजेंसियां 6 जून तक रिपोर्ट भेजें कि किन सेवाओं को समाप्त किया जा सकता है और किन्हें अन्य विक्रेताओं को स्थानांतरित किया जाना चाहिए.पत्र में लिखा गया, "जहां आप भविष्य में हार्वर्ड को संभावित सेवा प्रदाता मानते थे, वहां अब अन्य विकल्पों पर विचार करें."
अंतरराष्ट्रीय छात्रों की जानकारी साझा करने से इनकार
इस तनाव की शुरुआत तब हुई जब हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने ट्रम्प प्रशासन को अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों से जुड़ी जानकारी साझा करने से मना कर दिया. यह ट्रम्प सरकार के उस फैसले के खिलाफ था, जिसमें विदेशी छात्रों के वीजा नियमों को सख्त किया गया था. इसके बाद प्रशासन ने हार्वर्ड को मिलने वाले 3.2 मिलियन डॉलर के फंड को रोक दिया और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नए नामांकन को भी सीमित करने का प्रयास किया.
ट्रंप की सख्त आलोचना
राष्ट्रपति ट्रंप ने हार्वर्ड पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय में यहूदी विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है और यह संस्थान एक उदारवादी एजेंडे का समर्थन करता है. ट्रम्प ने यह भी आरोप लगाया कि हार्वर्ड छात्रों के नामांकन में नस्लीय आधार पर भेदभाव करता है. उनका यह दावा है कि विश्वविद्यालयों में विचारों की स्वतंत्रता दब रही है और कट्टरपंथी विचारधारा को प्रोत्साहन मिल रहा है. इन कारणों से ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड के साथ अपने संबंधों को सीमित करने का निर्णय लिया है.
अदालत का सहारा
ट्रंप प्रशासन द्वारा फंड रोकने और अनुबंध रद्द करने की योजना सामने आने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने भी सख्त रुख अपनाया है. विश्वविद्यालय ने इस मामले में कानूनी रास्ता अपनाते हुए ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है और अपने वित्तीय सहायता की बहाली की मांग की है.
हार्वर्ड का कहना है कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और अकादमिक स्वतंत्रता को बचाने के लिए यह कदम ज़रूरी है. उन्होंने तर्क दिया कि राजनीति के चलते शिक्षा व्यवस्था पर हमला करना लोकतंत्र के लिए खतरा है.


