Video : हम तुम्हारी मौत हैं...POK में हजारों लोग सड़कों पर, सरकार और सेना के खिलाफ उग्र प्रदर्शन
Violence in Pok : पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में छह साल की बच्ची की रहस्यमयी मौत के बाद जनता का गुस्सा फूट पड़ा. हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और पाकिस्तानी सेना व सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया. सुरक्षाबलों ने निहत्थे लोगों पर फायरिंग और आंसूगैस का प्रयोग किया. पत्रकारों पर भी हमले हुए. पीओके में अब सरकार व सेना के प्रति लोगों का विश्वास लगातार कमजोर होता जा रहा है.

Violence in Pok : पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में एक बार फिर हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं. शनिवार को यहां हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और पाकिस्तानी सरकार, सेना और पुलिस के खिलाफ जमकर गुस्सा जाहिर किया. प्रदर्शनकारियों के गले से निकले नारों में साफ देखा जा सकता था कि आम जनता के दिलों में अब डर नहीं, बल्कि आक्रोश है. "हम तुम्हारी मौत हैं" जैसे नारों ने पूरे माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया.
मासूम बच्ची की हत्या बनी चिंगारी
फायरिंग और बल प्रयोग से बिगड़े हालात
प्रदर्शनकारियों की संख्या जब हजारों में पहुंची और वे सुरक्षाबलों के काफिले के सामने नारेबाजी करने लगे, तो जवाब में सेना और पुलिस ने बेहद कठोर रवैया अपनाया. निहत्थे लोगों पर सीधे फायरिंग की गई, आंसूगैस के गोले छोड़े गए और लाठियों से पीटा गया. इस बर्बर कार्रवाई में कई लोगों के घायल होने की खबरें सामने आई हैं. हालात इस कदर बिगड़े कि पूरे क्षेत्र में भारी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती करनी पड़ी.
#BREAKING: Massive protests & violence in Kotli of Pakistan Occupied Kashmir (PoK). Innocent common people targeted. Pakistani forces used firing against protesting civilians. Thousands on the roads. Tourists asked not to visit Pakistan Occupied Kashmir (PoK). Journalists banned. pic.twitter.com/1YFlffnepC
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 27, 2025
पत्रकारों पर भी हमले, मीडिया की आज़ादी पर हमला
इस बार सेना और सुरक्षाबलों का गुस्सा सिर्फ आम जनता पर ही नहीं, बल्कि पत्रकारों पर भी बरपा. घटना की कवरेज के लिए पहुंचे मीडियाकर्मियों को भी निशाना बनाया गया. पत्रकारों ने आरोप लगाया है कि उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है जैसे वे कोई दुश्मन हों. उन्हें निष्पक्ष रिपोर्टिंग से रोका जा रहा है. कोटली के खुरैत्ता इलाके में पत्रकारों ने तीन दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रखा है, जिसमें वे मीडिया पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.
सेना और सरकार से जनता का मोहभंग
यह पहली बार नहीं है जब पीओके की जनता सरकार और सेना के खिलाफ सड़क पर उतरी हो. लेकिन इस बार गुस्सा पहले से कहीं ज्यादा उग्र और संगठित नजर आ रहा है. लंबे समय से उपेक्षा, अत्याचार और राजनीतिक अस्थिरता झेल रही जनता अब न्याय और अधिकारों के लिए संगठित रूप से आवाज उठा रही है. लोगों को अब समझ आने लगा है कि उनके दर्द की कोई सुनवाई नहीं हो रही, और यही कारण है कि वे अब चुप नहीं बैठना चाहते.
उबाल को दबाना अब मुश्किल
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हालात जिस तेजी से बिगड़ रहे हैं, वे इस ओर इशारा कर रहे हैं कि अब जनता का सब्र टूट चुका है. चाहे वह किसी मासूम की हत्या हो, या फिर लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन पीओके की अवाम अब खुद को बेबस और लाचार महसूस नहीं कर रही, बल्कि वह अपने हक के लिए खुलकर लड़ने को तैयार है. अगर पाकिस्तान सरकार और सेना ने जल्द ही कोई सार्थक कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन एक बड़ा जनविद्रोह बन सकता है, जिसकी गूंज सरहदों से परे भी सुनाई दे सकती है.


