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क्या होती है स्प्लैशडाउन तकनीक, जमीन की जगह पानी में क्यों उतरा शुभांशु शुक्ला का कैप्सूल ड्रैगन?

भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला स्पेसएक्स ड्रैगन के जरिए सुरक्षित पृथ्वी पर लौटे. समुद्र में स्प्लैशडाउन लैंडिंग उन्हें सुरक्षित वापसी दिलाने में मददगार रही. यह तरीका तकनीकी रूप से सरल, सुरक्षित और विश्वसनीय माना जाता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों को चोट का खतरा कम होता है और यान की संरचना हल्की होती है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर लौट आए. उनका स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान प्रशांत महासागर में कैलिफ़ोर्निया तट के पास उतरा. यह लैंडिंग पारंपरिक हवाई जहाजों की तरह ज़मीन पर नहीं हुई, बल्कि समुद्र में हुई, जिसे स्प्लैशडाउन कहा जाता है. यह तकनीक कोई नई नहीं है. कई दशकों से, खासकर अंतरिक्ष अभियानों में, समुद्र में उतरना एक प्रभावी और सुरक्षित विकल्प माना गया है. लेकिन अब भी कई लोग यह सवाल करते हैं कि आखिर अंतरिक्ष यान ज़मीन के बजाय समुद्र में क्यों उतारे जाते हैं?

टचडाउन क्या होता है?

टचडाउन का अर्थ होता है किसी अंतरिक्ष यान का ठोस ज़मीन जैसे कि रेगिस्तान या रनवे पर उतरना. इसमें जटिल ब्रेकिंग सिस्टम और विशेष लैंडिंग गियर की जरूरत होती है, जो प्रभाव को झेल सके. यह तरीका अधिक सटीकता मांगता है और किसी भी चूक का जोखिम अधिक होता है.

स्प्लैशडाउन क्या है?

स्प्लैशडाउन उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें अंतरिक्ष यान पैराशूट की मदद से धीरे-धीरे समुद्र की सतह पर उतरता है. समुद्र की लहरें और पानी का प्रभाव इस लैंडिंग को स्वाभाविक कुशन की तरह बनाते हैं, जिससे अंतरिक्ष यान और उसमें बैठे यात्रियों को कम झटका लगता है. यही कारण है कि यह तरीका अधिक सुरक्षित और व्यावहारिक माना जाता है.

क्यों नासा और स्पेसएक्स स्प्लैशडाउन को प्राथमिकता देते हैं?

1. सुरक्षा पहले: पानी में उतरने से लैंडिंग के समय होने वाला जोर कम हो जाता है. इससे अंतरिक्ष यात्रियों को चोट लगने का खतरा घट जाता है.

2. तकनीकी सादगी: स्प्लैशडाउन में भारी-भरकम लैंडिंग गियर की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यान का वजन भी कम होता है और डिजाइन सरल बनता है.

3. खतरा कम: समुद्र की बड़ी सतह लैंडिंग की प्रक्रिया को अधिक क्षमाशील बनाती है, जिससे छोटे-छोटे त्रुटियों के बावजूद सुरक्षित लैंडिंग संभव हो पाती है.

नासा के मर्करी, जेमिनी और अपोलो कार्यक्रमों ने भी इसी विधि का प्रयोग किया था. हाल के वर्षों में सुनीता विलियम्स और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी इसी पद्धति से हुई है.

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15 July 2025, 05:19 PM IST

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