कौन चला रहा पाकिस्तान? क्या मुनीर की सेना के हाथ में हैं सत्ता का कमान.... सीजफायर के बाद भी हुए हमले से उठे सवाल
शनिवार रात भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बनी, जिसकी पुष्टि सबसे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की और फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिका को धन्यवाद देते हुए शांति का संदेश दिया. लेकिन महज 14 मिनट बाद पाकिस्तान सेना ने सीजफायर का उल्लंघन करते हुए जम्मू-कश्मीर में ड्रोन हमले कर दिए. इससे यह सवाल खड़ा हो गया कि पाकिस्तान में असली सत्ता किसके पास है?

भारत-पाकिस्तान के बीच शनिवार रात अचानक हुए सीजफायर के ऐलान ने जहां एक ओर उम्मीद की किरण जगाई, वहीं कुछ ही घंटों में पाकिस्तान ने अपने दोहरे चरित्र का परिचय देते हुए युद्धविराम का उल्लंघन कर दिया. एक ओर प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ अमेरिका को 'शांति की कोशिशों' के लिए धन्यवाद दे रहे थे, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना ने भारत के नागरिक इलाकों में ड्रोन से हमला कर दिया.
इस घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में यह गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर पाकिस्तान में असली सत्ता किसके हाथ में है. चुनी हुई सरकार की या फिर सेना के जनरल असीम मुनीर के? इसके अलावा ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या शहबाज शरीफ नाम के प्रधानमंत्री है?
अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ था सीजफायर
शनिवार शाम अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट 'ट्रुथ सोशल' पर सबसे पहले भारत-पाकिस्तान सीजफायर की घोषणा की जानकारी साझा की. इसके कुछ समय बाद भारत की ओर से भी इसकी पुष्टि हुई कि पाकिस्तान से उन्हें एक 'कॉल' प्राप्त हुआ था, जिसमें शांति की पहल की गई. इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रात 8:38 बजे एक्स (Twitter) पर एक पोस्ट कर अमेरिका का आभार जताया और लिखा, 'हम राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व और दक्षिण एशिया में शांति के लिए उनकी सक्रिय भूमिका के लिए आभार व्यक्त करते हैं. पाकिस्तान इस परिणाम के लिए अमेरिका की मध्यस्थता की सराहना करता है, जिसे हमने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हित में स्वीकार किया है.”
14 मिनट बाद ड्रोन हमला
शहबाज शरीफ के शांति संदेश के महज 14 मिनट बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में धमाकों की आवाज़ सुनने की जानकारी दी. उन्होंने 8:53 बजे एक्स पर लिखा, 'सीजफायर को क्या हुआ? श्रीनगर में चारों ओर धमाकों की आवाज़ आ रही है.'बाद में उन्होंने एयर डिफेंस यूनिट्स की एक वीडयो भी साझा की और लिखा, 'यह कोई सीजफायर नहीं है, श्रीनगर के बीचों-बीच एयर डिफेंस यूनिट्स सक्रिय हो गई हैं.'
क्या सेना चला रही है पाकिस्तान?
इस दोहरे व्यवहार ने एक बार फिर पाकिस्तान की सत्ता व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या वाकई में वहां की लोकतांत्रिक सरकार फैसले ले रही है या फिर सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ही असली कमान संभाले हुए हैं? पाकिस्तान के इतिहास में कई बार सेना द्वारा लोकतांत्रिक सरकारों को हटाकर सत्ता हथियाने की घटनाएं हो चुकी हैं. असीम मुनीर भी उन्हीं कठोर रूख अपनाने वाले जनरलों में गिने जाते हैं.
‘जगुलर वेन’ और आतंक की पटकथा
पहालगाम आतंकी हमले से कुछ दिन पहले असीम मुनीर ने कश्मीर को पाकिस्तान की "जगुलर वेन" (मुख्य धमनियों में से एक) बताया था और 'दो राष्ट्र सिद्धांत' का समर्थन किया था. भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने उनके बयान को आतंकियों के लिए ‘डॉग व्हिसल’ (गुप्त इशारा) बताया था, जिससे कश्मीर में 26 लोगों की जान लेने वाला हमला हुआ.
इमरान खान को हटाने का आरोप
असीम मुनीर पर पहले भी कई बार पाकिस्तान की सिविल राजनीति में दखल देने के आरोप लग चुके हैं. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई को कुचलने में भी अहम भूमिका निभाई थी. यहां तक कि दो साल पहले उन्होंने आम नागरिकों को भी सैन्य अदालत में ट्रायल करवाया और सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया. इमरान खान ने मुनीर पर खुलेआम षड्यंत्र करने का आरोप लगाया था.
असली फैसले कौन ले रहा है?
सूत्रों की मानें तो भारत के नागरिक इलाकों पर ड्रोन हमला करने, सीजफायर तोड़ने और पीएसएल जैसे आयोजनों को रद्द करने जैसे अहम फैसलों में असीम मुनीर की भूमिका प्रमुख रही है. पाकिस्तान के कुछ मंत्रियों ने भले ही भारत से टकराव की बातें की हों, लेकिन रणनीतिक कदम सेना प्रमुख के आदेश पर ही उठाए जा रहे हैं.
पाकिस्तान का दोहरा चेहरा बेनकाब
पाकिस्तान का दोहरा चेहरा अब दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है – एक तरफ शांति की बातें करने वाली सरकार, दूसरी ओर उसी वक्त युद्ध भड़काने वाली सेना. इससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान में असली सत्ता प्रधानमंत्री के पास नहीं बल्कि रावलपिंडी स्थित जीएचक्यू (सेना मुख्यालय) में है.


