एक और मुस्लिम देश बनाए एटमी हथियार? न्यूक्लियर प्रोग्राम देने को तैयार हुआ पाकिस्तान
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने कहा कि नई रक्षा संधि के तहत उनकी परमाणु क्षमता सऊदी अरब को उपलब्ध कराई जा सकती है, जिसमें छतरी व्यवस्था के तहत दोनों देशों की संयुक्त रक्षा होगी. भारत ने इसकी संवेदनशीलता पर ध्यान देने की अपील की. पाकिस्तान-सऊदी रक्षा संबंध दशकों पुराने हैं.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने हाल ही में एक सनसनीखेज बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यदि नई रक्षा संधि की आवश्यकता पड़ी, तो पाकिस्तान अपनी परमाणु क्षमता सऊदी अरब के साथ साझा कर सकता है. यह पहली बार है जब कोई पाकिस्तानी मंत्री सार्वजनिक रूप से इस तरह का स्पष्ट बयान दे रहा है. बुधवार को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बीच नई रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस अवसर पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भी मौजूद थे.
छतरी व्यवस्था और संयुक्त रक्षा का फार्मूला
आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान ने अपनी परमाणु क्षमता लंबे समय पहले विकसित कर ली थी और प्रशिक्षित बल तैयार हैं. हमारी सभी क्षमताएं इस समझौते के तहत सऊदी अरब को उपलब्ध कराई जाएंगी. यदि किसी भी पक्ष पर हमला होता है, तो इसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा और हम संयुक्त रूप से इसका जवाब देंगे. यह एक छतरी व्यवस्था है, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे की रक्षा सुनिश्चित करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग को और मजबूत करेगा.
भारत की प्रतिक्रिया
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इस घोषणा पर कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी रही है, जो पिछले वर्षों में और अधिक गहरी हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत को उम्मीद है कि यह साझेदारी आपसी हितों और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखेगी. गौरतलब है कि गुरुवार को भारत सरकार ने केवल इतना कहा था कि वह पाकिस्तान सऊदी रक्षा समझौते के संभावित प्रभावों का अध्ययन कर रही है.
पाकिस्तान-सऊदी रक्षा संबंधों का इतिहास
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच रक्षा सहयोग का इतिहास कई दशकों पुराना है. 1967 में पहला रक्षा समझौता हुआ और 1982 में सुरक्षा सहयोग समझौते के माध्यम से इसे और मजबूत किया गया. इस दौरान एक समय पर 15–20 हजार पाकिस्तानी सैनिक सऊदी अरब में तैनात थे. 2017 में पूर्व पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ को सऊदी नेतृत्व वाले आतंकवाद विरोधी बल का कमांडर नियुक्त किया गया था. यह साझेदारी दोनों देशों के बीच सामरिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देती रही है.
क्षेत्रीय सुरक्षा
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह नया समझौता अमेरिका के क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के रूप में पीछे हटने और इजरायल की आक्रामक कार्रवाइयों के बीच सामने आया है. पश्चिम एशिया में हालिया घटनाओं को देखते हुए, इस समझौते को इजरायल के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा और सामरिक मजबूती की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.


