अंतरिक्ष की रोमांचक यात्रा के बाद X-4 टीम आज लौटेगी, दोपहर 3 बजे स्प्लैशडाउन
शुभांशु शुक्ला के अनुसार, एक्स-4 चालक दल अपने 18-दिवसीय प्रवास के बाद पृथ्वी पर लौटेंगे. सोनिक बूम के साथ उनकी वापसी एक यादगार पल होगी. जहा उन्होंने 300 से अधिक सूर्योदय और सूर्यास्त देखे होंगे.

Shubhanshu Shukla-Axiom Mission 4: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम मिशन-4 (Ax-4) के अन्य तीन अंतरिक्ष यात्री, 18 दिनों के ऐतिहासिक अंतरिक्ष प्रवास के बाद पृथ्वी पर लौटने की 22.5 घंटे लंबी यात्रा पर हैं. इस दौरान उन्होंने 300 से अधिक परिक्रमाएं पूरी कीं और सभी नियोजित वैज्ञानिक प्रयोगों को सफलता पूर्वक संपन्न किया.
‘ग्रेस’ नामक स्पेसकैप्सूल के जरिए लौट रहे इन अंतरिक्ष यात्रियों के मंगलवार दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर प्रशांत महासागर में उतरने की उम्मीद है. नासा और स्पेसएक्स की ज़मीनी टीमें लगातार मिशन की निगरानी कर रही हैं और सुरक्षित वापसी के लिए हर पहलू का परीक्षण कर रही हैं.
ISS से अनडॉकिंग के साथ शुरू हुई वापसी यात्रा
शुक्ला के नेतृत्व में एक्सिओम-4 मिशन ने सोमवार को दोपहर 2.11 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से वापसी की प्रक्रिया शुरू की. मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन और पूरी टीम अंतरिक्ष यान ‘ग्रेस’ में अपनी सीटों पर तैनात हो चुकी थी. हैच बंद करने की प्रक्रिया 2.38 बजे शुरू हुई और 2.50 बजे पूर्ण रूप से समाप्त हो गई.
"गॉडस्पीड" कमांडर व्हिटसन का भावुक संदेश
डॉकिंग हटने के कुछ ही मिनट बाद मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन ने रेडियो संदेश में कहा, "गॉडस्पीड", और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की शुभकामनाएं दीं. भारत सरकार की ओर से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी उत्साहपूर्वक कहा, 'शुभांशु, आपका स्वागत है!
पृथ्वी पर लौटने की प्रक्रिया और अगला चरण
शोध और विज्ञान से भरे इस मिशन के साथ अंतरिक्ष यान ‘ग्रेस’ 580 टन से अधिक वज़न का सामान और 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग लेकर लौट रहा है. नासा की योजना के अनुसार, मंगलवार दोपहर लगभग 2.07 बजे डी-ऑर्बिट बर्न किया जाएगा. इसके एक घंटे बाद पहले ड्रोग पैराशूट और फिर मुख्य पैराशूट को तैनात किया जाएगा. स्प्लैशडाउन के बाद रिकवरी टीमें कैप्सूल तक पहुंचेंगी और सुरक्षा जांच के उपरांत हाइड्रोलिक क्रैडल की सहायता से यान को जहाज़ पर लाया जाएगा. इसके बाद चालक दल का सबसे पहले जांच परीक्षण किया जाएगा और उन्हें हेलीकॉप्टर से जमीन पर लाया जाएगा, जहां आगे की विस्तृत जांच व मिशन विश्लेषण किया जाएगा.
विश्व में भारत की अंतरिक्ष जैव-प्रौद्योगिकी को मिला बढ़ावा
अंतरिक्ष में 18 दिनों तक रहकर शुक्ला ने विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में महत्त्वपूर्ण प्रयोग किए. इस उपलब्धि की सराहना करते हुए विशेषज्ञों ने इसे भारत की अंतरिक्ष जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग बताया. सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन-इंडिया (SIA-India) के महानिदेशक अनिल प्रकाश ने कहा, 'रणनीतिक निजी क्षेत्र की भागीदारी से संभव हुआ यह मिशन एक शक्तिशाली सार्वजनिक-निजी साझेदारी को दर्शाता है, जो अंतरिक्ष अनुसंधान को टिकाऊ जैव प्रौद्योगिकी नवाचार में बदल रहा है.' साथ ही उन्हेने कहा, एसआईए-इंडिया भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण से वैश्विक अंतरिक्ष-संचालित जैव प्रौद्योगिकी नेतृत्व की ओर अग्रसर करने में इस सहयोगात्मक सफलता की सराहना करता है.'
छात्रों व इसरो से बातचीत ने जोड़ा भारत से भावनात्मक रिश्ता
ISS पर रहते हुए शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्कूली छात्रों और इसरो के विभिन्न केंद्रों के साथ संवाद कर देश से गहरा जुड़ाव बनाए रखा. उन्होंने शौकिया रेडियो के माध्यम से भी संवाद स्थापित किया, जिससे यह मिशन सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही नहीं, भावनात्मक रूप से भी भारतीयों के करीब बन गया.


