score Card

'खून के बदले...', भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर यमन परिवार का साफ संदेश

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी फिलहाल टाल दी गई है, लेकिन पीड़ित परिवार 'खून के बदले खून' की मांग पर अड़ा है. सुलह की संभावनाएं कम हैं और नई फांसी तारीख की घोषणा अब भी बाकी है.

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को दी गई मौत की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी गई है, लेकिन पीड़ित तालाल अब्दो महदी के परिजन अब भी किसी तरह की माफी या समझौते के पक्ष में नहीं हैं. उनका साफ कहना है कि 'खून का बदला खून से' होना चाहिए और इस्लामी कानून क़िसास के अनुसार उन्हें मौत ही दी जाए.

यमन प्रशासन ने 14 जुलाई को एक आधिकारिक आदेश जारी कर बताया कि 16 जुलाई को होने वाली फांसी को स्थगित कर दिया गया है और नई तारीख बाद में घोषित की जाएगी. भारत के ग्रैंड मुफ्ती और केरल के प्रमुख सुन्नी धर्मगुरु कंथापुरम ए. पी. अबूबकर मुसलियार ने भी इस स्थगन की पुष्टि की है और बताया कि उन्होंने यमन के विद्वानों से बात की थी.

पीड़ित परिवार का साफ संदेश: 'मौत ही न्याय है'

मीडिया से बातचीत में तालाल महदी के भाई अब्दुलफत्ताह महदी ने स्पष्ट कहा कि हमारा रुख सुलह के प्रयासों को लेकर पूरी तरह स्पष्ट है; हम क़िसास यानी 'खून के बदले खून' पर अड़े हुए हैं, इसके अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं. उन्होंने ये भी कहा कि उनके परिवार ने सिर्फ बर्बर हत्या ही नहीं, बल्कि लंबी कानूनी प्रक्रिया का भी मानसिक कष्ट झेला है.

कौन हैं निमिषा प्रिया?

केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोड़े की रहने वाली निमिषा, साल 2008 में महज 19 साल की उम्र में नर्स की नौकरी की तलाश में यमन पहुंचीं थीं. वहां उन्होंने तालाल महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया था. हालांकि, उनके अनुसार, तालाल ने उनका शारीरिक और आर्थिक शोषण किया और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया. इसी पासपोर्ट को वापस पाने की कोशिश में उन्होंने तालाल को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया, जिससे उसकी ओवरडोज के कारण मौत हो गई.

2020 में सुनाई गई मौत की सजा

साल 2020 में यमन की स्थानीय अदालत ने निमिषा को तालाल की हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी. उनकी फांसी 16 जुलाई 2024 को तय थी, लेकिन अंतिम क्षणों में कुछ ऐसा हुआ जिसने मामले की दिशा बदल दी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फांसी से एक रात पहले तालाल के भाई अब्दुलफत्ताह पहली बार सुलह की बातचीत के लिए आगे आए. हम पूरी रात बात करते रहे. सुबह होते-होते फांसी टल गई. हमें जो चाहिए था वो मिला- थोड़ा समय, ताकि अब हम परिवार को समझा सकें. ऐसा कहा निमिषा की कानूनी टीम के सदस्य और अधिवक्ता सुभाष चंद्रन ने.

अब आगे क्या?

फिलहाल, निमिषा की फांसी टल चुकी है लेकिन ये स्थगन स्थायी नहीं है. यमन प्रशासन ने नई तारीख घोषित नहीं की है और पीड़ित परिवार की सख्त मांगों को देखते हुए सुलह की राह अब भी कठिन दिख रही है.

calender
16 July 2025, 02:07 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag