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गर्दन के नीचे उभरता कूबड़ हो सकता है खतरे की घंटी, जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

आजकल चाहे ऑफिस हो या घर लोग घंटों लैपटॉप के सामने चिपके रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये आदत आपकी सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकती है? आइए आपको बताते हैं कि लंबे समय तक स्क्रीन पर टकटकी लगाने से क्या-क्या परेशानियां हो सकती हैं और उनसे बचने के लिए क्या करें.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Neck Hump Cause: आजकल बहुत से लोग गर्दन के ठीक नीचे और पीठ के ऊपरी हिस्से में एक उभार यानी कूबड़ जैसे बदलाव को महसूस कर रहे हैं. यह बदलाव धीरे-धीरे शरीर की बनावट को प्रभावित करने लगता है. मेडिकल भाषा में इसे काइफोसिस या बफैलो हंप कहा जाता है जो अधिकतर गलत जीवनशैली, लंबे समय तक झुककर बैठने और डिजिटल स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग के कारण होता है. हालांकि शुरुआत में यह सिर्फ एक सौंदर्य या लुक से जुड़ी समस्या लग सकती है. लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक समय पर ध्यान न देने पर यह समस्या रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचा सकती है. 

क्या है गर्दन का कूबड़?

विशेषज्ञ बताते हैं कि हमारी रीढ़ की हड्डी में स्वाभाविक रूप से हल्का झुकाव होता है. जब यह झुकाव 45 डिग्री से अधिक हो जाता है तब यह समस्या बन जाती है. यह अक्सर गर्दन और पीठ के जोड़ पर एक उभार के रूप में दिखता है जिसे आम भाषा में गर्दन का कूबड़ कहा जाता है.

क्यों बनता है गर्दन का कूबड़?

डॉक्टर के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण है  गलत तरीके से बैठना. घंटों झुककर मोबाइल देखना, कंप्यूटर पर लगातार काम करना और सिर नीचे करके स्मार्टफोन चलाना गर्दन की मांसपेशियों पर भारी दबाव डालता है. इस दबाव के कारण वहां चर्बी और हड्डी का असामान्य उभार बनने लगता है. इसे 'बफैलो हंप' भी कहा जाता है और यह खासकर उन लोगों में अधिक देखने को मिलता है जो लंबे समय तक झुककर बैठते हैं. इससे गर्दन की मांसपेशियों का संतुलन बिगड़ जाता है और उस स्थान पर फैट जमा होने लगता है.

अन्य कारण जो इस स्थिति को बढ़ाते हैं

भारी बैग उठाना: कंधे और पीठ पर दबाव डालता है.

ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी): रीढ़ की हड्डी पर चोट का खतरा बढ़ जाता है.

मोटापा: शरीर का अधिक वजन रीढ़ पर अतिरिक्त दबाव बनाता है.

हार्मोनल या मेडिकल स्थितियां: जैसे PCOS, लंबे समय तक स्टेरॉयड का सेवन, या जनेटिक समस्याएं.

बढ़ती उम्र: बुज़ुर्गों में यह समस्या आम हो जाती है क्योंकि हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं.

क्या गर्दन का कूबड़ खतरनाक हो सकता है?

शुरुआती दौर में यह केवल शरीर के आकार में बदलाव के रूप में दिखता है लेकिन यदि इसे नजरअंदाज किया जाए, तो यह स्थायी पीठ दर्द, थकान, मांसपेशियों में जकड़न और रीढ़ की संरचना में गड़बड़ी जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है. कई मामलों में मरीजों को फिजियोथेरेपी या मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ती है.

कैसे करें बचाव?

  • हमेशा सही पोश्चर बनाए रखें. झुककर बैठने की आदत छोड़ें.

  • हर 30-40 मिनट में उठें, टहलें या हल्की स्ट्रेचिंग करें.

  • भारी बैग का उठाने से बचें, विशेषकर बच्चों और किशोरों को सतर्क रहने की जरूरत है.

  • हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम और विटामिन D का सेवन बढ़ाएं.

  • अगर गर्दन का उभार बढ़ता दिखे या लगातार दर्द हो, तो किसी स्पाइन विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करें.


गर्दन का कूबड़ यानी बफैलो हंप सिर्फ सौंदर्य से जुड़ी समस्या नहीं है बल्कि यह आपकी रीढ़ की हड्डी की सेहत का संकेत भी है. यह समस्या धीमे-धीमे आपके शरीर को प्रभावित कर सकती है. यदि आप समय रहते अपनी जीवनशैली और बैठने के ढंग में सुधार लाते हैं तो इस परेशानी से बचा जा सकता है. 

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31 August 2025, 02:21 PM IST

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