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क्या हर वक्त महसूस होती है बेचैनी और घबराहट? हो सकते हैं Anxiety के लक्षण, जानिए उपचार

अगर आप भी हाल ही में बार-बार बेचैनी, घबराहट या किसी एक बात को लेकर ज्यादा सोचने लगे हैं, तो यह एंग्जायटी के शुरुआती संकेत हो सकते हैं. मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहना अब सिर्फ विकल्प नहीं, जरूरत बन चुका है. तो चलिए आज इसके लक्षण और उपचार जानते हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

क्या आपको भी ऐसा लगता है कि आप हाल ही में कुछ ‘अजीब’ सा महसूस कर रहे हैं? बिना वजह घबराहट, बार-बार पैरों को हिलाना, या किसी एक बात को बार-बार सोचते रहना ये सब संकेत हो सकते हैं कि आपको अनजाने में एंग्जायटी हो रही है. आज की तेज रफ्तार और प्रतिस्पर्धा से भरी दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहना बेहद जरूरी हो गया है. ख़ासकर जनरेशन Z की ईमानदारी और खुलापन, जिसने मानसिक स्वास्थ्य को बातचीत का हिस्सा बनाया है, सराहनीय है. एंग्जायटी की सबसे खतरनाक बात यही है कि यह अक्सर बिना किसी बड़े संकेत के धीरे-धीरे हमारे जीवन में जगह बना लेती है.

जब एंग्जायटी हमला करती है, तब क्या होता है?

इंद्रप्रस्थ अपोलो सार्थक मानसिक स्वास्थ्य सेवा, नई दिल्ली के कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट डॉ. शैलेश झा बताते हैं, जब एंग्जायटी होती है, तो शरीर एक काल्पनिक खतरे से निपटने की तैयारी करता है. यह आमतौर पर एक ट्रिगरिंग थॉट या मानसिक छवि से शुरू होता है, जिसे दिमाग खतरे के रूप में पहचानता है. इसके बाद शरीर में एड्रेनालिन और कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हॉर्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जिससे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है, पसीना आता है, और चक्कर जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं.

वे आगे कहते हैं कि इन लक्षणों से व्यक्ति डर जाता है और उन्हें गंभीर समझने लगता है, जिससे एक डर का चक्र शुरू हो जाता है. यही डर दोबारा शारीरिक लक्षणों को जन्म देता है और लक्षण दोबारा डर बढ़ाते हैं. इस फीडबैक लूप से पैनिक अटैक या एंग्जायटी डिसऑर्डर बन सकता है.

एंग्जायटी के दो मुख्य प्रकार के लक्षण

ग्लेनीग्ल्स BGS हॉस्पिटल, बेंगलुरु की साइकोलॉजिस्ट डॉ. सुमलता वासुदेवा बताती हैं कि एंग्जायटी के दो स्तर होते हैं फिजिकल (शारीरिक) और साइकोलॉजिकल (मानसिक). शारीरिक लक्षणों में तेज धड़कन, तेजी से सांस लेना, मांसपेशियों में तनाव और चक्कर आना शामिल हैं. वहीं मानसिक रूप से यह चिंता, डर और नियंत्रण खोने जैसा महसूस होता है.

कोई भी हो सकता है एंग्जायटी का शिकार

आर्टेमिस लाइट, नई दिल्ली के सीनियर कंसल्टेंट और प्रमुख साइकियाट्रिस्ट डॉ. राहुल चांधोक कहते हैं, एंग्जायटी किसी को भी हो सकती है, चाहे वह कितना भी सफल, मजबूत या खुश क्यों न दिखे. यह कोई कमजोरी नहीं, बल्कि इंसानी अनुभव का हिस्सा है. वे यह भी बताते हैं कि जीवन में बदलाव, काम का तनाव, पारिवारिक समस्याएं या स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं इसका कारण बन सकती हैं. डॉ. झा के मुताबिक, हर साल करीब 19% वयस्कों को एंग्जायटी डिसऑर्डर होता है और 31% लोग अपने जीवन में कभी न कभी इसका अनुभव करते हैं.

जानिए एंग्जायटी के लक्षण

शारीरिक लक्षण:

दिल की तेज धड़कन

पसीने आना

सिरदर्द या चक्कर

पेट दर्द या सांस लेने में दिक्कत

मानसिक लक्षण:

लगातार चिंता

विचारों की भीड़

ध्यान केंद्रित करने में परेशानी

नींद में समस्या

भावनात्मक लक्षण:

चिड़चिड़ापन

तनाव

छोटी बातों पर गुस्सा

गंभीर मामलों में:

सीने में दर्द

सुन्नपन या झुनझुनी

नियंत्रण खोने का डर

वो छोटे संकेत जो हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. डॉ. वासुदेवा कहती हैं कि कई बार हम आम जीवनशैली को ही एंग्जायटी का हिस्सा मान लेते हैं, जैसे कि सोशल इवेंट्स से बचना, काम को टालते रहना, बार-बार दूसरों से आश्वासन मांगना, बिना कारण थकावट या सिरदर्द. डॉ. झा कहते हैं, "हर समय फोन चेक करना, निर्णय लेने में कठिनाई, छोटी गलतियों पर ज्यादा सोचना या दूसरों पर चिल्लाना भी एंग्जायटी के संकेत हो सकते हैं.

नींद की कमी, अपच, बार-बार ब्रेक लेना, या "क्या होगा अगर..." जैसे विचार भी चिंता का हिस्सा हो सकते हैं. डॉ. चांधोक के अनुसार,हर चीज को कंट्रोल करने की ज़रूरत महसूस करना, नाखून चबाना, बेचैनी और स्थिर न बैठ पाना भी चिंता के संकेत हो सकते हैं.

अगर महसूस हो एंग्जायटी, तो क्या करें?

डॉ. झा की सलाह है कि धीमी और गहरी सांस लें, नाक से अंदर और मुंह से बाहर.

स्थिति को पहचानें और उसे स्वीकार करें.

डॉ. चांधोक बताते हैं कि "5-4-3-2-1 ग्राउंडिंग तकनीक" मदद कर सकती है:

5 चीजें देखें

4 चीजों को छुएं

3 आवाज़ें सुनें

2 खुशबुएं पहचानें

1 स्वाद महसूस करें

"Box Breathing": 4 सेकंड सांस लें, 4 सेकंड रोकें, 4 सेकंड छोड़ें, 4 सेकंड रोकें. इससे दिल की धड़कन धीमी होती है और दिमाग शांत होता है.

चिंता कम करने के असरदार उपाय

नियमित एक्सरसाइज करें.

पर्याप्त नींद और संतुलित आहार लें.

कैफीन और अल्कोहल से बचें.

मेडिटेशन, योग, या डीप ब्रीदिंग अपनाएं.

अपनी भावनाएं जर्नल में लिखें या किसी भरोसेमंद से बात करें.

ट्रिगर्स की पहचान करें और उन्हें नियंत्रित करें.

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29 July 2025, 03:00 PM IST

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