प्रेग्नेंसी में थायरॉइड: क्या बेबी पर भी पड़ता है असर? एक्सपर्ट की सलाह जरूर जानें
गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण कुछ महिलाओं में थायरॉइड की समस्या बढ़ सकती है, जिससे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. इम्यून डिसऑर्डर या आयोडीन के अधिक सेवन से यह समस्या शिशु तक भी पहुंच सकती है. हालांकि, समय पर जांच, संतुलित आहार और डॉक्टर की सलाह से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है.

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इस समय शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं. थायरॉइड हार्मोन का स्तर भी प्रभावित होता है, जिससे कुछ महिलाओं को थायरॉइड संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. जो कि ना केवल मां बल्कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में थायरॉइड क्यों बढ़ता है और ये बच्चों तक कैसे पहुंच सकता है.
प्रेग्नेंसी में थायरॉइड का प्रभाव
प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ महिलाओं को उल्टी और मतली (मॉर्निंग सिकनेस) की समस्या होती है, जिससे एचसीजी (HCG) हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. ये हार्मोन थायरॉइड हार्मोन के निर्माण को भी प्रभावित करता है, जिससे हाइपरथायरायडिज्म की संभावना बढ़ जाती है. ज्यादा थायरॉइड हार्मोन बनने से महिलाओं को थकान, घबराहट और धड़कन तेज होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. अगर इसे नियंत्रित न किया जाए, तो यह गर्भ में पल रहे शिशु को भी प्रभावित कर सकता है.
बच्चों तक कैसे पहुंचता है थायरॉइड?
एक्सपर्ट के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान इम्यून डिसऑर्डर के कारण कुछ महिलाओं को हाइपरथायरायडिज्म हो सकता है. इस स्थिति में शरीर का इम्यून सिस्टम थायरॉइड ग्रंथि पर हमला करता है, जिससे हार्मोन का स्तर असंतुलित हो जाता है. इसके अलावा, कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान आयोडीन का ज्यादा सेवन कर लेती हैं, जिससे हाइपरथायरायडिज्म की संभावना बढ़ जाती है. यह असंतुलन गर्भ में पल रहे शिशु को प्रभावित करता है और जन्म के बाद भी बच्चे को थायरॉइड की समस्या हो सकती है.
ये थायरॉइड क्या है?
थायरॉइड हमारे गले में स्थित एक ग्रंथि है, जो थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन करती है. यह हार्मोन शरीर की कई महत्वपूर्ण गतिविधियों को नियंत्रित करता है, जैसे: दिल की धड़कन, मेटाबॉलिज्म (चयापचय), ऊर्जा उत्पादन. अगर थायरॉइड ग्रंथि बहुत अधिक (हाइपरथायरायडिज्म) या बहुत कम (हाइपोथायरायडिज्म) हार्मोन बनाती है, तो शरीर में कई समस्याएं आपको हो सकती हैं.
थायरॉइड के प्रकार और उनके लक्षण
हाइपरथायरायडिज्म (अधिक हार्मोन बनना)
तेज धड़कन
अत्यधिक पसीना आना
घबराहट और चिड़चिड़ापन
अचानक वजन कम होना
हाइपोथायरायडिज्म (कम हार्मोन बनना)
थकान और कमजोरी
वजन बढ़ना
ठंड सहन न कर पाना
बाल झड़ना और त्वचा में रूखापन
गर्भावस्था में थायरॉइड का बढ़ना कितना सामान्य है?
एक रिपोर्ट के अनुसार, गर्भावस्था के तीन महीने बाद थायरॉइड हार्मोन का स्तर 50% तक बढ़ सकता है. यह वृद्धि हार्मोनल बदलाव और गर्भवती महिला के बढ़ते पोषण संबंधी आवश्यकताओं के कारण होती है. इस दौरान उल्टी, मतली और चक्कर जैसी समस्याएं हो सकती हैं. समय पर सही जांच और डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है.
थायरॉइड से बचाव के उपाय
नियमित हेल्थ चेकअप कराएं. आयोडीन का संतुलित सेवन करें, अधिक आयोडीन लेने से बचें. थायरॉइड हार्मोन के स्तर की निगरानी रखें. डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाएं लें और किसी भी लक्षण को नजरअंदाज ना करें. संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं.


