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अमरनाथ यात्रा आज से शुरू, कबूतरों का जोड़ा देखना माना जाता है बेहद शुभ

अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई यानी आज से शुरू हो गई है. गुरुवार सुबह बाबा अमरनाथ की पहली आरती की गई.कड़ी सुरक्षा और चौकसी के साथ हर साल होने अमरनाथ की यात्रा दो मार्गो से होती है. अमरनाथ की पवित्र गुफा लदार घाटी में स्थित है.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

Amarnath Yatra 2025: पवित्र अमरनाथ यात्रा आज, 3 जुलाई 2025 से शुरू हो गई है, जिसमें लाखों श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए हिमालय की कठिन राहों पर निकल पड़े हैं. यह 38 दिवसीय यात्रा 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगी. अनंतनाग जिले के 48 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले के 14 किलोमीटर लंबे, खड़ी चढ़ाई वाले बालटाल मार्ग से श्रद्धालुओं का पहला जत्था सुबह "बम-बम भोले" के जयकारों के साथ रवाना हुआ. हर साल की तरह इस बार भी यात्रा के लिए लाखो से अधिक श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है. और हर दिन लगभग15,000 तीर्थयात्रियों को यात्रा की अनुमति दी गई है.

सफेद कबूतरों के जोड़ा का महत्व

अमरनाथ गुफा में सफेद कबूतरों का जोड़ा देखना बेहद शुभ माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरनाथ गुफा में अमरकथा सुनाई थी. जिसे एक कबूतरों का जोड़ा भी सुन रहा था. भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया, और तब से यह जोड़ा गुफा में दिखाई देता है. ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, इन कबूतरों के दर्शन भक्तों के पिछले जन्मों के पुण्य कर्मों के जागृत होने और शिव कृपा प्राप्ति का संकेत हैं. यह शांति, प्रेम, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है. कई श्रद्धालुओं ने दावा किया है कि इन कबूतरों के दर्शन के बाद उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं.

यात्रा की तैयारियां और सुरक्षा

श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं. सुरक्षा के लिए 581 पैरा मिलिट्री कंपनियां तैनात की गई हैं, और बालटाल मार्ग को 14 फीट चौड़ा किया गया है, जहां हर 50 मीटर पर जवान तैनात हैं. यात्रियों को आरएफआईडी कार्ड, मेडिकल सर्टिफिकेट, और आधार कार्ड साथ रखना अनिवार्य है.रजिस्ट्रेशन और मार्ग

रजिस्ट्रेशन 14 अप्रैल 2025 से शुरू हो चुका है, जो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है. पहलगाम मार्ग, जो चंदनवाड़ी, पिस्सू टॉप, और शेषनाग होते हुए गुफा तक जाता है, अपेक्षाकृत आसान है, लेकिन इसमें 3 दिन लगते हैं. बालटाल मार्ग छोटा लेकिन कठिन है, जिसमें 1-2 दिन लगते हैं. यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे गर्म कपड़े, फर्स्ट एड किट, और पानी की बोतल साथ रखना न भूले.

अमरनाथ यात्रा न केवल एक तीर्थयात्रा है, बल्कि यह श्रद्धा, धैर्य, और आध्यात्मिकता का प्रतीक है. सफेद कबूतरों का दर्शन इस यात्रा को और भी पवित्र बनाता है. श्रद्धालुओं में उत्साह चरम पर है, और कश्मीर घाटी "हर-हर महादेव" के नारों से गूंज रही है.

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03 July 2025, 11:51 AM IST

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