छठ महापर्व का समापन: उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतियों ने मांगी परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना
लोक आस्था का सबसे भव्य महापर्व छठ, आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर खुशी-खुशी संपन्न हो गया. चार दिनों तक चलने वाले इस पावन उत्सव में देश-दुनिया के घाटों पर लाखों व्रती और श्रद्धालु उमड़ पड़े. हर कोई छठी मैया और सूर्य देव को अंतिम अर्घ्य अर्पित किए.

नई दिल्ली: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा आज प्रातः उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया. देशभर में नदी-घाटों, तालाबों और सरोवरों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. व्रती महिलाओं ने जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया और अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु तथा समाज में खुशहाली की कामना की.
उगते सूर्य को दिया गया ‘ऊषा अर्घ्य’
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. आज सुबह से ही देशभर के नदी तटों, तालाबों और घाटों पर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. व्रती महिलाएं और पुरुष सूप व डाला में फल, ठेकुआ, गन्ना, नारियल और अन्य पारंपरिक पकवान सजाकर जल में खड़े होते हैं. जैसे ही सूर्य की पहली किरणें क्षितिज पर दिखाई दीं, पूरा वातावरण छठी मैया के गीतों से गूंज उठाता है. श्रद्धालुओं ने जल और दूध से ‘ऊषा अर्घ्य’ अर्पित किया.
सूर्य देव के उदय होते ही घाटों पर उत्साह और भक्ति की लहर दौड़ गई. इस पावन क्षण के साक्षी बनने के लिए दूर-दराज से आए लाखों श्रद्धालु मौजूद रहे जिन्होंने इस महान पर्व में भाग लिया.
36 घंटे का निर्जला व्रत संपन्न
छठ पर्व स्वच्छता, पवित्रता और आत्म-अनुशासन का प्रतीक है. खरना के दिन से प्रारंभ हुआ 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत (बिना अन्न और जल ग्रहण किए) आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हुआ. व्रतीजन अर्घ्य अर्पण के बाद प्रसाद ग्रहण कर विधि-विधान से व्रत का पारण करेंगे.
#WATCH | Noida, UP | Devotees offer 'Usha Arghya' to the rising sun on the last day of #ChhathPuja at Noida Cricket Stadium in Sector 21. pic.twitter.com/qYFLHfAIGD
— ANI (@ANI) October 28, 2025
छठ महापर्व का महत्व
छठ महापर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक अद्भुत माध्यम है. इस पर्व में सूर्य देव जो ऊर्जा और जीवन के स्रोत हैं तथा छठी मैया जो संतान की रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं.
उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा यह सिखाती है कि जीवन में हर स्थिति, चाहे वह उदय हो या अस्त, उसका सम्मान किया जाना चाहिए. यही कारण है कि छठ पूजा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की अटूट आस्था, सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता का प्रतीक मानी जाती है.
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


