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कुंडली देखकर कैसे पता करें शनि शुभ है या अशुभ? यहां जानिए आसान तरीका

ज्योतिष शास्त्र में शनि को ‘न्याय का देवता’ कहा गया है, जो व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देता है। शनि की दशा, साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव जीवन में अच्छे या बुरे बदलाव ला सकता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आपकी कुंडली में शनि मजबूत है या कमजोर.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

शनि ग्रह आपकी किस्मत बना रहा है या बिगाड़ रहा है? ऐसे जानें कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है या मजबूत
शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या जीवन को कितना प्रभावित करती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी कुंडली में शनि शुभ है या अशुभ. अगर बार-बार मेहनत के बावजूद असफलता हाथ लग रही है, तो एक बार कुंडली में शनि की स्थिति ज़रूर देखनी चाहिए.

ज्योतिष शास्त्र में शनि को ‘न्याय का देवता’ माना गया है, जो व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. शनि ग्रह जीवन में संघर्ष, अनुशासन, कर्म और परिणाम से जुड़ा हुआ है. कुंडली में इसकी स्थिति यदि मजबूत हो तो जीवन में स्थिरता और सफलता मिलती है, जबकि कमजोर होने पर व्यक्ति को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. आइए जानते हैं, कैसे पहचानें कि आपकी जन्मकुंडली में शनि की स्थिति कैसी है. शुभ या अशुभ?

कुंडली में शनि की स्थिति कैसे जानें?

जन्म कुंडली को देखकर यह जाना जा सकता है कि शनि किस राशि और भाव में स्थित है, किन ग्रहों के साथ है और किन ग्रहों से दृष्ट है. शनि की यह पूरी स्थिति यह तय करती है कि वह शुभ फल देगा या कष्टकारी. इसके लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेना सबसे अच्छा होता है, लेकिन कुछ संकेत आप खुद भी पहचान सकते हैं.

शनि की शुभ और बलवान स्थिति

तुला राशि (7 नंबर): शनि की उच्च राशि है, यहां वह सबसे ज्यादा शक्तिशाली और फलदायक होता है.

मकर (10 नंबर) और कुंभ (11 नंबर): शनि की अपनी स्वराशियां हैं. इन राशियों में शनि शुभ और स्थिर फल देता है.

मित्र ग्रहों की राशियों में: जैसे शुक्र और बुध की राशि में हो तो भी शुभ माना जाता है.

शुभ भावों में स्थिति: जैसे 1, 3, 6, 10, 11 भावों में शनि शुभ फल देने की क्षमता रखता है.

शनि की कमजोर या नीच स्थिति

मेष राशि (1 नंबर): शनि की नीच राशि है, यहां यह अशुभ और कमजोर माना जाता है.

शत्रु ग्रहों की राशियों में: सूर्य या चंद्र की राशि में स्थित शनि कष्टदायक होता है.

8वें और 12वें भाव में: इन भावों में शनि की स्थिति आमतौर पर अशुभ और बाधाएं देने वाली होती है.

अन्य ग्रहों से संबंध और दृष्टि प्रभाव

यदि शनि शुभ ग्रहों जैसे गुरु या शुक्र के साथ हो या उनकी दृष्टि में हो, तो उसका असर संतुलित होता है.

अगर शनि राहु, केतु या मंगल जैसे पाप ग्रहों के साथ हो, तो नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाते हैं.

शनि अगर सूर्य के बहुत पास हो जाए तो वह अस्त माना जाता है और उसकी शक्ति कमजोर हो जाती है.

वक्री शनि (retrograde) विशेष प्रभाव देता है यह किसी के लिए फलदायक तो किसी के लिए अशुभ हो सकता है.

जीवन में मिलने वाले संकेतों से पहचानें शनि की स्थिति

जब शनि मजबूत हो:

आप मेहनती, अनुशासित और जिम्मेदार होते हैं.

जीवन में संघर्ष के बाद सफलता मिलती है, लेकिन सफलता स्थायी होती है.

नौकरी या करियर में स्थिरता मिलती है.

आप नैतिक मूल्यों और नियमों का पालन करते हैं.

दूसरों के लिए न्यायप्रिय और सहायक होते हैं.

जब शनि कमजोर हो:

मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिलती.

पैसों की तंगी, लगातार आर्थिक संकट बना रहता है.

जोड़ों, हड्डियों या आंखों से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं.

बार-बार रुकावटें आती हैं, मानसिक तनाव, चिंता, और डिप्रेशन रहता है.

व्यक्ति आलसी, डरपोक और नकारात्मक सोच वाला हो सकता है.

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28 June 2025, 11:25 AM IST

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