ये हैं भारत के अनोखे लोक देवता, जिनको हिंदू-मुस्लिम एक साथ पूजते हैं
भारत की गंगा-यमुना तहजीब सदियों से अपनी अनूठी सांस्कृतिक एकता के लिए मशहूर रही है. आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे मे जताएंगे, जहां हिंदू और मुस्लिम कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ भगवान की आराधना करते हैं.

Rajasthan Ramdevra Baba: अगस्त महीने में राजस्थान के जैसलमेर जिले का रामदेवरा गांव आस्था, संस्कृति और भाईचारे का अद्भुत संगम बन जाता है. यहां आयोजित होने वाला रामदेवरा महाकुंभ, जिसे मिनी कुंभ भी कहा जाता है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है. लोकदेवता बाबा रामदेव जी महाराज को समर्पित यह मेला धार्मिक और सामाजिक एकता की अनूठी मिसाल है. हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के आराध्य रामसा पीर के नाम से प्रसिद्ध बाबा रामदेव जी की समाधि इस मेले का केंद्र है. श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंचकर बाबा के दरबार में माथा टेकते हैं, मन्नतें मांगते हैं और पवित्र सरोवर में स्नान कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
बाबा रामदेव जी कौन थे?
14वीं शताब्दी में जन्मे बाबा रामदेव जी को भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है. उन्होंने जीवनभर भाईचारे, समानता और धर्मनिरपेक्षता का संदेश दिया. उनके चमत्कारों और समाज में किए योगदान के चलते हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय उन्हें गहरी श्रद्धा से पूजते हैं.
मेला क्यों है खास?
रामदेवरा महाकुंभ की तुलना अक्सर कुंभ मेले से की जाती है, क्योंकि यहां हर साल लाखों श्रद्धालु जुटते हैं. मंदिर परिसर के पास स्थित पवित्र जलाशय में स्नान की परंपरा है, जिसे मोक्षदायी माना जाता है.
मेले की कुछ प्रमुख बातें
विशाल भक्तों का जमावड़ा: राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से लोग यहां पहुंचते हैं.
धार्मिक एकता: मुस्लिम समुदाय बाबा को रामसा पीर कहकर पूजता है और चादर चढ़ाता है.
सांस्कृतिक आयोजन: लोक नृत्य, भजन संध्या और कथाओं के कार्यक्रम रातभर चलते हैं.
अद्भुत मान्यताएं: मान्यता है कि बाबा की कृपा से असाध्य बीमारियां दूर होती हैं और भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं.
स्थानीय व्यापार और अर्थव्यवस्था
मेला स्थानीय हस्तशिल्प, पारंपरिक भोजन और धार्मिक वस्तुओं के बाजार के माध्यम से क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है.
सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व
रामदेवरा महाकुंभ सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक समरसता का जीवंत प्रतीक है. यहां जाति, धर्म और वर्ग की दीवारें टूट जाती हैं और हर कोई बाबा की शरण में एक समान होता है.
रामदेवरा तक कैसे पहुंचें?
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निकटतम हवाई अड्डा: जोधपुर (लगभग 180 KM)
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रेल मार्ग: रामदेवरा स्टेशन दिल्ली, मुंबई, जयपुर से जुड़ा है
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सड़क मार्ग: जोधपुर, बीकानेर और जयपुर से सीधी बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं
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मेले के दौरान: विशेष ट्रेन और बस सेवाएं चलाई जाती हैं
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


