क्रिकेट इतिहास का आज ‘ब्लैक डे’, जब उभरता सितारा मैदान पर हमेशा के लिए बुझ गया
सीन एबॉट अपने पहले विकेट की तलाश में थे. दूसरी छोर पर फिलिप ह्यूज शानदार लय में थे . 63 रन, नाबाद, और उनकी पारी में 9 गगनचुंबी चौके पहले ही लग चुके थे. लेकिन स्टेडियम में अचानक उनकी सांसें थम गई.

नई दिल्ली: क्रिकेट इतिहास में 27 नवंबर को एक ऐसे दिन के रूप में याद किया जाता है, जिसने पूरे खेल जगत को सदमे में डूबो दिया था. आज से 11 साल पहले, इसी दिन ऑस्ट्रेलिया के प्रतिभाशाली बल्लेबाज फिल ह्यूज ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. दो दिन पहले तक जो खिलाड़ी बल्ला घुमा रहा था, रन बना रहा था और अपने जन्मदिन से बस कुछ दिन दूर था, वही कुछ ही पलों में ऐसी दर्दनाक घटना का शिकार हुआ कि पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई.
25 नवंबर 2014 को खेले गए शेफील्ड शील्ड मुकाबले में मैदान पर हुई एक घटना ने क्रिकेट के नियमों, सुरक्षा प्रणाली और खिलाड़ियों की सुरक्षा को हमेशा के लिए बदल दिया. एक बाउंसर, एक चूक और एक युवा करियर सिर्फ एक गेंद ने सब कुछ खत्म कर दिया.
मैच की शुरुआत, जन्मदिन की खुशी और अचानक आई त्रासदी
सिडनी में साउथ ऑस्ट्रेलिया और न्यू साउथ वेल्स के बीच मैच की शुरुआत सामान्य अंदाज में हुई थी. साउथ ऑस्ट्रेलिया के कप्तान जोहान बोथा ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी. 30 नवंबर को जन्मदिन मनाने वाले फिल ह्यूज जीत के साथ जश्न मनाने की उम्मीद में उतरे थे.
मार्क कॉसग्रोव के साथ उन्होंने 61 रन की साझेदारी की. कॉसग्रोव के आउट होने के बाद ह्यूज ने फर्ग्यूसन के साथ पारी आगे बढ़ाई और 63 रन पर नाबाद थे. उनकी बल्लेबाजी आत्मविश्वास से भरी थी—9 चौके, मजबूत पकड़ और बेहतरीन टाइमिंग.
क्रिकेट इतिहास का ‘अंतिम ओवर’
वह दर्दनाक गेंद जिसने सब कुछ बदल दिया. सीन एबॉट का 10वां ओवर चल रहा था. 48.3 ओवर की गेंद ह्यूज की गर्दन पर आकर लगी एक ऐसी जगह जहां हेलमेट का कवच नहीं था. ह्यूज कुछ सेकंड बैठे रहे, फिर अचानक गिर पड़े. एबॉट और अन्य खिलाड़ी तुरंत उनकी ओर भागे, लेकिन तब तक ह्यूज बेहोश हो चुके थे. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, पर दुनिया उनका इंतजार करती रह गई. 27 नवंबर 2014 को फिल ह्यूज हमेशा के लिए दुनिया छोड़कर चले गए.
घटना के बाद बदला क्रिकेट का चेहरा
फिल ह्यूज की मौत ने दुनिया भर के क्रिकेट बोर्डों को झकझोर दिया. इसके बाद कई बड़े बदलाव हुए:-
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हेलमेट को और मजबूत बनाने के नियम बने
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गर्दन की सुरक्षा के लिए स्टेम गार्ड्स जोड़े गए
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प्रथम श्रेणी और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम लागू किया गया
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आज हर क्रिकेटर की सुरक्षा में ह्यूज की यह घटना एक मील का पत्थर मानी जाती है.
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ह्यूज का क्रिकेट करियर: अधूरा सफर, चमकदार प्रदर्शन
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फिल ह्यूज ने अपने छोटे से करियर में भी बड़ा प्रभाव छोड़ा.
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26 टेस्ट मैच: 3 शतक, 7 अर्धशतक, कुल 1,535 रन
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25 वनडे: 2 शतक, 4 अर्धशतक, कुल 826 रन
उनके सम्मान में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने जर्सी नंबर 64 को हमेशा के लिए रिटायर कर दिया ह्यूज की आखिरी अधूरी पारी में उनका स्कोर भी 63* ही था.
आज भी नहीं मिटा दर्द
फिल ह्यूज की मौत को 11 साल हो चुके हैं, लेकिन उनका जाना आज भी क्रिकेट जगत के लिए भर न सकने वाला जख्म है. 27 नवंबर हमेशा एक याद, एक टीस और एक चेतावनी के रूप में दर्ज रहेगा कि खेल सिर्फ रोमांच नहीं, जिम्मेदारी भी है.


