एक दिन में 1.35 करोड़, लाखों लीटर शराब...बिहार चुनाव से पहले रिकॉर्ड तोड़ जब्ती, आखिर कौन कर रहा है ये सप्लाई?
Bihar Police Crackdown : बिहार में अगले महीने यानी नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले है . सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए है. बिहार पुलिस भी पूरी तरह से हर अपराध को रोकने के लिए तैयार है. पिछले तीन महीनो में बिहार पुलिस के हाथ अलग-अलग जिलों से इतनी अधिक जब्ती हुई जिसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है. जुलाई से अक्टूबर 2025 तक राज्य में लगभग 270 करोड़ रुपये की नकद और 3 लाख से ज्यादा शराब की बोतेल जब्द की गई.

Bihar Police Crackdown : बिहार विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले राज्य भर में पुलिस प्रशासन पूरी तरह चौकन्ना हो गया है. सीमावर्ती जिलों से लेकर राजधानी पटना तक हर रास्ते और नाकों पर गाड़ियों की सघन जांच की जा रही है. इस चौकसी का नतीजा यह हुआ है कि बीते तीन महीनों में राज्यभर से करोड़ों रुपये नकद, शराब, हथियार, सोना-चांदी और अन्य अवैध सामान जब्त किए गए हैं. जुलाई से अक्टूबर 2025 के बीच करीब 270 करोड़ रुपये मूल्य की अवैध संपत्ति बरामद की गई है, जो अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है.
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नकद बरामदगी में रिकॉर्ड तोड़ उछाल
शराब के साथ-साथ इस बार नकद जब्ती के मामलों में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई. पिछले 90 दिनों में लगभग 72 करोड़ रुपये नकद पकड़े गए हैं. पटना, दरभंगा और पूर्णिया इस सूची में सबसे ऊपर हैं. सिर्फ पटना में एक ही दिन में 1.35 करोड़ रुपये बरामद किए गए, जो कथित तौर पर चुनावी गतिविधियों में उपयोग के लिए भेजे जा रहे थे. गोपालगंज के थावे थाना क्षेत्र के कविलाशपुर गाँव में पुलिस ने छापेमारी कर एक करोड़ रुपये नकद बरामद किए, जिससे प्रशासन में हलचल मच गई.
शराबबंदी के बावजूद तस्करी जारी
बिहार में शराबबंदी को लागू हुए आठ साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन चुनावी मौसम में शराब की सप्लाई थमने का नाम नहीं ले रही. सिर्फ सितंबर 2025 में ही 3 लाख से ज्यादा बोतलें जब्त की गईं. कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शराबबंदी कानून अब “राजनीतिक हथियार” के रूप में इस्तेमाल हो रहा है, क्योंकि शराब वितरण के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिशें अब भी जारी हैं.
38 जिलों में बने निगरानी सेल
चुनावी पारदर्शिता बनाए रखने के लिए पुलिस मुख्यालय ने सभी 38 जिलों में विशेष निगरानी सेल गठित किए हैं. प्रत्येक जिले में दो नोडल अफसर तैनात हैं, जो नकद और शराब की जब्ती की दैनिक रिपोर्ट सीधे निर्वाचन आयोग को भेज रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में जब्ती से चुनाव में धन और शराब के दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा, जिससे मतदान प्रक्रिया और अधिक निष्पक्ष बन सकेगी.
विपक्ष के आरोप और सरकार की सफाई
वहीं विपक्ष का कहना है कि यह कार्रवाई कुछ “चयनित जिलों” में ज्यादा की जा रही है, ताकि सत्तारूढ़ दल को राजनीतिक लाभ मिल सके. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन की यह सख्ती “एकतरफा” है, जबकि सरकार का दावा है कि हर जिले में समान कार्रवाई हो रही है और किसी राजनीतिक दबाव में कोई छापेमारी नहीं की गई.
हथियार, ड्रग्स और अन्य जब्तियां भी बढ़ीं
राज्य के कई जिलों में शराब और नकद के साथ-साथ हथियार और मादक पदार्थों की भी बड़ी बरामदगी हुई है. अररिया में पुलिस और सीएपीएफ की संयुक्त टीम ने छापेमारी में 1,125 लीटर विदेशी शराब, 90 ग्राम स्मैक, 700 ग्राम गांजा और एक पिस्टल बरामद की. पटना के दानापुर में “ऑपरेशन जखीरा” के तहत नकद, हथियार और विदेशी शराब मिली, जबकि जहानाबाद में चुनावी धन के अवैध उपयोग पर रोक लगाते हुए 3.99 लाख रुपये जब्त किए गए.
राज्यभर में जब्तियों की झलक
मोतिहारी में जावा और अंग्रेजी शराब की बड़ी खेप पकड़ी गई, जबकि कैमूर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर और नालंदा में भी हजारों लीटर शराब जब्त की गई. इन बरामदियों ने यह साबित किया कि शराब और नकद की आवाजाही राज्य के हर कोने तक फैली हुई है.
आखिर कौन कर रहा है ये सप्लाई?
इन लगातार हो रही जब्तियों के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इतनी बड़ी मात्रा में नकद और शराब राज्य में कौन पहुँचा रहा है? पुलिस का मानना है कि कई स्थानीय कारोबारी और राजनीतिक नेटवर्क मिलकर यह अवैध कारोबार चला रहे हैं. लोगों का कहना है कि जितनी जब्ती हुई है, उससे कहीं ज्यादा माल बिना पकड़े अपने गंतव्य तक पहुँच चुका है.
सख्ती से चुनाव होगा अधिक पारदर्शी
पुलिस की इस व्यापक कार्रवाई से यह साफ है कि बिहार में इस बार चुनावी माहौल पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. हालांकि, चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं लेकिन अगर यह चौकसी जारी रही, तो न केवल शराब और पैसे के अवैध इस्तेमाल पर रोक लगेगी, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 राज्य के इतिहास में सबसे पारदर्शी और शांतिपूर्ण चुनाव साबित हो सकता है.


