कौन था रंजन पाठक, कैसे चलाता था सिग्मा गैंग...दिल्ली पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान किया ढेर
Sigma Gang Encounter : दिल्ली के रोहिणी में हुई पुलिस मुठभेड़ में बिहार के कुख्यात ‘सिग्मा गैंग’ का सरगना रंजन पाठक समेत चार मोस्ट वांटेड अपराधी मारे गए. यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने की. मारे गए अपराधी हत्या, लूट और फिरौती के कई मामलों में वांछित थे. रंजन पाठक बिहार-नेपाल बॉर्डर पर सक्रिय था और उसके मारे जाने से इलाके में दहशत खत्म हुई.

Sigma Gang Encounter : दिल्ली के रोहिणी इलाके में बुधवार देर रात हुई पुलिस मुठभेड़ में बिहार के कुख्यात ‘सिग्मा गैंग’ के सरगना रंजन पाठक समेत चार बदमाश मारे गए. यह संयुक्त कार्रवाई दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और बिहार पुलिस की विशेष टीम ने मिलकर की. पुलिस के अनुसार, मारे गए अपराधी बिहार में हत्या, लूट और फिरौती के कई मामलों में वांछित थे और लंबे समय से फरार चल रहे थे.
रात दो बजे शुरू हुई गोलीबारी
डॉक्टरों ने घोषित किया मृत, हथियारों का जखीरा बरामद
मुठभेड़ खत्म होने के बाद पुलिस ने घायलों को तुरंत डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (BSA Hospital) पहुँचाया, जहाँ डॉक्टरों ने चारों को मृत घोषित कर दिया. मौके से AK-47, पिस्टल और भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए गए. बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि यह गैंग लंबे समय से बिहार और नेपाल के बीच सक्रिय था और कई संगठित अपराधों में शामिल था.
सिग्मा गैंग का आतंक और रंजन पाठक का इतिहास
मारे गए अपराधियों में सबसे बड़ा नाम रंजन पाठक का है, जो बिहार के सीतामढ़ी जिले के सुरसंड थाना क्षेत्र के मलहई गाँव का रहने वाला था. केवल 25 वर्ष की उम्र में उसने अपराध की दुनिया में पैर रखा और जल्द ही ‘सिग्मा गैंग’ का सरगना बन गया. यह गैंग सीतामढ़ी, शिवहर और मधुबनी जैसे सीमावर्ती जिलों में दहशत का दूसरा नाम बन गया था.
यह गिरोह हत्या, फिरौती, तस्करी और सुपारी किलिंग जैसी वारदातों में लिप्त था. पुलिस के अनुसार, बिहार में अपराध करने के बाद यह गैंग नेपाल के जनकपुर और विराटनगर भाग जाता था, जहाँ इनके ठिकाने बने हुए थे. रंजन पाठक पर पहले 25,000 रुपये और बाद में 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था.
कुख्यात मामलों में शामिल रहा गैंग
सिग्मा गैंग कई हत्याओं में शामिल था. इसमें ब्रह्मर्षि सेना के पूर्व जिलाध्यक्ष गणेश शर्मा की हत्या, मदन कुशवाहा और आदित्य सिंह की हत्या जैसे बड़े मामले प्रमुख हैं. इन हत्याओं के बाद से रंजन पाठक बिहार पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुका था. पुलिस ने उसके ठिकानों पर कई बार छापेमारी की, लेकिन हर बार वह नेपाल भागकर बच निकलता था.
दिल्ली में छिपा था रंजन पाठक
बिहार पुलिस को सूचना मिली थी कि रंजन पाठक और उसके साथी फर्जी पहचान बनाकर दिल्ली में छिपे हैं और किसी बड़ी वारदात की साजिश रच रहे हैं. इस सूचना को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के साथ साझा किया गया. संयुक्त टीम ने जब अपराधियों को रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. जवाबी कार्रवाई में चारों अपराधी मारे गए.
मारे गए अपराधियों की पहचान
मारे गए चारों अपराधियों की पहचान इस प्रकार बताई गई, रंजन पाठक, सीतामढ़ी के मलहई गाँव का रहने वाला, बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी, रतनपुर गाँव, बजपट्टी थाना, सीतामढ़ी, मनीष पाठक, मलहई गाँव, सीतामढ़ी और अमन ठाकुर, दिल्ली के करावल नगर का निवासी. चारों पर हत्या, लूट, रंगदारी और अपहरण के कई मुकदमे दर्ज थे.
सीतामढ़ी में राहत की सांस, पुलिस जांच में जुटी
एनकाउंटर की खबर फैलते ही सीतामढ़ी और आसपास के जिलों में सन्नाटा छा गया. जहाँ कभी रंजन पाठक का नाम सुनकर लोग खौफ में रहते थे, वहीं अब लोग राहत महसूस कर रहे हैं. स्थानीय पुलिस का कहना है कि इस मुठभेड़ के बाद इलाके में गैंगवार और रंगदारी की घटनाओं में कमी आने की संभावना है.
अन्य सहयोगियों की तलाश में पुलिस
वहीं, दिल्ली और बिहार पुलिस अब सिग्मा गैंग के बाकी सदस्यों, हथियार सप्लायर्स और फंडिंग नेटवर्क की तलाश में जुट गई है. जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि दिल्ली में रहते हुए रंजन पाठक किन लोगों के संपर्क में था और क्या वह कोई नया आपराधिक नेटवर्क तैयार कर रहा था.
गिरोह के आतंक पर विराम
रंजन पाठक और उसके साथियों के मारे जाने के बाद माना जा रहा है कि बिहार और नेपाल सीमा पर सक्रिय इस गिरोह की कमर टूट गई है. यह एनकाउंटर केवल चार अपराधियों का अंत नहीं, बल्कि उस नेटवर्क पर भी प्रहार है जो वर्षों से बिहार के सीमावर्ती इलाकों में खौफ फैलाए हुए था. पुलिस का दावा है कि अब इस इलाके में शांति और सुरक्षा का माहौल कायम हो सकेगा.


