भाटी राजपूतों की धरती हनुमानगढ़ में एथेनॉल प्लांट को लेकर क्यों भड़का विवाद ?
राजस्थान का हनुमानगढ़ ज़िला, जिसे पहले भटनेर के नाम से जाना जाता था, अपनी बहादुरी की ऐतिहासिक कहानियों और भाटी राजपूत वंश की वीरता के लिए मशहूर है। हालांकि, ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण यह क्षेत्र अभी तनाव और संघर्ष के माहौल से गुज़र रहा है।

नई दिल्ली: राजस्थान का हनुमानगढ़ जिला, जिसे कभी भटनेर के नाम से जाना जाता था, अपनी ऐतिहासिक शौर्यगाथाओं और भाटी राजपूतों की वीरता के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन इसी ऐतिहासिक धरती पर इन दिनों तनाव और आक्रोश का माहौल बना हुआ है. बुधवार को यहां किसानों के महीनों पुराने आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया, जिसके बाद पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.
एथेनॉल प्लांट को लेकर किसानों की चिंता
टिब्बी क्षेत्र के राठीखेड़ा गांव में प्रस्तावित एथेनॉल प्लांट को लेकर किसान पिछले 15 महीनों से शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे. उनका कहना है कि इस परियोजना से इलाके में प्रदूषण बढ़ेगा, भूजल का दोहन होगा और लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ेगा. किसानों का दावा है कि प्लांट से निकलने वाला दूषित पानी और धुआं आसपास की आबादी के लिए कैंसर और फेफड़ों की बीमारियों जैसी परेशानियां खड़ी करेगा.
किसानों का फूटा गुस्सा
बुधवार को महापंचायत के बाद स्थितियां अचानक बिगड़ गईं. बड़ी संख्या में एकत्र किसानों ने फैक्ट्री की ओर मार्च किया और देखते ही देखते प्रदर्शन हिंसक हो गया. गुस्साए किसानों ने ट्रैक्टरों से फैक्ट्री की बाउंड्री वॉल गिरा दी और आगजनी भी की. पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन झड़पों में 50 से अधिक किसान और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया भी इस विवाद में घायल हुए.
प्रशासन और किसानों के बीच सुबह हुई बातचीत बेनतीजा रही. किसान लिखित आश्वासन मांग रहे थे कि प्लांट निर्माण पूरी तरह रोका जाएगा, लेकिन अधिकारियों ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया. इसी असहमति के बाद माहौल बिगड़ता चला गया. उपद्रव के बाद टिब्बी और आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और स्कूल-मकान बाजार बंद रखने के निर्देश दिए गए. अब तक 7 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
अधिकारीयों ने किसानों आरोपों को नकारा
वहीं, ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी किसानों की आशंकाओं को गलत बताते हुए कह रहे हैं कि प्लांट से कोई भी प्रदूषण नहीं होगा. कंपनी के अनुसार प्लांट में उपयोग होने वाले पानी को रीसाइकिल किया जाएगा और बाहर कोई रासायनिक पदार्थ नहीं छोड़ा जाएगा. हवा में प्रदूषण को रोकने के लिए 180 फुट ऊंची चिमनी और राख को फर्टिलाइजर के तौर पर उपयोग करने की व्यवस्था बताई जा रही है.
हनुमानगढ़ का इतिहास भी कम दिलचस्प नहीं है. लगभग 1735 साल पहले भाटी वंश के राजा भूपत सिंह ने यहां भटनेर किला बनवाया था, जिसे तैमूरलंग ने भी अपनी आत्मकथा में उत्तर भारत का सबसे मजबूत किला बताया है. बाद में 1805 में बीकानेर के महाराजा सूरत सिंह ने इसे जीता और मंगलवार के दिन विजय मिलने पर इसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया.
आज वही हनुमानगढ़ एक नए संघर्ष के दौर से गुजर रहा है, जहां इतिहास और आधुनिक विकास की बहस आमने-सामने खड़ी है.


