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पहलगाम हमलाः 'शुभम को शहीद का दर्जा दिया जाए', कानपुर में मारे गए व्यक्ति की पत्नी ने सरकार से की भावुक अपील

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वाले कानपुर के व्यवसायी शुभम द्विवेदी को लेकर उनकी पत्नी आशान्या ने भावुक अपील की है. उन्होंने मांग की है कि गर्व से अपना धर्म बताते हुए दूसरों की जान बचाने वाले शुभम को शहीद का दर्जा दिया जाए. 31 वर्षीय शुभम की शादी दो महीने पहले ही हुई थी और वे उन 26 नागरिकों में शामिल थे, जो इस हमले में मारे गए. इस दर्दनाक घटना के बाद पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है और सरकार से सम्मानजनक दर्जे की मांग तेज हो गई है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में जान गंवाने वाले कानपुर के व्यवसायी शुभम द्विवेदी की पत्नी ने उन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग की है. शनिवार को मीडिया से बात करते हुए शुभम की पत्नी आशान्या द्विवेदी ने भावुक होकर कहा कि उनके पति ने गर्व से अपना धर्म बताते हुए कई लोगों की जान बचाई और खुद अपनी जान कुर्बान कर दी.

31 वर्षीय शुभम की शादी दो महीने पहले ही 12 फरवरी को आशान्या से हुई थी. वे उन 26 लोगों में शामिल थे जो 22 अप्रैल को बैसरन मैदान के पास हुए आतंकी हमले में मारे गए. मृतकों में अधिकांश पर्यटक थे. शुभम का अंतिम संस्कार गुरुवार को कानपुर के पास उनके पैतृक गांव में किया गया, जहां पूरे गांव ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी.

यही मेरे जीने का एकमात्र सहारा होगा

हमले के क्षणों को याद करते हुए आशान्या ने बताया, "सबसे पहले गोली मेरे पति को लगी. आतंकवादी हमसे पूछ रहे थे कि हम हिंदू हैं या मुसलमान. इसी बातचीत के दौरान कई लोग वहां से भागकर अपनी जान बचाने में सफल हो गए." अपने आंसू रोकते हुए उन्होंने कहा, "मैं सरकार से किसी मुआवजे या मदद की अपेक्षा नहीं रखती. मेरी सिर्फ एक मांग है कि शुभम को शहीद का दर्जा दिया जाए. यही मेरे जीने का एकमात्र सहारा होगा."

उन्होंने हमलावरों पर कड़ा आक्रोश भी व्यक्त किया. आशान्या ने कहा, "जो लोग धर्म पूछकर निर्दोषों की जान लेते हैं, उनका कोई अस्तित्व नहीं रहना चाहिए. ऐसे अपराधियों को जड़ से खत्म किया जाना चाहिए."

एक गोली चली और सब कुछ खत्म

भयावह घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शुरुआत में उन्हें लगा था कि हमलावर सिर्फ मजाक कर रहे हैं. "जब वे पास आए और पूछा कि हम हिंदू हैं या मुसलमान, तो मैंने सोचा कि वे शरारत कर रहे हैं. मैं मुस्कराई और पलटकर पूछा कि क्या चल रहा है. लेकिन जब उन्होंने फिर वही सवाल दोहराया और जैसे ही मैंने जवाब दिया, एक गोली चली और सब कुछ खत्म हो गया," आशान्या ने कहा. उन्होंने बताया कि शुभम का चेहरा खून से सना हुआ था और वह पल उनके जीवन का सबसे भयावह क्षण था.

आशान्या ने आगे बताया कि उसने हमलावरों से विनती की कि उसे भी गोली मार दी जाए, लेकिन उन्होंने उसे छोड़ दिया. "उन्होंने मुझसे कहा कि वे मुझे इसलिए छोड़ रहे हैं ताकि मैं जाकर दुनिया को बता सकूं कि उन्होंने क्या किया," उन्होंने रुंधे गले से कहा.

पिता ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए

शुभम के पिता संजय द्विवेदी ने भी हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए. उन्होंने आरोप लगाया कि हमले के एक घंटे बाद तक कोई सुरक्षाबल घटनास्थल पर नहीं पहुंचा. उन्होंने कहा, "अगर समय रहते मदद पहुंचती, तो शायद कई जानें बचाई जा सकती थीं." इस दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है, वहीं सरकार से शुभम को शहीद का दर्जा देने की मांग भी जोर पकड़ रही है

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27 April 2025, 02:57 PM IST

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