टिकटों को लेकर ‘गद्दारी’ का आरोप, मातोश्री के बाहर उद्धव ठाकरे से नाराज शिवसैनिकों का प्रदर्शन
बीएमसी चुनाव से पहले शिवसेना (यूबीटी) में टिकट वितरण को लेकर भारी असंतोष सामने आया है. मातोश्री के बाहर नाराज कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर नेतृत्व पर भरोसा तोड़ने के आरोप लगाए, जिससे पार्टी की अंदरूनी चुनौती उजागर हुई.

मुंबई महानगरपालिका चुनाव की सरगर्मी बढ़ते ही महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे अहम ठिकाना माने जाने वाला ‘मातोश्री’ एक बार फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है. लेकिन इस बार वजह कोई चुनावी रणनीति या गठबंधन नहीं, बल्कि पार्टी के अंदर पनपता गुस्सा और खुली नाराजगी है. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर मंगलवार को जो हालात बने, उन्होंने पार्टी की अंदरूनी परेशानी को सार्वजनिक कर दिया. टिकट वितरण से नाराज शिवसैनिकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और सीधे तौर पर नेतृत्व पर सवाल उठाए.
टिकट वितरण का तरीका बना विवाद की जड़
बीएमसी चुनाव को लेकर शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की मनसे(MNS) के संभावित गठबंधन की चर्चाओं के बीच पार्टी नेतृत्व पहले से ही सतर्क था. बगावत की आशंका को देखते हुए उद्धव ठाकरे ने इस बार उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक करने के बजाय, चुनिंदा लोगों को चुपचाप मातोश्री बुलाकर एबी फॉर्म(AB Form) सौंपने का फैसला किया.
सोमवार शाम तक करीब 125 उम्मीदवारों को फॉर्म दिए जा चुके थे. पार्टी को उम्मीद थी कि इस गोपनीय प्रक्रिया से असंतोष बाहर नहीं आएगा, लेकिन अगले ही दिन यह रणनीति उलटी पड़ गई.
वार्ड 202 बना विरोध का केंद्र
मंगलवार सुबह से ही नाराज कार्यकर्ताओं के समूह मातोश्री पहुंचने लगे. सबसे ज्यादा विरोध वार्ड नंबर 202 को लेकर देखने को मिला, जहां से पूर्व मेयर श्रद्धा जाधव को एक बार फिर टिकट दिया गया है. स्थानीय शिवसैनिकों का आरोप है कि क्षेत्र में उनके खिलाफ माहौल था और सर्वे रिपोर्ट भी अनुकूल नहीं थीं. इसके बावजूद उन्हें टिकट मिलने से जमीनी कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी फैल गई.
"क्या हम सिर्फ झंडे लगाने के लिए हैं?"
करीब तीन दशक से पार्टी से जुड़े एक शाखा प्रमुख ने गुस्से में अपनी पीड़ा जाहिर की. उनका कहना था कि वे सालों से पार्टी के लिए मेहनत कर रहे हैं, लेकिन टिकट हमेशा प्रभावशाली लोगों को ही मिलता है. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर एक ही परिवार के सदस्य बार-बार टिकट लेंगे, तो आम कार्यकर्ताओं का क्या महत्व रह जाएगा. उनका आरोप था कि संबंधित उम्मीदवार न तो शाखा की जिम्मेदारियां निभाती हैं और न ही कार्यकर्ताओं से संपर्क रखती हैं.
महिला कार्यकर्ताओं का दर्द छलका
हंगामे के दौरान एक गरीब महिला शिवसैनिक की बातों ने माहौल को और भावुक कर दिया. उसने आरोप लगाया कि पिछले चुनाव में महिलाओं को बांटने के लिए उसने अपने पैसे से साड़ियां खरीदी थीं, जिनका भुगतान आज तक नहीं हुआ. महिला ने बताया कि उसने गहने गिरवी रखकर साड़ियां खरीदी थीं और अब तक करीब तीन लाख रुपये नहीं मिले. उसने कहा कि मेहनत कार्यकर्ता करता है, लेकिन फायदा हमेशा वही लोग उठाते हैं जिनकी पहुंच ऊपर तक होती है.
‘गद्दारी’ का आरोप अब नेतृत्व पर
शिवसेना के विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे लगातार शिंदे गुट को ‘गद्दार’ कहते रहे हैं. लेकिन अब वही शब्द पार्टी के भीतर से उठने लगे हैं. मातोश्री के बाहर खड़े कार्यकर्ताओं ने खुलकर कहा कि टिकट वितरण में उनके साथ विश्वासघात हुआ है. उनके मुताबिक, निष्ठा और मेहनत की जगह रसूख को तरजीह दी जा रही है.
बीएमसी चुनाव उद्धव ठाकरे के लिए केवल एक स्थानीय चुनाव नहीं, बल्कि राजनीतिक साख की लड़ाई मानी जा रही है. ऐसे समय में पार्टी के घर से उठता यह असंतोष नेतृत्व के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है. कार्यकर्ताओं का खुला आक्रोश यह संकेत दे रहा है कि अगर समय रहते नाराजगी नहीं संभाली गई, तो इसका असर चुनावी प्रदर्शन पर भी पड़ सकता है.


