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आप आदिवासी हैं, हमारी पीड़ा समझें...सोनम वांगचुक की पत्नी ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, मोदी-शाह को भी भेजी प्रतिलिपि

Sonam Wangchuk Case : सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी गितांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपील की है कि वे अपने आदिवासी पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए उनके पति की रिहाई सुनिश्चित करें. उन्होंने सोनम को एक शांतिपूर्ण गांधीवादी कार्यकर्ता बताया जो लद्दाख के सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर आवाज उठाते हैं. गितांजलि ने उनकी गिरफ्तारी और जेल में स्थिति पर चिंता जताई और न्याय व स्वतंत्रता की मांग की है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Sonam Wangchuk Case : कश्मीर-लद्दाख क्षेत्र में चल रहे आंदोलनों और सुरक्षा के मद्देनजर गिरफ्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के मामले ने राजनीतिक और सामाजिक मंच पर एक बार फिर गर्माहट ला दी है. उनकी पत्नी, गितांजलि अंगमो ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपने पति की गिरफ्तारी और लद्दाख के लोगों की भावनाओं को समझने की अपील की. गितांजलि ने अपने पत्र में राष्ट्रपति के आदिवासी पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए इस मामले की संवेदनशीलता पर प्रकाश डाला.

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई

सोनम वांगचुक को पिछले सप्ताह लद्दाख के लेह में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार किया गया था. ये प्रदर्शन छठे अनुसूची के तहत संरक्षण विस्तार और लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर थे. वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया और उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया. इस गिरफ्तारी को लेकर गितांजलि ने “डरावनी छापेमारी” और “witch hunt” का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि गिरफ्तारी के बाद से उन्हें अपने पति से कोई बातचीत करने की अनुमति नहीं मिली है, जबकि पुलिस अधिकारी ने फोन पर उनसे बात कराने का वादा किया था.

कपड़े तक साथ लेने की अनुमति नहीं दी गई
गितांजलि ने बताया कि गिरफ्तारी के समय सोनम को अपने कपड़े तक साथ लेने की अनुमति नहीं दी गई थी. वे चिंतित हैं कि क्या जेल में उन्हें उचित दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुएं मिल रही हैं, खासकर उनके हाल ही में किए गए 15 दिनों के अनशन के बाद उनकी शारीरिक हालत को देखते हुए. उन्होंने पुलिस द्वारा अपने संस्थान, हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL) के सदस्यों को बिना कानूनी प्राधिकरण के हिरासत में लेने का भी उल्लेख किया.

आंदोलनकारी के रूप में सोनम वांगचुक की छवि
गितांजलि ने अपने पति को एक शांतिपूर्ण गांधीवादी आंदोलनकारी बताया जो जलवायु परिवर्तन, शिक्षा सुधार और लद्दाख के पिछड़े और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाकों के विकास के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इन मांगों को रखना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाना चाहिए. उन्होंने इसे “राजनीतिक दमन” और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया.

राष्ट्रपति मुर्मू से विशेष तौर पर अपील
गितांजलि ने राष्ट्रपति मुर्मू से विशेष तौर पर अपील की क्योंकि वे स्वयं आदिवासी पृष्ठभूमि से हैं और लद्दाख के लोगों की भावनाओं को समझने में सक्षम हैं. उन्होंने बताया कि लद्दाख क्षेत्र अपने राष्ट्रवाद और भारतीय सेना के प्रति समर्थन के लिए जाना जाता है, और उनके पति ने स्थानीय सेना के लिए शेल्टर्स भी बनाए हैं. उनका कहना है कि लद्दाख के मूल निवासी को इस तरह बेइज्जत करना न केवल गलत है, बल्कि सीमाओं की मजबूती और क्षेत्रीय एकता के लिए भी हानिकारक है.

राष्ट्रपति से पूछे गए महत्वपूर्ण प्रश्न
गितांजलि ने राष्ट्रपति से चार सवाल पूछे हैं: क्या उन्हें अपने पति से मिलने या फोन पर बात करने की अनुमति दी जाएगी; क्या वे वांगचुक की गिरफ्तारी के कारणों और उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जान सकती हैं; क्या उन्हें वांगचुक की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी; और क्या नागरिकों को अपने शांतिपूर्ण अधिकारों के लिए आवाज उठाने की अनुमति मिलनी चाहिए.

राजनीतिक और कानूनी असुविधाएं
इस बीच, जोधपुर जेल में वांगचुक से मिलने आए सीपीआई-एम सांसद अमरा राम को भी मुलाकात की अनुमति नहीं मिली. प्रशासन ने नियमों का हवाला देते हुए उनकी मांग को खारिज कर दिया. सांसद ने सरकार से स्पष्ट करने को कहा है कि किस शर्त पर उनसे मिलने की इजाजत दी जाएगी.

संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन
गितांजलि ने सरकार की कार्रवाई को संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन बताया, खासकर अनुच्छेद 21 और 22 का, जो कानूनी प्रतिनिधित्व और न्याय तक पहुंच की गारंटी देते हैं. उन्होंने राष्ट्रपति से अपने विवेक और न्यायप्रियता के आधार पर हस्तक्षेप करने और सोनम वांगचुक की “बिना शर्त रिहाई” का आग्रह किया है. उनका कहना है कि उनके पति जैसे व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कभी खतरा नहीं हो सकते.

यह पूरा मामला न केवल लद्दाख की राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि भारत में लोकतांत्रिक अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आदिवासी समुदायों की सुरक्षा की चुनौतियों को भी उजागर करता है. सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और उनके समर्थन में उठी आवाजें इस क्षेत्र के भविष्य और उसके विकास की दिशा के लिए महत्वपूर्ण संकेत हैं.

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01 October 2025, 10:00 PM IST

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