ठाकरे भाइयों की जुगलबंदी से डगमगाई सत्ता, राज बोले– 'फडणवीस ने वो कर दिखाया जो बाला साहेब भी नहीं कर सके'
महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मोड़ तब आया जब दो दशकों के बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक मंच पर साथ नजर आए. तीन भाषा फॉर्मूले के विरोध में आयोजित आवाज मराठीचा रैली में राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री फडणवीस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "फडणवीस ने वो कर दिखाया जो बाला साहेब भी नहीं कर पाए."

Raj Thackeray Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र की राजनीति में रविवार को ऐतिहासिक मोड़ आया, जब दो दशकों के बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक ही मंच पर नजर आए. राज ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने वो कर दिखाया जो बाला साहेब ठाकरे भी नहीं कर पाए, ठाकरे भाइयों को फिर से एक कर दिया.
तीन भाषा फॉर्मूले के खिलाफ विरोध में आयोजित हुई 'आवाज मराठीचा' रैली ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. मराठी को प्राथमिकता देने की मांग को लेकर हुए इस विरोध के बाद सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा, और इसी मुद्दे ने ठाकरे भाइयों को एकजुट होने का मौका दिया. रैली का मंच, जो मुंबई के वर्ली में सजा था, मराठी समर्थकों और दोनों दलों के कार्यकर्ताओं से खचाखच भरा हुआ था.
VIDEO | Mumbai: Addressing a joint victory gathering with Shiv Sena (UBT) chief Uddhav Thackeray (@uddhavthackeray), titled 'Awaj Marathicha', MNS chief Raj Thackeray (@RajThackeray) says, “CM Fadnavis managed to do what Balasaheb Thackeray could not - bring myself and Uddhav… pic.twitter.com/AasFNDNpfB
— Press Trust of India (@PTI_News) July 5, 2025
20 साल बाद एक मंच पर राज और उद्धव ठाकरे
राजनीतिक दुश्मनी और वैचारिक मतभेद भुलाकर राज और उद्धव ठाकरे एक मंच पर आए, जिसने महाराष्ट्र की राजनीति में नई करवट का संकेत दिया. राज ठाकरे ने मंच से कहा, "महाराष्ट्र किसी भी राजनीति या लड़ाई से बड़ा है. आज 20 साल बाद, उद्धव और मैं साथ आए हैं. जो बाला साहेब नहीं कर सके, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिया... हमें एक कर दिया."
इस बयान के साथ ही सभा स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, और यह स्पष्ट हो गया कि यह गठजोड़ सिर्फ एक मंच साझा करने तक सीमित नहीं रहेगा.
हिंदी अनिवार्यता पर फडणवीस सरकार ने लिया यू-टर्न
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में प्राथमिक विद्यालयों में अनिवार्य करने का निर्णय लिया था. इस फैसले का मराठी संगठनों और ठाकरे भाइयों ने विरोध किया. व्यापक जनविरोध और राजनीतिक दबाव के चलते फडणवीस सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा.
यही विरोध इस ऐतिहासिक एकता का कारण बना. 'आवाज मराठीचा' रैली के जरिए मराठी अस्मिता को एक बार फिर केंद्र में लाया गया और भाषा के मुद्दे को लेकर राजनीतिक एकता की मिसाल पेश की गई.
रैली बना शक्ति प्रदर्शन, दिखा नया समीकरण
वर्ली का यह मंच केवल एक रैली नहीं बल्कि एक शक्ति प्रदर्शन था, जहां MNS और शिवसेना (UBT) के समर्थक पहली बार एक साथ नजर आए. हजारों की संख्या में पहुंचे मराठी समर्थकों ने यह संकेत दे दिया कि आने वाले समय में यह एकता महाराष्ट्र की सियासत को नई दिशा दे सकती है.
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का साथ आना न सिर्फ एक व्यक्तिगत मेल-मिलाप है, बल्कि यह महाराष्ट्र में भाजपा की स्थिति को भी चुनौती दे सकता है.
क्या फिर लौटेगा शिवसेना-मनसे गठबंधन?
राज-उद्धव की जुगलबंदी को देख कर राजनीतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे हैं कि आने वाले चुनावों में यह एकता स्थायी रूप ले सकती है. अगर ऐसा हुआ, तो भाजपा और महायुति के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. फिलहाल यह केवल मंच साझा करने की शुरुआत है, लेकिन जनता और राजनीतिक गलियारों में इससे बड़े बदलाव की उम्मीदें जाग चुकी हैं.